वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) शनिवार को वाराणसी पहुंचे। उन्होंने काशी-तमिल संगमम् कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि काशी के निर्माण और विकास में तमिलनाडु ने बड़ा योगदान दिया हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, राजेश्वर शास्त्री, पट्टाभिराम शास्त्री जैसे विद्वानों ने बीएचयू से लेकर यहां अलग-अलग स्थानों पर अपनी विद्वता से लोगों को नई दिशा दी हैं।
आप काशी भ्रमण करेंगे तो देखेंगे कि हरिश्चंद्र घाट पर काशी कामिकोटिश्वर पंचायतन तमिल मंदिर हैं। केदार घाट पर कुमारस्वामी मठ हैं। यहां हनुमान घाट और केदार घाट के आसपास बड़ी संख्या में तमिलनाडु के लोग रहते हैं। हमारे देश में नदियों के संगमों से लेकर विचारों के संगम तक की बड़ी महिमा और बड़ा महत्व रहा हैं। हर संगम को हमने अनादि काल से सेलीब्रेट किया हैं। काशी-तमिल संगमम् अपने आप में विशेष अद्वितीय हैं।
विरासत को सहेज कर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में सुबह उठ कर सौराष्ट्रे सोमनाथम से लेकर 12 ज्योतिर्लिंग के स्मरण की परंपरा हैं। हम स्नान करते समय गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वति! नर्मदे! सिंधु! यानी देश की सभी नदियों का स्मरण करते हुए मंत्र पढ़ते हैं। यानी हम पूरे भारत की पुण्य नदियों में नहाने का भाव रखते हैं। हमें आजादी के बाद इस देश की विरासत को मजबूत करना था। दुर्भाग्य से इसके लिए प्रयास नहीं किए गए।
तमिल विवाह परंपरा में काशी यात्रा का जिक्र
तमिलनाडु संत तिरुवल्लुवर की पुण्य धरती हैं। दोनों ही जगह ऊर्जा और ज्ञान कें केंद्र हैं। आज भी तमिल विवाह परंपरा में काशी यात्रा का जिक्र होता हैं। यह तमिलनाडु के दिलों में अविनाशी काशी के प्रति प्रेम हैं। यही एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना हैं जो प्राचीन काल से अब तक अनवरत बरकरार हैं।
शर्ट-लुंगी में एयरपोर्ट पहुंचे थे
PM नरेंद्र मोदी वाराणसी बाबतपुर एयरपोर्ट पर साउथ इंडियन लुक में विमान से उतरे। PM मोदी शर्ट-लुंगी पहने हुए हुए हैं। गमछा भी लिए हैं। यहां उनका स्वागत वणक्कम काशी और हर हर महादेव के जयघोष से हुआ। इसके बाद वह BHU पहुंचे। यहां उन्होंने BHU के एंफीथिएटर ग्राउंड में एक महीने तक चलने वाले काशी-तमिल संगमम् का उद्घाटन किया।
पीएम मोदी ने काशी और तमिलनाडु के रिश्ते, श्रद्धा और संस्कृति पर आधारित शॉर्ट फिल्म देखी। कार्यक्रम में तमिलनाडु के प्रख्यात संगीतकार इलैयाराजा और उनकी टीम ने शिव गीत पर प्रस्तुति दी। मोदी ने तमिल में लिखी धार्मिक पुस्तक तिरुक्कुरल समेत काशी-तमिल संस्कृति पर आधारित किताबों का विमोचन किया।
कृषि, संस्कृति, साहित्य, संगीत, खानपान, हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट स्टॉल लगाए गए
16 दिसंबर तक आयोजित होने वाले काशी-तमिल संगमम् के लिए BHU के एंफीथिएटर ग्राउंड में 75 स्टॉल लगाए गए हैं। यह स्टॉल कृषि, संस्कृति, साहित्य, संगीत, खानपान, हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट, लोक कला के माध्यम से दक्षिण और उत्तर भारत के बीच सेतु का काम करेंगे। इन उत्पादों में तमिलनाडु के जीआई और ओडीओपी उत्पाद भी शामिल हैं, इसे प्रधानमंत्री मोदी देखेंगे।