Indian Air Force के 90 वर्षों के युद्धों और अभियानों की गौरवगाथा

90 Years of Wars and Campaigns of Indian Air Force

नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) 8 अक्टूबर को चंडीगढ़ में अपना 90वां स्थापना दिवस मना रही है। इसी दिन साल 1932 में आधिकारिक रूप से रॉयल इंडियन एयर फोर्स के नाम से भारतीय वायु सेना की स्थापना हुई थी। 90 वर्षों के इस अंतराल में भारतीय वायु सेना ने अपने ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन किया है। आईये एक नजर डालते हैं भारतीय वायु सेना के 90 गौरवशाली वर्षों की यात्रा पर।

शुरुवाती सफर

भारतीय वायु सेना की स्थापना 8 अक्टूबर, 1932 को हुई थी, लेकिन इसकी पहली उड़ान 01 अप्रैल, 1933 को संचालित की गई। उस समय इसमें तात्कालिक ब्रिटिश विमान सेना, यानि रॉयल एयर फोर्स द्वारा प्रशिक्षित 06 अफसर और 19 हवाई सिपाही थे। 15 अगस्त, 1947 को जब भारत आजाद हुआ ठीक उसी समय भारतीय वायु सेना को एक भीषण युद्ध का सामना करना पड़ा। बड़ी संख्या में घुसपैठी विद्रोही सेनाएं जम्मू और कश्मीर में सीमा के अंदर घुसने लगीं तब प्रतिक्रियास्वरूप 27 अक्टूबर, 1947 को भारतीय वायु सेना की नं0- 12 स्क्वाड्रन ने पालम से पहली सिख रेजिमेंट को श्रीनगर के अविकसित हवाई पट्टी पर विमानों से पहुंचाने की असाधारण कार्रवाई बिना प्रारंभिक तैयारी के सफलतापूर्वक पूरी की गई। 26 जनवरी, 1950 को भारत गणतंत्र बना इसी वर्ष भारतीय वायुसेना ने अपने नाम से पहले जुडा ‘राॅयल’ शब्द हटा दिया। ठीक इसी समय भारतीय वायु सेना ने अपने कई प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की। 01 अप्रैल, 1954 को भारतीय वायु सेना के संस्थापक सदस्यों में से एक एयर मार्शल सुब्रोतो मुखर्जी पहले भारतीय वायुसेनाध्यक्ष बने।

युद्धों और अभियानों मे अभूतपूर्व पराक्रम का परिचय

वर्ष 1962 में चीन और 1965,1971 और 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों में भारतीय वायु सेना ने अपने अद्वितीय साहस का परिचय दिया। हवाई युद्ध में भारतीय वायुसेना ने हर स्थिति में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की। इसी बीच भारतीय वायु सेना ने बड़े स्तर पर अपने आधुनिकीकरण और सुधार कार्यों में विशेष ध्यान दिया। साल1966 में भारतीय वायुसेना ने स्थिति का जायजा लिया और सुखोई एस यू-7 बी एम विमान खरीदने का निर्णय लिया। 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के अंतर्गत सियाचिन की रणनीतिक स्तिथि को नियंत्रित किया गया, जिसमें वायुसेना के मी-8, चेतक व चीता हेलिकॉप्टर्स के द्वारा कई भारतीय सैनिकों को सियाचिन पर उतारा गया।

13 अप्रैल, 1984 को शुरू हुआ यह अभियान सियाचिन की मुश्किल परिस्थितियों के चलते अपनी तरह का एकमेव अभियान था। यह सैन्य अभियान कामयाब रहा। भारतीय सेना को किसी भी तरह कि रुकावट का सामना नहीं करना पड़ा और सेना सियाचिन पर वर्चस्व साबित करनें में कामयाब रही। भारतीय वायु सेना, भारतीय सशस्त्र बलों की अन्य शाखाओं के साथ-साथ आपदा राहत कार्यक्रमो में प्रभावित क्षेत्रों पर राहत सामग्री पहुँचाने, खोज एवं बचाव अभियानों, आपदा क्षेत्रों में नागरिक निकासी उपक्रम में सहायता प्रदान करती रही है। भारतीय वायु सेना ने 2013 में उत्तराखंड आपदा, 2004 में सुनामी तथा 1998 में गुजरात चक्रवात के दौरान प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए राहत आपरेशनों के रूप में व्यापक सहायता प्रदान की।

