वाराणसी: जिस तरह हमारी मोटरसाइकिल या कार का एक ही नंबर number होता हैं, वैसे ही हर एक EVM का भी पूरे देश में एक ही नंबर होता हैं। EVM का निर्माण भेल कंपनी की ओर से किया जाता हैं। इसको बनाने से रख रखाव तक की पूरी व्यवस्था ऐसी हैं कि इसे बदलना या चुराना किसी रिजर्व बैंक को लूटने से भी ज्यादा कठिन हैं।
कैसे? आइए जानते हैं:
हर EVM का यूनिक नंबर होता हैं। एक नंबर के पूरे देश में दो EVM नहीं हो सकते।
एक राज्य से दूसरे राज्य और एक जिला से दूसरे जिला को जब ईवीएम भेजा जाता हैं तो उसका नंबर भारत निर्वाचन आयोग के पास रिकॉर्ड होता हैं।
जिला मुख्यालय में ईवीएम आने के बाद राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में भेल के इंजीनियर तकनीकी जांच करते हैं। जांच में खराब ईवीएम भेल के वेयर हाउस में चला जाता हैं। कुल ईवीएम का 10% प्रशिक्षण के लिए रिजर्व रख लिया जाता हैं।
उसके बाद भारत निर्वाचन आयोग की ओर से प्रतिनियुक्त ऑब्जर्वर, सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, डीएम तथा संबंधित निर्वाचन अधिकारी की उपस्थिति में ईवीएम का फर्स्ट रेंडमाइजेशन (ताश के पत्तों की तरह ईवीएम को मिलाना, जिससे उसको अलग से पहचाना न जा सके) किया जाता हैं। इसके बाद स्ट्रांग रूम में ईवीएम को स्टॉक कर दिया जाता हैं।
चुनाव से 72 घंटा पहले एक बार फिर उक्त सभी प्रक्रिया अपनाई जाती हैं। इसमें से 10 परसेंट रिजर्व रखा जाता हैं। सेकेंड रेंडमाइजेशन के दौरान राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ साथ सभी प्रत्याशियों के एजेंट, विधानसभा वार ऑब्जर्वर, निर्वाचन अधिकारी, डीएम, केंद्रीय अर्धसैनिक बल की उपस्थिति में स्टैटिक मजिस्ट्रेट को पोलिंग के लिए ईवीएम दिया जाता हैं।
किस नंबर का ईवीएम किस बूथ पर गया हैं, इसकी सूची प्रत्याशियों के एजेंट को भी उपलब्ध कराया जाता हैं। इसकी कॉपी आब्जर्वर के माध्यम से चुनाव आयोग तक भेजी जाती हैं। सुरक्षाबलों की निगरानी में स्टैटिक मजिस्ट्रेट बूथ तक EVM पहुंचाते हैं।
किस ईवीएम में कितना वोट पड़ा हैं, इसका रिकॉर्ड पीठासीन अधिकारी के माध्यम से पोलिंग एजेंट के साथ साथ ऑब्जर्वर तक को उपलब्ध कराया जाता हैं। पोलिंग के बाद सुरक्षाबलों की निगरानी में स्टैटिक मजिस्ट्रेट स्ट्रांग रूम में ईवीएम जमा करवाते हैं।
स्ट्रांग रूम में ईवीएम नंबर के आधार पर प्रत्येक ईवीएम के लिए अलग-अलग खाचा तैयार रहता हैं। नंबर के आधार पर उसी खाचा में ईवीएम को सुरक्षित रखा जाता हैं।
स्ट्रांग रूम की सुरक्षा 4 लेयर में होती हैं। सुरक्षा की जिम्मेवारी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की होती हैं। स्ट्रांग रूम को सील कर दिया जाता हैं। अब कई स्ट्रांग रूम में सीसीटीवी भी लगाया जा रहा हैं मतगणना के दिन स्ट्रांग रूम का सील आब्जर्वर की उपस्थिति में ही तोड़ा जाता हैं।
काउंटिंग के लिए पूर्व से निर्धारित क्रमवार खाचा से ईवीएम निकाला जाता हैं। ईवीएम का नंबर तथा उस में डाले गए कुल मत का मिलान प्रत्याशियों के काउंटिंग एजेंट के समक्ष किया जाता हैं।