नई दिल्ली: देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) का पिछले साल 08 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर के पास एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया था। जनरल बिपिन रावत के साथ उनकी पत्नी मधुलिका और भारतीय सेना के 11 और अफसरों की भी इस भीषण हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई थी।
देश के पहले CDS के तौर पर सीमाओं की सुरक्षा के लिए जनरल बिपिन रावत द्वारा लिए गए साहसी फैसलों और सशस्त्र बलों के मनोबल को हमेशा ऊंचा रखने में उनके द्वारा दिए गए योगदान को देश हमेशा याद रखेगा।
दिवंगत जनरल बिपिन रावत को उनकी पहली पुण्यतिथि पर आज पूरा देश मन, हृदय और आत्मा से नमन कर रहा हैं। कश्मीर में अपनी तैनाती के समय उग्रवादियों के खिलाफ उनके कड़े स्टैंड के लिए भी देश में उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।
देश की सेना में सेवा करने वाले बलिदानी लोगों से भरे उत्तराखंड में जनरल बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च, 1958 को पौड़ी में हुआ था। वह पौड़ी जिले के साइना गांव के निवासी थे। उनका पालन-पोषण एक ऐसे परिवार में हुआ, जिसका भारतीय सेना में सेवा करने का एक लंबा इतिहास रहा हैं। उनके पिता लेफ्टिनेंट-जनरल लक्ष्मण सिंह रावत, पौड़ी गढ़वाल जिले के सैंज गांव से थे।
बिपिन रावत ने देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी और खड़कवासला में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से भी डिग्री हासिल की थी। जहां उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ हासिल हुआ था। अपनी काबिलियत, समर्पण और देशभक्ति के जुनून के चलते वे स्वाभाविक रूप से बाद में भारतीय सेना के सबसे ऊंचे ओहदे तक पहुंचे। आर्मी प्रमुख बनने से पहले उन्होंने कई सैन्य विभागों में सेवा की।
जहां उनके कई साहसी फैसलों की छाप आज भी बरकरार हैं। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के पद को भी जनरल बिपिन रावत ने एक गरिमा प्रदान की और सीडीएस पद पर आने वाले सभी नए लोगों के लिए एक उदाहरण पेश किया।