आगामी वर्षों में नए विकास

90 Years of Wars and Campaigns of Indian Air Force

आगे के वर्षों में भारतीय वायु सेना ने बड़े स्तर पर अपने वायुयानों को अपग्रेड किया। इस प्रक्रिया के भाग के रूप में, भारतीय वायु सेना ने इस समयावधि में जगुआर एवं मिग वायुयानों की विभिन्न किस्मों को शामिल किया गया। इसी अवधि में भारतीय वायुसेना कार्मिकों ने कई विश्व रिकॉर्ड भी बनाए। स्क्वॉड्रन लीडर मक्कड तथा फ्लाइट लेफ्टिनेंट आरटीएस चिन्ना ने 5050 मीटर की ऊंचाई पर लद्दाख में अपने एमआई-17 हेलिकॉप्टर से बमबारी करने का विश्व रिकॉर्ड बनाया। स्क्वॉड्रन लीडर संजय थापर दक्षिण ध्रुव पर पैरा जम्प करने वाले पहले भारतीय बने और नए परिदर्श की खोज में, भारत और तात्कालिक सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष में जाने का साहसिक कार्य करने वाले स्क्वॉड्रन लीडर राकेश शर्मा प्रथम भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने।

आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता की उड़ान

पिछले कुछ वर्षों से अब तक भारतीय वायु सेना ने ना केवल अपना बेहतर आधुनिकीकरण किया है बल्कि आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य को साथ लेकर देश में ही नई वायु तकनीकों और विमान निर्माण के सपने को साकार किया है। जहाँ तक केंद्रीय नियंत्रण का सवाल है, भारतीय वायु सेना में एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली विकसित की गई है, जो जमीन और हवा में मौजूद सभी सेंसर्स को जोड़ती है। भारतीय वायु सेना फोर्स मल्टीप्लायरों जैसे फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट, एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम, आदि की देखरेख भी कर रही है। मिसाइल के मोर्चे पर, भारत के पास सामरिक मिसाइलों का एक अच्छा बेड़ा है, जिसमें अग्नि1-वी और पृथ्वी शामिल हैं। बहुस्तरीय सुरक्षा के लिये ‘लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल’ (LR-SAM), ‘मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल’ (MR-SAMs), आदि भी है।

भारत के पास ब्रह्मोस भी है जो कि स्वदेशी रूप से निर्मित है। भारत ने चिनूक जैसे भारी लिफ्ट हेलीकॉप्टर और अपाचे जैसे हेलीकॉप्टरों को अपनी वायुसेना में शामिल किया है। दूसरी ओर अति आधुनिक राफेल विमान भी भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल है। भारतीय वायु सेना ने अब अपने स्वयं के संचालन के लिये एक समर्पित उपग्रह प्रणाली भी विकसित की है। बुनियादी ढाँचे के मोर्चे पर भारतीय वायु सेना ‘एयरफिल्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर का आधुनिकीकरण’ नामक एक परियोजना भी संचालित कर रही है। इस परियोजना के अंतर्गत 30 हवाई अड्डों को हर मौसम में 24X7 उड़ान क्षमताओं में अपग्रेड किया गया है।

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हिंदुस्तान एरोनोटिक्स और DRDO के साथ मिलकर भारतीय वायु सेना ने देश में ही उन्नत किस्म के विमान और हेलिकॉप्टर जैसे तेजस,रुद्र,चेतक और हाल ही में प्रचंड का निर्माण किया है। जो भारतीय वायु सेना के मेक इन इंडिया विजन और देश की आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित करते हैं। इसी वर्ष आधुनिक सेना की विश्व निर्देशिका (World Directory of Modern Military) ने ग्लोबल एयर पावर्स रैंकिंग में भारतीय वायुसेना को 69.4 TVR देते हुए विश्व में तीसरा स्थान दिया है जो वर्तमान समय में भारतीय वायु सेना के असाधारण विकास को प्रदर्शित करता है।

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