नई दिल्ली: नामीबिया से लाए गए 08 चीतों को आज मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंच चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) खुद इसके लिए कूनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंचकर चीतों को जंगल में छोड़ा। कभी चीतों का घर रहे हिंदुस्तान में आजादी के वक्त ही चीते पूरी तरह विलुप्त हो गए थे। साल 1947 में देश के आखिरी 03 चीतों का शिकार मध्य प्रदेश के कोरिया रियासत के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने किया था। इसकी फोटो भी बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी में है। उस दिन के बाद से भारत में कभी भी चीते नहीं दिखे। अब 75 साल बाद 08 चीतों को नामीबिया से लाया गया है।
सबसे तेज है चीते की रफ्तार
चीता हर सेकेंड में 04 छलांग लगाता है। चीते की अधिकतम रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटे की हो सकती है। सबसे तेज रफ्तार के दौरान चीता 23 फीट यानी तकरीबन 07 मीटर लंबी छलांग लगाने में सक्षम है। चीते की रिकार्ड रफ्तार अधिकतम एक मिनट के लिए रह सकती है। यह अपनी फुल स्पीड से केवल 450 मीटर दूर तक ही दौड़ लगा सकता है।
पतली हड्डियों की खोपड़ी
बाघ, शेर, तेंदुए और जगुआर की तुलना में चीते का सिर काफी छोटा होता है। इससे तेज रफ्तार के दौरान उसके सिर से टकराने वाली हवा का प्रतिरोध काफी कम हो जाता है। चीते की खोपड़ी पतली हड्डियों की बनी होती है। इससे उसके सिर का भार भी कम हो जाता है। हवा के रेजिस्टेंस को कम करने के लिए चीते के कान बहुत छोटे होते हैं।
कई किमी दूर तक देखने में सक्षम होता है चीता
बता दें कि चीते की आंख सीधी दिशा में होती है। इसकी वजह से वह कई मील दूर तक आसानी से देख सकता है। इससे चीते को अंदाज हो जाता है कि उसका शिकार कितनी दूरी पर है। इसकी आंखों इमेज स्टेबिलाइजेशन सिस्टम होता है। इसकी वजह से वह तेज रफ्तार में दौड़ते वक्त भी अपने शिकार पर फोकस बनाए रखता है। चीते के पंजे घुमावदार और ग्रिप वाले होते हैं। दौड़ते वक्त चीता पंजे की मदद से जमीन पर ग्रिप बनाता है और आगे की ओर आसानी से जंप कर पाता है। इतना ही नहीं अपने पंजे के कारण ही वो शिकार को कसकर जकड़ने में कामयाब हो पाता है। चीते की पूंछ 31 इंच यानी 80 सेंटीमीटर तक लंबी होती है। यह चीते के लिए रडार का काम करती है। अचानक मुड़ने पर बैलेंस बनाने के काम आती है।
इन नई पहलों से PM Modi का जन्मदिन होगा और भी खास
एक मिनट के अंदर करता है शिकार
चीते का दिल शेर के मुकाबले साढ़े तीन गुना बड़ा होता है। इसी कारण से दौड़ते समय इसे काफी मात्रा में ऑक्सीजन मुहैया हो जाती है। यह तेजी से पूरे शरीर में खून को पंप करता है और इसकी मांसपेशियों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है।
चीता अपने शिकार का पीछा अक्सर 200-230 फीट यानी 60-70 मीटर के दायरे में ही करता है। एक मिनट तक ही वह अपने शिकार का पीछा करता है। अगर इस दौरान वह उसका शिकार नहीं कर पाता तो उसका पीछा करना छोड़ देता है। पकड़े गए शिकार की पंजे से हडि्डया तोड़ देता है। अपने शिकार को पकड़ने के बाद चीता करीब 05 मिनट तक उसकी गर्दन को काटता है ताकि वो मर जाए। हालांकि छोटे-मझौले शिकार पहली बार में ही मर जाते हैं।