भारत में कोरोना से हुई मौतों को लेकर मेडिकल जर्नल द लैंसेट ने बड़ा दावा किया हैं। लैंसेट इनफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, साल 2021 में कोविड Vaccine देश में 42 लाख से अधिक मौतें रोकने में सफल रही हैं। यह स्टडी 8 दिसंबर, 2020 से 8 दिसंबर, 2021 तक देश में अतिरिक्त मृत्यु दर के अनुमानों पर आधारित हैं। WHO ने जनवरी 2020 से दिसंबर 2021 के बीच देश में 47 लाख मौतों का अनुमान जताया था।
वैक्सीन की वजह से दुनियाभर में 2 करोड़ से अधिक लोगों की जान बची हैं। रिसर्चर्स ने पाया कि वैक्सीनेशन के पहले साल में दुनियाभर में 3.14 करोड़ संभावित मौतों को रोका गया। यह अनुमान 185 देशों में हुई अतिरिक्त मौतों के आधार पर जारी किए गए हैं।
WHO का टारगेट पूरा होता तो बचती और 6 लाख जानें:
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने साल 2021 के अंत तक हर देश की 40% आबादी को वैक्सीनेट करने का टारगेट रखा था। स्टडी के मुताबिक, अगर यह टारगेट पूरा हुआ होता तो और दुनियाभर में 5 लाख 99 हजार 300 लोगों की जान बचाई जा सकती थी। स्टडी में 8 दिसंबर, 2020 से 8 दिसंबर, 2021 के बीच रोकी गई मौतों की संख्या का अनुमान लगाया गया हैं। यह वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन का पहला साल था।
Vaccine प्रोग्राम की तारीफ:
लैंसेट की स्टडी के प्रमुख और लंदन के इंपीरियल कॉलेज के प्रोफेसर ओलिवर वॉटसन ने बताया कि भारत में 42.10 लाख मौतें रोकी गईं। हमारा अनुमान 36.65 लाख से 43.70 लाख के बीच था। वॉटसन ने जोर दिया कि भारत में वैक्सीनेशन अभियान ने लाखों लोगों की जान बचाई। उन्होंने कहा कि पहले यह अनुमान यह लगाया जा रहा था कि भारत में महामारी के दौरान 51.60 लाख (48.24 लाख से 56.29 लाख) मौतें हुई होंगी। यह संख्या अब तक दर्ज की गई 5 लाख 24 हजार 941 मौतों के आधिकारिक आंकड़े का 10 गुना हैं। उन्होंने बताया कि हमारी स्टडी महामारी के दौरान भारत में अधिक मृत्यु दर के अनुमानों पर आधारित हैं, जिसका सोर्स WHO और द इकोनॉमिस्ट के आंकड़ें हैं।
भारत में कोरोना से 47 लाख लोगों की मौत हुई: WHO
द इकोनॉमिस्ट के अनुमान के मुताबिक, मई 2021 की शुरुआत तक भारत में कोरोना से 23 लाख लोगों की मौत हुई, जबकि आधिकारिक आंकड़े करीब 2 लाख थे। वहीं, WHO ने पिछले महीने जनवरी 2020 से दिसंबर 2021 तक के आंकड़े जारी कर बताया था कि भारत में कोरोना की वजह से 47 लाख मौतें हुई थीं। WHO ने इन मौतों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष, दोनों तरह की मौतों को शामिल किया था।
WHO के यह आंकड़े उस समय तक दुनियाभर की मौतों का एक तिहाई थे और ऑफिशियल आंकड़ों की तुलना में 10 गुना अधिक थे। इन आंकड़ों का केंद्र सरकार ने खंडन किया था।