Vijay Diwas की 51वीं वर्षगांठ: आज के दिन भारत के वीरों ने पाकिस्तान को चटाई थी धूल

Vijay Diwas day hero of India defeat Pakistan

नई दिल्ली: आज विजय दिवस (Vijay Diwas) की 51वीं वर्षगांठ मना रहा हैं। 16 दिसंबर को हर साल विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता हैं। इस दिन साल 1971 में भारत ने पाकिस्तान को जंग में हराया था। इसी ऐतिहासिक जीत का जश्न हर साल मनाया जाता हैं। हालांकि, इस जंग में भारतीय सैनिकों ने बड़े पैमाने पर कुर्बानियां भी दी थीं। करीब 3,900 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे, जबकि 9,851 सैनिक घायल हुए। आज देश के वीर जवान के शौर्य, अदम्य साहस, कुर्बानी को नमन किया जा रहा हैं। जानते हैं साल 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध के बारे में और भारतीय वीरों की विजय गाथा की कहानी।

जब भी पड़ोसी मुल्क ने भारतीय सीमा को लांघने की कोशिश की या देश की भूमि पर कब्जा करने का प्रयास किया, उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पड़ोसी मुल्क के सैनिकों का सामना भारतीय वीरों से हुआ। वह चाहे हाल में 09 दिसंबर 2022 को अरुणाचल के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में एलएसी पर अतिक्रमण करने पर भारतीय सैनिकों का चीन के सैनिकों को खदेड़ना हो या साल 1971 में पाकिस्तान की सेना का धूल चटाना हो। भारतीय वीरों की शौर्य गाथा का इतिहास बहुत उपलब्धिपूर्ण रहा हैं।

क्यों मनाते हैं विजय दिवस

साल 1971 में पाकिस्तान और भारत के बीच जंग हुई थी। इस जंग में पाक सेना को करारी हार मिली और 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करना पड़ा। युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हो गया। आज यही क्षेत्र स्वतंत्र देश बांग्लादेश बन गया हैं।

पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारतीय पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।

16 दिसंबर को ही क्यों मनाते हैं विजय दिवस ?

दरअसल, 16 दिसंबर की शाम ही जनरल नियाजी ने आत्मसमर्पण के कागजों पर हस्ताक्षर किए थे। इसी दिन सुबह जनरल जैकब को मानेकशॉ का संदेश मिला था कि आत्मसमर्पण की तैयारी के लिए तुरंत ढाका पहुंचें। उस दौरान जैकब की हालत बिगड़ रही थी।

इस जंग में उस समय तक भारत के अपने कई सैनिकों को खो दिया था और हमारे पास केवल तीन हजार सैनिक ही बचे थे जो कि ढाका से 30 किलोमीटर दूर थे। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी सेना के कमांडर के पास ढाका में 26 हजार 400 सैनिक थे। लेकिन भारतीय सेना ने युद्ध पर पूरी तरह से पकड़ बना ली थी। ढाका में उस शाम नियाजी के कमरे में पाकिस्तानी कमांडर ने आत्मसमर्पण के दस्तावेजों पर साइन कर दिया।

रो पड़े थे पाकिस्तानी कमांडर

आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर दस्तखत करने के बाद नियाजी ने अपनी रिवाल्वर जनरल अरोड़ा के हवाले कर दी। नियाजी की आंखों में आंसू थे। सूत्रों के मुताबिक स्थानीय लोग नियाजी की हत्या करने की मांग कर रहे थे लेकिन भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने नियाजी को सुरक्षित वापस भेजा। भारत की इस जीत की खबर से उस दौरान इंदिरा गांधी ने लोकसभा में युद्ध में भारत की जीत की घोषणा की, जिसके बाद सदन समेत पूरा देश जश्न में डूब गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *