Navratri: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत, जानें क्यों मनाया जाता है नवरात्रि का पर्व, किन देवियों की होती है आराधना

Navratri: Beginning of Shardiya Navratri, know why the festival of Navratri is celebrated

हिंदू धर्म के कई व्रत और पर्व बड़ें ही हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। इन व्रतों और त्योहारों का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है। इन्हीं में एक अहम पर्व नवरात्रि (Navratri) का है। नवरात्रि देवी मां से जुड़ा पर्व है जिसमें 09 दिन तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और मां को घर के मंदिर में विराजमान कराया जाता है। उसके 09 दिनों तक माता भक्तों के घर पर वास करती हैं। बता दें कि इस दौरान श्रद्धालु उपवास करते हैं। मां की पूजा, अर्चना और आरती करते हैं। साल में 04 नवरात्रि होती है जिसमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि का खास महत्व है। शारदीय नवरात्रि के बाद से त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस साल 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। आइये जानते हैं कि नवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है और 09 दिनों तक किन नौ देवियों की पूजा की जाती है।

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत

हिंदू मान्यता के अनुसार शारदीय नवरात्रि का पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 26 सितंबर, दिन सोमवार से हो रही है। नौ दिन का यह पर्व 04 अक्टूबर, दिन मंगलवार तक मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्रि का समापन नवमी तिथि को होता है जिसके अगले दिन यानी दशमी तिथि को दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस बार 05 अक्टूबर को दशहरा है।

जानें क्यों मनाया जाता है नवरात्रि?

Navratri: Beginning of Shardiya Navratri, know why the festival of Navratri is celebrated

मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि की शुरुआत भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम ने की थी। भगवान राम जब माता सीता को रावण से आजाद कराने के लिए युद्ध करने जा रहे थे तो उन्होंने रामेश्वरम में समुद्र के किनारे शारदीय नवरात्रि की पूजा की। नौ दिनों तक माता शक्ति की आराधना के बाद 10वें दिन श्रीराम ने रावण का वध करके लंका पर विजय हासिल की। इस कारण नौ दिनों की नवरात्रि पूजा के बाद 10वें दिन दशहरा मनाते हैं।

मां दुर्गा से जुड़ी पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम के राक्षस को ब्रह्मा जी ने वरदान दिया था कि उसे कोई देव, दानव, धरती पर रहने वाला व्यक्ति मार नहीं पाएगा। वरदान हासिल करने के बाद महिषासुर ने पृथ्वी पर आतंक मचा दिया। महिषासुर का अंत करने के लिए माता दुर्गा का जन्म हुआ। 09 दिनों तक माता दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध हुआ और अंत में माता दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया।

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देवी के इन नौ स्वरूपों की होती है पूजा

पहला स्वरूप- मां शैलपुत्री
दूसरा स्वरूप- मां ब्रह्मचारिणी
तीसरा स्वरूप- मां चंद्रघंटा
चौथा स्वरूप- मां कूष्मांडा
पांचवां स्वरूप- मां स्कंदमाता
छठा स्वरूप- मां कात्यायनी
सातवां स्वरूप- मां कालरात्रि
आठवां स्वरूप- मां महागौरी
नौवां स्वरूप- मां सिद्धिदात्री

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