नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) रविवार 10 जुलाई को सुबह 11:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्राकृतिक खेती सम्मेलन को संबोधित करेंगे। यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा दी गई है।
प्राकृतिक खेती की सफलता की कहानी से रूबरू होगा देश
प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक सम्मेलन का आयोजन गुजरात के सूरत में किया जा रहा है और इसमें उन हजारों किसानों और अन्य सभी हितधारकों की भागीदारी होगी, जिन्होंने सूरत में प्राकृतिक खेती को एक सफलता की कहानी के रूप में अपनाया है। इसमें गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी शामिल होंगे।
हर गांव में 75 किसानों को Natural Farming अपनाने को किया था प्रोत्साहित
आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में प्रधानमंत्री ने इस वर्ष मार्च में गुजरात पंचायत महासम्मेलन में अपने संबोधन में हर गांव में कम से कम 75 किसानों को खेती के प्राकृतिक तरीके को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया था। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से किसानों को प्राकृतिक खेती को अपनाने में मदद करने के उद्देश्य से सूरत जिले ने किसान समूहों, निर्वाचित प्रतिनिधियों, तलाथियों, कृषि उत्पाद विपणन समितियों (एपीएमसी), सहकारी समितियों, बैंकों आदि जैसे विभिन्न हितधारकों और संस्थानों को संवेदनशील बनाने और प्रेरित करने के लिए ठोस और समन्वित प्रयास किया।
प्राकृतिक खेती करने के लिए 41,000 से अधिक किसानों को दिया प्रशिक्षण
नतीजतन, हर ग्राम पंचायत में कम से कम 75 किसानों की पहचान की गई और उन्हें प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित किया गया। किसानों को 90 विभिन्न समूहों में प्रशिक्षित किया गया जिसके परिणामस्वरूप जिलेभर के 41,000 से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया गया।
खेती को लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना शुरू
बता दें कि 16 दिसंबर, 2021 को पीएम मोदी ने प्राकृतिक खेती विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन में किसानों को संबोधित करते हुए कहा था, केमिकल और फर्टिलाइजर ने हरित क्रांति में महत्वपूर्णँ रोल निभाया है। लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा। इसी को ध्यान में रखकर पीएम मोदी ने कीटनाशकों और आयातित उर्वरकों के खतरों के प्रति आगाह किया, जिससे इनपुट की लागत बढ़ जाती है और स्वास्थ्य को भी नुकसान होता है।
पीएम मोदी ने जोर देकर कहा था कि खेती से जुड़ी समस्याओं के विकराल होने से पहले बड़े कदम उठाने का ये सही समय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अपनी खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना ही होगा। जब मैं प्रकृति की प्रयोगशाला की बात करता हूं तो ये पूरी तरह से विज्ञान आधारित ही है।
‘बैक टू बेसिक’ की ओर बढ़ रही दुनिया
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि आज दुनिया जितना आधुनिक हो रही है, उतना ही ‘बैक टू बेसिक’ की ओर बढ़ रही है। ‘इस बैक टू बेसिक का मतलब क्या है? इसका मतलब है अपनी जड़ों से जुड़ना ! इस बात को आप सब किसान साथियों से बेहतर कौन समझता है? हम जितना जड़ों को सींचते हैं, उतना ही पौधे का विकास होता है।
किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई कदम
गौरतलब है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बीते 6-7 साल में बीज से लेकर बाजार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए हैं। मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक, पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुणा MSP तक, सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक, अनेक कदम उठाए हैं।