नई दिल्ली: देश में सांसदों-विधायकों के वेतन-भत्तों पर कई बार बहस होती रही हैं। मगर एक मुद्दा कभी राष्ट्रीय पटल पर नहीं आया। देश में अभी 7 राज्य ऐसे हैं जो किसी न किसी रूप में मुख्यमंत्री-मंत्रियों, विधायकों का सिर्फ वेतन ही नहीं, इस वेतन पर बनने वाला इनकम Tax भी सरकारी खजाने से चुका रहे हैं। पहले ऐसे राज्यों की संख्या 9 थी, लेकिन 2019 में UP और 2022 में हिमाचल ने व्यवस्था बदली।
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी कहते हैं कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की आय उसकी व्यक्तिगत आय हैं। इसमें मुख्यमंत्री, मंत्री या विधायक के पद पर मिलने वाली उसका वेतन भी शामिल हैं। अपनी निजी आय पर टैक्स भरने की जिम्मेदारी व्यक्तिगत होती हैं, इसे सरकारी खजाने से अदा नहीं किया जा सकता। यदि किसी भी पद पर आसीन व्यक्ति का आयकर सरकारी खजाने से भरा जा रहा हैं तो यह कानून और संविधान के खिलाफ हैं।
कानून में बदलाव कर लागू की व्यवस्था:
जनता की जेब पर दोहरी मार डालने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं। इन सभी राज्यों ने जनप्रतिनिधियों के वेतन-भत्ते से जुड़े कानून में अपने हिसाब से संशोधन कर यह व्यवस्था लागू की हैं।
इनके अलावा बाकी सभी राज्यों में विधायक अपने वेतन पर इनकम टैक्स खुद चुकाते हैं। हालांकि, ज्यादातर राज्य विधायकों का मूल वेतन तो इतना कम रखते हैं कि इनकम टैक्स न लगे, मगर भत्तों के रूप में बड़ी राशि मिलती हैं।
ये राज्य विधायकों के Tax पर खर्च कर रहे हैं हमारा पैसा:
मध्य प्रदेश: CM-मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से जाता हैं। विधायकों का मूल वेतन 30 हजार हैं, यानी वे इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आते।
छत्तीसगढ़: सभी विधायकों का इनकम टैक्स राज्य सरकार भरती हैं। वर्ष 2000 से ही यह व्यवस्था लागू हैं।
हरियाणा: CM, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का इनकम टैक्स सरकार देती हैं। विधायकों के सिर्फ भत्तों पर इनकम टैक्स सरकार देती हैं।
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झारखंड: यहां 2015 से विधायकों के वेतन पर इनकम टैक्स सरकार भर रही हैं। इनके इनकम टैक्स पर सरकार सालाना करीब 5 करोड़ खर्च करती हैं।
पंजाब: यहां 117 विधायक हैं। इनके इनकम टैक्स पर सरकार सालाना 11.08 करोड़ खर्च करती हैं। इस बार बजट सत्र में आप सरकार इस पर प्रस्ताव ला सकती हैं।
आंध्र प्रदेश-तेलंगाना: दोनों राज्यों में CM-मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का आयकर सरकार देती हैं। सत्तारूढ़ दलों ने कभी यह मुद्दा नहीं उठाया।