जहां 10 हजार से ज्यादा इंसान मिनटों में कांच में बदल गए थे..

Volcano caused such devastation

रोम: अमेरिका के हवाई द्वीप पर दुनिया का सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी (Volcano) मौउना लोआ हाल में फट पड़ा। विस्फोट के कई दिनों बाद भी लावा बह रहा हैं। आसपास आबादी न होने के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ, हमेशा ऐसा नहीं होता। आज से लगभग 19 सौ साल पहले इटली में फटे ज्लावामुखी ने एक पूरे शहर को खत्म कर दिया। हंसते-खेलते, बात करते, घर के काम करते, और बाजार में खरीददारी करते लोगों पर से लावा गुजरा और जो जहां था, वहीं खत्म हो गया। बस, एक बात अलग थी। लोग राख नहीं बने, बल्कि कांच की मूर्तियों जैसे दिखने लगे।

बेहद विकसित हुआ करता था शहर

दक्षिणी इटली का ये शहर तब काफी शानदार हुआ करता था। शानदार इसलिए कि वहां बड़े बाजार थे, जहां सबकुछ मिलता। बाल बनवाने की दुकानें भी थीं, और रेस्त्रां की तर्ज पर खाने के ठिये भी। यहां तक कि टूरिस्ट्स के लिए कॉमन स्पा भी होता। बता दें कि पोम्पई तब इटली के सबसे खूबसूरत शहरों में था, जहां हर मौसम सैलानी रहते।

शहर नेपल्स की खाड़ी में बसा था, जिसके बिल्कुल पास एक एक्टिव ज्वालामुखी था। माउंट वेसविअस ज्वालामुखी अब तक 50 से ज्यादा बार फट चुका हैं। आमतौर पर ये उतना खतरनाक नहीं होता, लेकिन 19 सौ साल पहले इसने पोम्पई को खत्म कर दिया।

प्राचीन रोमन लेखक प्लिनी द यंगर ने सैकड़ों मील दूर से धूल का गुबार देखा और मान लिया कि दूर कहीं दुनिया खत्म होने की शुरुआत हो चुकी हैं। उनकी चिट्ठियों में इस बात का खूब जिक्र मिल चुका हैं।

ऐसे उठा लावे का गुबार

Volcano caused such devastation

लगभग 10 हजार की आबादी वाले पोम्पई में तब दिन का समय रहा होगा, ये अनुमान वैज्ञानिकों ने वहां जमकर मरे हुए लोगों की एक्टिविटी देखते हुए लगाया। जमीन एकदम से कांपती लगी। मछलियां-मांस खरीद रहे लोग, और मुसाफिर डर से भागने लगे। माउंट वेसविअस फट पड़ा था। हवा में लगभग 20 मील दूर तक जहर और धुआं ही धुआं भर गया। बच्चे-बूढ़े दम घुटने से मरे। लेकिन रातोंरात ही कुछ और बदला। तेजी से बहते लावा ने 10 हजार की आबादी वाले पूरे शहर को लील लिया।

प्राचीन रोमन लेखक प्लिनी द यंगर ने सैकड़ों मील दूर से धूल का गुबार देखा और मान लिया कि दूर कहीं दुनिया खत्म होने की शुरुआत हो चुकी हैं। उनकी चिट्ठियों में इस बात का खूब जिक्र मिल चुका हैं।

साइंस ने खोज निकाला जवाब

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में बताया गया कि ऐसा विट्रिफिकेशन के कारण होता हैं, ये वो प्रक्रिया हैं। जिसमें बहुत तेजी से कोई चीज एक्सट्रीम तापमान पर पहुंच जाती हैं, और फिर उसी तेजी से ठंडी पड़ जाती हैं। इससे वो वस्तु कांच की तरह दिखने लगती हैं। यही बात यूनिवर्सिटी ऑफ नेपल्स ने भी कही, और दुनिया के कई फॉरेंसिक एंथ्रोपोलॉजिस्ट्स ने भी। स्टडी हीट इंड्यूस्ड ब्रेन विट्रिफिकेशन नाम से साल 2020 में प्रकाशित हुई।

वास्तुकला की होने लगी नकल

Volcano caused such devastation

शहर के रहस्यों से परदा उठने के बाद यहां की वास्तुकला को देखने दूर-दूर से जानकार पहुंचे। इटली के इस सदियों पुराने शहर में वास्तु इतनी भव्य थी कि पूरा यूरोप दबे हुए पोम्पई की नकल करने लगा। न केवल इमारतें, बल्कि बर्तन और फर्निचर तक इसकी नकल पर बनाए जाने लगे। यूरोप में खासकर थर्ड ड्रॉइंगरूम का चलन हुआ, जो इसी शैली की कॉपी था। इसे एट्रस्कन रूम भी कहते हैं।

चोर सक्रिय हो उठे

Volcano caused such devastation

इतने खूबसूरत शहर का एक बार खत्म होना जैसे काफी न हो, सैलानी और आसपास के लोग वापस इस मिली हुई धरोहर को नष्ट करने लगे। यहां से चोरियां होने लगीं। आखिरकार साल 1997 में इटली की सरकार और यूनेस्को ने मिलकर इसे हैरिटेज साइट्स की सूची में डाल दिया। बात तब भी नहीं बनी। मामला इतना बिगड़ा कि साल 2008 में इतालवी सरकार ने पोम्पई साइट पर सालभर की इमरजेंसी लगा दी और इसे देखने के लिए खास कमिश्नर तैनात किया ताकि खोकर पाया हुआ शहर पूरी तरह खत्म न हो जाए।

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