नई दिल्ली: Unified Payments Interface (UPI) हर महीने नए रिकॉर्ड बना रहा है। ऑनलाइन पेमेंच मोड में यूपीआई लोगों की पहली पसंद भी बन गया है। यूपीआई यानि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस से व्यक्ति डायरेक्ट बैंक अकाउंट में ऑनलाइन माध्यम से पैसे ट्रांसफर करता है। लेकिन हाल ही के दिनों में यूपीआई पेटेंट करने पर चार्ज लगाने की खबरें खूब वायरल हो रही थीं। जिसे लेकर अब वित्त मंत्रालय ने स्थिति साफ कर दी है।
UPI पेटेंट पर नहीं लगेगा कोई चार्ज
केंद्र ने कहा है कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से किए गए लेनदेन पर शुल्क लगाने का कोई विचार नहीं है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यूपीआई एक डिजिटल सार्वजनिक साधन है,जिससे लोगों को काफी सुविधा होती है और अर्थव्यवस्था की उत्पादकता बढ़ती है। यूपीआई सेवाओं के लिए सरकार कोई शुल्क लगाने पर विचार नहीं कर रही है। सर्विस प्रोवाइडर्स को कॉस्ट रिकवरी की चिंता है, जिसे पूरा करने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
बता दें कि सरकार ने 1 जनवरी, 2020 से UPI लेनदेन के लिए एक शून्य-चार्ज कर दिया है। इसका मतलब है कि UPI में शुल्क उपयोगकर्ताओं और व्यापारियों के लिए समान रूप से शून्य हैं।
वित्त मंत्रालय ने खारिज किया दावा
दरअसल, सोशल मीडिया और खबरों के जरिए कहा जा रहा था कि आरबीआई ने यूपीआई से भुगतान पर चार्ज वसूलने के लिए लोगों से सुझाव मांगा है। केंद्रीय बैंक ने इसके लिए एक डिस्कशन पेपर जारी किया था। रिजर्व बैंक ने इस डिस्कशन पेपर पर आम लोगों से राय मांगी थी। हालांकि, वित्त मंत्रालय ने इस दावों पर विराम लगा दिया है। उल्लेखनीय है कि सेवा लगातार उपलब्ध कराने के लिए लागत की वसूली में डिजिटल भूगतान का परिस्थितिकी तंत्र मजबूत करने के लिए सरकार ने पिछले साल आर्थिक मदद का ऐलान किया था और ये मदद इस साल भी जारी रहेगी। वित्त मंत्रालय ने उस खबर का भी खंडन किया है, जिसमें रिजर्व बैंक यूपीआई पेमेंटट करने पर MDR चार्ज यानी मर्चेंट डिसकाउंड रेट लगाने पर विचार कर रहा है।
बढ़ रहा यूपीआई से पेमेंट
UPI ऐप में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है और कैश के प्रति लोगों के रुझान घटे हैं। वित्तीय वर्ष 2022 में UPI से 46 अरब ट्रांजैक्शन प्रोसेस हुए जिसकी राशि 84.17 ट्रिलियन या 84.17 लाख करोड़ रुपये की रही। इसी के साथ UPI ने 1 लाख करोड़ की निशानी को पार कर लिया। उसके बाद UPI ट्रांजेक्शन में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। अप्रैल का रिकॉर्ड उसी का प्रमाण है।
बता दें कि नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के मुताबिक, मूल्य के हिसाब से पिछले 6 साल में UPI लेनदेन में 25.2 लाख गुना की तेजी आई है। जुलाई, 2016 में UPI के जरिए 38 लाख रुपए का लेनदेन हुआ था, जो मार्च, 2022 में बढ़कर 9,60,581.66 करोड़ रुपये पहुंच गया। अक्तूबर, 2016 में यह आंकड़ा 48.57 करोड़ रुपये था।