गाजियाबाद: यूक्रेन में भारत के 150 से ज्यादा छात्र लापता हैं। इनका कोई सुराग नहीं हैं। इनकी तलाश के लिए यूक्रेन की यूनिवर्सिटी के फाइनल इयर के छात्रों ने 36 वॉट्सएप ग्रुप्स WhatsApp groups बनाए हैं। इसके जरिये वे लापता लोगों का पता लगाने का काम कर रहे हैं। इन ग्रुप्स के जरिये अब तक करीब 300 से ज्यादा छात्रों की खोज की जा चुकी हैं।
मेरठ में किठौर क्षेत्र के गांव ललियाना निवासी MBBS छात्र आलमगीर भी इन्हीं वॉट्सएप ग्रुप के मदद करने वाले लोगों में से एक हैं। वह यूक्रेन से एक मार्च को ही लौटे हैं। आलमगीर बताते हैं कि ‘सरकार चाहे जो कहे, लेकिन अभी काफी संख्या में हमारे सहपाठी लापता हैं।
इनकी संख्या 100 से 150 तक हो सकती हैं। इन छात्रों से हमारा पिछले कई दिनों से कोई संपर्क नहीं हो पाया हैं। ये कहां हैं, किस हालत में हैं… अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। फिलहाल हमने इन छात्रों के नाम, फोटो, मोबाइल नंबर और यूनवर्सिटी का नाम अपने वॉट्सएप ग्रुप्स में सर्कुलेट कर दिया हैं।’
इन नामों से बने हुए हैं WhatsApp groups:
स्टैंड विद यूक्रेन, इनावो फ्रेंकिस नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी, गेट टू गेदर, हेल्पिंग स्टैंड, लिविंग खारकीव, लिविंग सूमी, हेल्पिंग हैंड, इस्लामिक हैंड, लवीव कल्चर सेंटर जैसे नामों से करीब 36 वॉट्सऐप ग्रुप बने हुए हैं। इन ग्रुप्स में करीब नौ हजार सदस्य हैं। सदस्यों की एक बड़ी संख्या यूक्रेन में पढ़ने वाले एमबीबीएस फाइनल इयर के छात्रों की हैं, जो सबसे ज्यादा जूनियर छात्रों की मदद कर रहे हैं।
इसके अलावा इन ग्रुप्स में यूक्रेन की विभिन्न यूनिवर्सिटी के प्रमुख लोग, एनजीओ वर्कर, छात्रों के ठेकेदार और कुछ छात्रों के परिवारवाले भी शामिल हैं। मेरठ के छात्र आलमगीर यूक्रेन में छात्र यूनियन के प्रेसीडेंट भी रहे हैं। वह बताते हैं कि इन ग्रुपों के जरिये हमने 300 छात्रों की लोकेशन तलाश की थी।
ऐसे काम करते हैं ये ग्रुप:
आलमगीर के अनुसार, यदि किसी छात्र से कॉन्टैक्ट नहीं हो पा रहा, तो हम उसकी लास्ट लोकेशन सारे ग्रुप्स में शेयर करते हैं। यदि छात्र किसी एनजीओ के बंकर में पनाह लिए हुए हैं, तो एनजीओ वर्कर उसकी लोकेशन ट्रेस करके ग्रुप में रिपोर्ट करते हैं। पिछले दिनों इस ग्रुप ने 13 ऐसे छात्रों की लोकेशन ट्रेस की थी, जो पिछले एक मार्च से लापता थे। इनमें दो छात्र यूपी आजमगढ़ के राहुल और आकाश भी थे।