‘World Water Day’ पर जानें कैसे अपनी जल आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है भारत

Learn how India is meeting its water needs on 'World Water Day'

World Water Day: भारत नदियों का देश है। सदियों से यहां पानी को सहेजने की परंपरा रही है। जहां नदियों की पहुंच नहीं थी वहां तालाबों के माध्यम से बारिश के पानी को संरक्षित करने का रिवाज था, लेकिन धीरे-धीरे लोग अपनी इस जिम्मेदारी को भूलते चले गए और बूंदों का संकट उठ खड़ा हुआ। लोगों ने जल का दोहन तो किया लेकिन जल संरक्षण का महत्वपूर्ण कार्य करना भूल गए। अभी भले ही सूखा, बाढ़ जैसी आपदा बेशक कोई नई नहीं है पर ये जल संकट और जलवायु परिवर्तन के लिए बड़े कारक बन सकते हैं। हम में से बहुत से लोग यह भी सुनते आए होंगे कि तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा।

इस पूरे मामले की गंभीरता को समझते हुए ही खुद प्रधानमंत्री मोदी लोगों में जल संरक्षण की अलख जगाने का जिम्मा संभाल रहे हैं। आज उनके इनोवेटिव आइडिया की बदौलत ही देश में केंद्र सरकार जल संरक्षण को लेकर कई महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। आज ‘World Water Day’ के अवसर पर इनके बारे में जानना हमारे लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

PM की पहल ‘Catch The Rain’ बना जन-आंदोलन

इस अभियान को जमीनी स्तर पर लोगों की सहभागिता से देश में जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक जन आंदोलन के रूप में शुरू किया गया है। इस अभियान की थीम है- ‘कैच द रेनः जहां भी, जब भी संभव हो वर्षा के जल का संग्रह करें’।

इसी के बलबूते आज देश में जल शक्ति के प्रति जागरूकता बढ़ी है और जल संरक्षण के प्रयास भी तेज हुए हैं। आज जल के महत्व को उजागर करने के लिए पूरी दुनिया ‘World Water Day’ भी मना रही है। साल 2021 में आज ही के दिन एक पीएम मोदी ने एक ऐसे अभियान की शुरुआत की थी जो आज पूरी दुनिया के सामने एक उदाहरण बन गया है।

जी हां, भारत में पानी की समस्या का समाधान हो इसलिए ‘Catch The Rain’ की शुरुआत के साथ ही केन-बेतवा लिंक नहर के लिए भी बहुत बड़ा कदम उठाया गया। इस अभियान को देश में मानसून पूर्व और मानसून अवधि के दौरान (22 मार्च 2021 से 30 नवम्बर, 2021 की अवधि में) क्रियान्वित किया जाने की बात की गई। अभी देश में गर्मी का मौसम आने वाले है और ठीक उसके बाद मॉनसून शुरू होगा। ऐसे में देश के नागरिक इस अभियान को सफल बनाने के लिए ‘Catch The Rain’ अभियान में हिस्सेदारी निभाएं और वर्षा का जल संरक्षण करें।

बूंद-बूंद बचाने के अभिनव अभियान से जुड़े देश के तमाम गांव और शहर

इस अभियान को जमीनी स्तर पर लोगों की सहभागिता के लिए देशभर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक साथ शुरू किया गया। दरअसल, हमारे देश में वर्षा का अधिकांश जल बर्बाद हो जाता है। भारत वर्षा जल का जितना बेहतर प्रबंधन करेगा उतना ही Ground-water पर देश की निर्भरता कम होगी। इसलिए ‘Catch the Rain’ जैसे अभियान चलाए जाने, और सफल होने बहुत जरूरी हैं। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी इस अभियान को सफल बनाना है।

गौरतलब है कि बीते कुछ साल में विश्व के ज्यादातर हिस्सों में गर्मी बहुत तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में बढ़ती हुई गर्मी पानी बचाने की हमारी जिम्मेदारी को उतना ही बढ़ा रही है। हो सकता है कि आप अभी जहां हैं वहां पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो, लेकिन आपको उन करोड़ों लोगों को भी हमेशा याद रखना होगा जो जल संकट वाले क्षेत्र में रहते हैं, जिनके लिए पानी की एक-एक बूंद अमृत समान होती है।

ऐसे में आज भारत जिन संकल्पों को लेकर आगे बढ़ रहा है उनमें ‘जल संरक्षण’ भी एक है। कहते हैं कि पानी की उपलब्धता और पानी की किल्लत किसी भी देश की प्रगति और गति को निर्धारित करते हैं। पृथ्वी पर जल के बिना जीने की कल्पना तक नहीं की जा सकती। जल केवल मानव जाति के लिए ही नहीं बल्कि जीव-जन्तुओं और पेड़ पौधों के लिए भी आवश्यक है। समस्त जीव जगत का आधार ही जल है। इसलिए कहा भी गया है कि ‘जल ही जीवन है।’

भविष्य के संकटों का समाधान

ऐसे में इस अभियान में ही भविष्य के संकटों का समाधान नजर आता है क्योंकि यह वर्तमान की इस स्थिति को बदलने का दम रखता है। इसलिए सरकार ने water governance को अपनी नीतियों और निर्णयों में प्राथमिकता पर रखा है। बीते 6-7 साल में इस दिशा में अनेक कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना हो या हर खेत को पानी अभियान हो ‘Per Drop More Crop’ का अभियान हो या नमामि गंगे मिशन, जल जीवन मिशन हो या अटल भूजल योजना, सभी पर तेजी से काम हो रहा है।

ड्रिप स्प्रिंकलर और सेंसर आधारित सिंचाई तकनीकों को प्रोत्साहन

जल संरक्षण के लिए भारत सरकार आज कृषि क्षेत्र में किसानों को सिंचाई की नई-नई तकनीकों से भी अवगत करा रही है। ड्रिप स्प्रिंकलर और सेंसर आधारित जैसी सिंचाई तकनीकें आज कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल की जा रही हैं। बता दें, किसानों के लिए सिंचाई को आसान बनाने के लिए सेंसर आधारित सिंचाई प्रणाली विकसित की गई है। यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें किसानों को खेती की नमी की जानकारी भी मिल जाती है जिसके जरिए किसान अपने खेत में गए बिना ही मोबाइल एप्लिकेशन या वेबसाइट से सेंसर स्वचालित मोटर से सिंचाई कर सकते हैं। वहीं जहां पानी की कमी है या सूखा ग्रस्त क्षेत्र हैं वहां, ड्रिप (Drip Irrigation) और स्प्रिंकलर सिस्टम जैसी आधुनिक सिंचाई पद्धतियों को अपनाकर जल संरक्षण की कवायद की जा रही है।

दो साल में 22.47 हजार हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता का किया विकास

याद हो दिसंबर 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021-26 के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के क्रियान्वयन को मंजूरी दी थी। इसके तहत 93,068 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया, जिसमें राज्यों के लिए 37,454 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता शामिल थी। वहीं इसके जरिए लगभग 22 लाख किसानों को फायदा होने की बात कही गई थी। आज केंद्र सरकार द्वारा ऐसी योजनाओं के जरिए देश में सिंचाई क्षमता मजबूत हो रही है। ‘Catch the Rain’ अभियान के शुरू होने के दो साल में देश में 22.47 हजार हेक्टेयर भू-भाग में सिंचाई क्षमता का विकास किया गया।

हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों के निर्माण का संकल्प

उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी ने देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का भी संकल्प देश की जनता के साथ मिलकर लिया है। ऐसे में आप कल्पना कर सकते हैं कि यह कितना बड़ा अभियान है। इस अभियान को आगे बढ़ता देख आज प्रतीत होता है कि अब वह दिन दूर नहीं होगा जब आपके अपने शहर में 75 अमृत सरोवर नजर आएंगे। इसी अभियान के तहत आज देश में 30,000 अमृत सरोवर बनाए भी जा चुके हैं। इनके जरिए अब धरती की प्यास बुझ रही है और भू-जल स्तर में भी सुधार आ रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का संकल्प तेजी से आकार ले रहा है। जी हां, ‘मिशन अमृत सरोवर’के शुभारंभ के 9 महीने के भीतर 30 हजार से अधिक अमृत सरोवर का निर्माण पूरा भी कर लिया गया है।

ग्राउंड वाटर का संरक्षण क्यों है जरूरी ?

आज हमारे लिए ग्राउंड वाटर का संरक्षण बेहद जरूरी हो गया है। धरातल का दो-तिहाई भाग पानी से घिरे होने के बावजूद भी हमें पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध नहीं होता क्योंकि इसका दो से तीन प्रतिशत जल ही हमारे इस्तेमाल के लायक है। आज भारत सहित विश्व के अनेक देश जल संकट की समस्या से जूझ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस समय भारत में विश्व की करीब 17% आबादी निवास करती है जबकि इसके मुकाबले यहां जल बेहद कम है। वर्तमान में भू-जल संसाधनों का उपयोग पीने, सिंचाई और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है, लेकिन जनसंख्या में तीव्र वृद्धि, शहरीकरण, औद्योगीकरण और कृषि गतिविधियों के कारण भू-जल संसाधन पर दबाव बढ़ गया हैं। ऐसे में हमारे लिए ताजा पानी के लिए ग्राउंड वाटर का संरक्षण बेहद जरूरी हो गया है। इस समस्या की गंभीरता से समझते हुए अब देश के युवाओं को इस अभियान में अपना सहयोग करना होगा, तब जाकर वे अपना और अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित रख पाएंगे।

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