सिंधुकीर्ति पनडुब्बी का फिर होगा कायाकल्प, HSL से 934 करोड़ के तहत करार

Sindhukirti submarine will be rejuvenated, agreement with HSL under 934 crores

नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने विशाखापत्तनम में सिंधुकीर्ति पनडुब्बी को अपग्रेड करने के लिए हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। इस परियोजना की कुल लागत 934 करोड़ रुपये है। सिंधुकीर्ति एक थर्ड किलो क्लास डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्‍बी है। अपग्रेड होने के बाद, सिंधुकीर्ति युद्ध में लड़ने योग्य हो जाएगी और भारतीय नौसेना के सक्रिय पनडुब्बी बेड़े में शामिल हो जाएगी।

20 से ज्यादा MSME शामिल

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस परियोजना को शुरू करने का उद्देश्य पनडुब्बियों के लिए वैकल्पिक मरम्मत सुविधा विकसित करना है। इस परियोजना में 20 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) शामिल हैं और इस परियोजना की अवधि के दौरान प्रतिदिन 1,000 श्रम दिवस के रोजगार का सृजन होगा।

ये है सिंधुकीर्ति की विशेषता

Sindhukirti submarine will be rejuvenated, agreement with HSL under 934 crores

सिंधुकीर्ति की कुल लंबाई 72.6 मीटर (238 फीट), बीम 9.9 मीटर (32 फीट) और ड्राफ्ट 6.5 मीटर (21 फीट) है। यह पनडुब्बी समुद्र में अधिकतम 300 मीटर (980 फीट) की गहराई तक जा सकती है। पनडुब्बी में लगभग 68 नौसैन्य कर्मियों की तैनाती है, जिसमें 7 अधिकारी और 61 नाविक शामिल हैं। पनडुब्बी में एक शाफ्ट है, जिसमें एक सात ब्लेड वाला प्रोपेलर है। यह दो डीजल जनरेटर से संचालित है, जिनमें से प्रत्येक 1,000 किलोवाट (1,300 एचपी) का उत्पादन करता है। इसमें 5,500–6,800 हार्स पावर शक्ति के साथ एक इलेक्ट्रिक मोटर भी है। सिंधुघोष सतह पर 10-12 समुद्री मील (19-22 किमी/घंटा) की अधिकतम गति और जलमग्न होने पर 17-25 समुद्री मील (31-46 किमी/घंटा) की अधिकतम गति हासिल कर सकती है।

INS सिंधुकीर्ति 1989 में नौसेना में हुई थी शामिल

9 दिसंबर, 1989 को आईएनएस सिंधुकीर्ति नौसेना में शामिल की गई थी। भारत के पहले नौसेना प्रमुख एडमिरल रामदास ने सोवियत संघ में कमीशनिंग ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए थे। आईएनएस सिंधुकीर्ति (एस-61) भारतीय नौसेना की सातवीं सिंधुघोष श्रेणी की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *