कानपुर: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राज्य में जहां एक तरफ सरकार अस्पतालों के व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में लगी है वहीं प्रशासनिक और अस्पताल के कर्मचारी इसमें पलीता लगाने में जुटे हैं।
ऐसा ही एक मामला कानपुर के सरकारी जिला अस्पताल का सामने आया है जहां मरीज के तीमानदार का आरोप है कि अस्पताल के कर्मचारी पैसे लेकर अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं।
कानपुर के सरकारी जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड कराने के लिए खुलेआम पैसे मांगे जा जाते हैं। वैसे तो सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार की खबर आना कोई नई बात नहीं है पर सरकार की महत्वकांक्षी सुविधाओं को जब पलीता लगाया जाता है तो इसमें सिर्फ और सिर्फ बेबस और मजबूर इंसान ही इसकी चपेट में आता है, सरकारी अस्पतालों में गरीब असहाय और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए इलाज की सुविधाएं मुहैया कराई जाती है।
हालांकि इन सुविधाओं में किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होता है इसमें किसी भी वर्ग का व्यक्ति सुविधाओं का लाभ ले सकता है वहीं सरकार की ओर से गर्भवती महिलाओं के लिए तमाम सुविधाएं और योजनाएं चलाई जा रही हैं बावजूद इसके कानपुर देहात जिला अस्पताल के कर्मचारी अपनी हरकतों और भ्रष्टाचार से बाज नहीं आ रहे हैं। ताजा मामला कानपुर देहात के जिला अस्पताल में भर्ती महिला वर्ल्ड में एक मरीज की है जो गर्भावस्था के दौरान जिला अस्पताल में अपना कराई थी गायनोलॉजिस्ट की सलाह पर अल्ट्रासाउंड कराया जाता है जिसके चलते यह महिला अपने जेठ के साथ जिला अस्पताल पहुंची थी, पीड़िता के जेट अमित का आरोप है अल्ट्रासाउंड कराने के लिए जैसे ही डॉक्टर के सामने रखा लैब में मौजूद डॉक्टर ने उसका पर्चा लेने से मना कर दिया और पर्चा सिर्फ 10 मिनट में ही जमा करने की बात कही जब कि समय गुजर चुका था हालांकि उसके बाद पीड़ित के वापस लौटते ही डॉक्टर ने उसे आवाज देकर कहा कि सौ रुपए दो तो अल्ट्रासाउंड करा देता हूं, मजबूरी में 100 रुपये की जगह 50 रुपये देने को तैयार हो गया लेकिन लैब में मौजूद एक कर्मचारी ने मानो भ्रष्टाचार की कसम खा रखी थी, उसने पीड़ित अमित से 100 रुपये देने की और कहा कि बिना सौ के अल्ट्रासाउंड नहीं हो सकता है।
अस्पताल के कर्मचारी द्वारा 100 की घूस मांगे जाने पर पीड़ित ने अपने मोबाइल से सरकारी कर्मचारी का वीडियो बनाना शुरू कर दिया। बात ही बात में अल्ट्रासाउंड कराने के लिए 100 रुपये की लेनदेन की प्रक्रिया पीड़ित के मोबाइल में कैद हो गई जिसके बाद पीड़ित ने महिला विभाग की सीएमएस वंदना सिंह से लिखित में इस पूरे प्रकरण की शिकायत की।
वैसे बता दें कि कानपुर देहात का जिला अस्पताल कई बार अपने कारनामों से सुर्खियां बटोर चुका है। कभी जिला अस्पताल में किसी मरीज को एक्सपायरी डेट की दवाई लगा दी जाती हैं तो कभी इलाज के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं। हालांकि भ्रष्टाचार का यह लेनदेन महेश निचले स्तर तक ही सीमित नहीं है सूत्रों की माने तो उसकी छोटी छोटी रकम बड़े बड़े अधिकारियों में भी बांटी जाती है।
वहीं, जब हमने महिला सीएमएस वंदना सिंह से इस बाबत बात की तो उन्होंने महज जांच का हवाला देकर कार्रवाई करने की बात की। अब देखने वाली बात यह है कि आखिर इस तरीके के भ्रष्टाचार से आम जनता कितनी त्रस्त है और देखने-सुनने वाला कोई नहीं। क्योंकि अधिकारी आंख पर पट्टी बांधकर बैठे हैं और भ्रष्टाचार से आने वाली मोटी रकम उनके जेब के वजन को बढ़ाती रहती हैं। अब सवाल यह है कि अस्पताल के बड़े अधिकारी के कानों पर कब जूं रेंगती है? और अस्पताल में कब इस तरह के भ्रष्टाचार पर लगाम लगाता है।