रसायनिक युद्ध में सक्षम ‘मोरमुगाओ’ जहाज नौसेना में होगा शामिल, पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं से है लैस

'Mormugao' ship capable of chemical warfare will be inducted in Navy

नई दिल्ली: तटीय सीमा की चाक-चौबंद करने के क्रम में परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध में सक्षम ‘मोरमुगाओ’ (Mormugao) जहाज को 18 दिसंबर को औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा। प्रोजेक्ट 15-B के तहत बनाए गए स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक का यह दूसरा जहाज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के पहले जहाज INS विशाखापत्तनम को पिछले साल भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है।

क्या है प्रोजेक्ट 15बी?

नौसेना की मारक क्षमता में बढ़ोतरी करने के लिए युद्धपोत बनाने की परियोजना प्रोजेक्ट 15बी के चार जहाजों के लिए 2011 में अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह परियोजना कोलकाता वर्ग (परियोजना 15-A) के विध्वंसक को आगे बढ़ाती है जिसे पिछले दशक में कमीशन किया गया था। इसी परियोजना का पहला जहाज INS विशाखापत्तनम पिछले साल 21 नवंबर को भारतीय नौसेना में कमीशन किया जा चुका है।

INS मोरमुगाओ प्रोजेक्ट-15बी श्रेणी का दूसरा स्वदेशी स्टील्थ विध्वंसक है। स्वदेशी तकनीक से बने युद्धपोत को पिछले साल 19 दिसंबर को परीक्षण के लिए समुद्र में उतारा गया था। इस जहाज का नाम गोवा के समुद्री क्षेत्र मोरमुगाओ को समर्पित करने से न केवल भारतीय नौसेना और गोवा के लोगों के बीच संबंध में वृद्धि होगी, बल्कि जहाज की पहचान को स्थायी रूप से राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका से भी जोड़ा जाएगा।

‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत किया गया निर्माण

इस पोत की खासियत है कि इसमें लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा पूर्ण रूप से स्वदेशी है और इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत निर्मित किया गया है। अनेक उपकरणों का स्वदेशीकरण किया गया है, जिनमें जमीन से जमीन व जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, टॉरपीडो ट्यूब्स और लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर, एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली, स्वचलित ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली, फोल्डेबल हैंगर डोर, हेलो ट्रैवर्सिंग प्रणाली, क्लोज-इन युद्धक प्रणाली तथा पोत के अग्र भाग पर लगी सोनार प्रणाली शामिल है।

प्रमुख ओईएम के साथ बीईएल, एल-एंड-टी, गोदरेज, मैरीन इलेक्ट्रिकल ब्रह्मोस, टेक्नीको, काइनको, जीत-एंड-जीत, सुषमा मैरीन, टेक्नो प्रोसेस आदि जैसे छोटे एमएसएमई ने भी इस विशाल मोरमुगाओ को बनाने में अपना योगदान दिया है।

गोवा के शहर ‘मोरमुगाओ’ के नाम पर हुआ नामकरण

गोवा के पश्चिमी तट पर स्थित ऐतिहासिक शहर मोरमुगाओ के नाम पर इसका नामकरण हुआ है। संयोग से यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को उस दिन समुद्र में उतारा गया था, जिस दिन पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति के 60 वर्ष पूरे हुए थे। ‘गोवा मुक्ति दिवस’ की पूर्व संध्या पर 18 दिसंबर को पोत को नौसेना में शामिल किए जाने से भारतीय नौसेना हिंद महासागर व उसके आगे के समुद्री क्षेत्र में अपना दायित्व और भूमिका निभाने में सक्षम होगी।

इस जहाज का नाम गोवा के समुद्री क्षेत्र मोरमुगाओ को समर्पित करने से न केवल भारतीय नौसेना और गोवा के लोगों के बीच संबंध में वृद्धि होगी, बल्कि जहाज की पहचान को स्थायी रूप से राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका से भी जोड़ा जाएगा।

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भारतीय नौसेना की बढ़ेगी कई गुना ताकत

इसके मिलने से भारतीय नौसेना की कई गुना ताकत बढ़ जाएगी। 163 मीटर लंबे और 730 टन वजनी इस युद्धपोत में मिसाइलों को चकमा देने की क्षमता है। 65 फीसदी स्वदेशी तकनीक से निर्मित इस युद्धपोत को स्टील्थ तकनीक से बनाया गया है। पोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइनों से गति मिलती है। इस वजह से यह पलक झपकते ही 30 समुद्री मील तक की गति पकड़ सकता है।

यह जहाज परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध के समय भी बचाव करने में सक्षम है क्योंकि रडार भी पोत को आसानी से नहीं पकड़ सकता है। इस युद्धपोत पर 50 अधिकारियों समेत 250 नौसैनिक तैनात रहेंगे। इस युद्धपोत में चार शक्तिशाली गैस टर्बाइन इंजन लगे हैं। समुद्र में 56 किलोमीटर प्रति घंटा (30 नॉटिकल मील) की रफ्तार से चलने वाला यह युद्धपोत 75 हजार वर्ग किलोमीटर समुद्री क्षेत्र की निगरानी कर सकता है।

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