पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में राज्य में बाढ़ आपदा एवं अल्पवृष्टि से उत्पन्न स्थिति की उच्चस्तरीय समीक्षा की। साढ़े पांच घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के जिलाधिकारी भी शामिल हुए।
बैठक के दौरान प्रेजेंटेशन के जरिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के प्रतिनिधि ने अब तक की वर्षापात की स्थिति और आने वाले दिनों के वर्षा पूर्वानुमान के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से राज्य में बाढ़ एवं अल्पवृष्टि को लेकर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष अब तक तीन चरणों, प्रथम चरण- 13 से 17 जून, द्वितीय चरण- 1 जुलाई से 7 जुलाई, तृतीय चरण- 8 अगस्त से 22 अगस्त में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है। आपदा पीड़ितों के लिए सभी प्रकार के राहत एवं बचाव कार्य किये गये।
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मुख्यमंत्री द्वारा हवाई सर्वेक्षण तथा बाढ़ राहत शिविरों में शरणार्थियों से मिलकर राहत कार्यों का जायजा लिया गया। इससे पीड़ितों का काफी मनोबल बढ़ा। अब तक 7,95,538 परिवारों के बीच 477.32 करोड़ रुपये ग्रैच्युट्स रिलीफ की राशि का बांटा जा चुका है और बाकी बचे लोगों में जीआर का वितरण 25 सितंबर तक कर दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि बाढ़ से 26 जिलों के 16.60 लाख परिवारों की 69.63 लाख जनसंख्या प्रभावित हुई है, जिन्हें हरसंभव मदद की जा रही है।
समीक्षा बैठक में कृषि विभाग के सचिव एन. सरवन कुमार, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के सचिव श्री जितेंद्र श्रीवास्तव, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की प्रधान सचिव एन विजयलक्ष्मी एवं जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बाढ़ के दौरान अपने-अपने विभागों द्वारा किये गये कार्यों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
समीक्षा के दौरान सभी जिलों के जिलाधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने-अपने जिलों के आपदा प्रभावित क्षेत्रों, जीआर वितरण, क्षतिग्रस्त सड़कें, फसल, पशु क्षति आदि के साथ-साथ बाढ़ के दौरान किये गये राहत एवं बचाव कार्यों की भी जानकारी दी।
समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस वर्ष अधिक वर्षापात होने से नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण राज्य में बाढ़ की स्थिति बनी। हमने हवाई सर्वेक्षण कर राज्य के सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया। साथ ही प्रभावित जिलों के जिलाधिकारियों को भी हवाई सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया ताकि वे अपने जिलों के पूरे क्षेत्रों का ठीक से जायजा ले सकें। प्रभावित लोगों के बीच राहत एवं बचाव कार्य कर उन्हें हरसंभव मदद मुहैया कराया गया। हमने राहत शिविरों में जाकर बाढ़ पीड़ितों के लिए चलाये जा रहे राहत कार्यों एवं वहां की व्यवस्थाओं की जानकारी ली और अधिकारियों को सभी प्रभावित लोगों को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। सभी जिलाधिकारी अभी भी मौसम पूर्वानुमान के आधार पर आगे की स्थिति के लिए सचेत रहें और पूरी तैयारी रखें।
मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि बाढ़ के कारण जहां किसानों द्वारा फसल नहीं लगायी जा सकी, उसे फसल क्षति मानते हुये उन सभी किसानों को उचित सहायता उपलब्ध करायें। साथ ही किसानों की फसल क्षति का भी आंकलन कर उन्हें सहायता उपलब्ध करायें। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग एवं सभी जिलों के जिलाधिकारी बाढ़ के कारण हुई क्षति का पंचायतवार सही तरीके से आंकलन करें ताकि उसके आधार पर सभी प्रभावितों की मदद की जा सके। कोई भी बाढ़ आपदा पीड़ित सहायता से वंचित नहीं रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन से चार दिनों में बाढ़ से हुई क्षति का पूर्ण आंकलन कर लें। इसके पष्चात् जिलों के प्रभारी मंत्री संबंधित जिलों में जाकर जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर इसे अंतिम रुप दें। उन्होंने कहा कि पषु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पशु क्षति का भी ठीक से आंकलन कराये और पशुपालकों की सहायता करें।
उन्होंने कहा कि जल संसाधन विभाग बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालीन योजना बनाकर कार्य करे ताकि बाढ़ का असर कम से कम हो। जिलों के उन विषिष्ट क्षेत्रों का भी आंकलन कर लें, जहॉ अल्पवृष्टि की स्थिति बन रही हो। हर वर्ष बाढ़ के कारण बिहार का बहुत बड़ा क्षेत्र प्रभावित होता है, उससे बचाव एवं राहत के लिए हमलोग लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौसम पूर्वानुमान के अनुसार भविष्य के लिये सचेत रहते हुये पूरी तैयारी रखें।
बैठक में उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, उप मुख्यमंत्री सह आपदा प्रबंधन मंत्री श्रीमती रेणु देवी और कई मंत्रियों के साथ आला अधिकारी भी शामिल हुए थे।