लखनऊ: क्या इस बार उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव UP elections में समाजवादी पार्टी ममता के बंगाल मॉडल को अपने जीत का मॉडल बनाएगी। यह सवाल इसलिए हैं कि आज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी Mamta Banerjee की एंट्री हो रही हैं। अखिलेश यादव के बुलावे पर ममता बनर्जी आज दो दिवसीय दौरे पर लखनऊ आ रही हैं। ममता आज शाम लखनऊ पहुंचेगी और कल यानी मंगलवार को अखिलेश यादव के साथ साझा प्रेस कान्फ्रेंस और वर्चुअल रैली भी करेंगी।
ममता के लखनऊ दौरे के बड़े सियासी मायने हैं। जिस तरीके से ममता ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मात दी थी,अब अखिलेश ममता के साथ मिलकर यूपी में भी ममता के उसी मॉडल पर भाजपा को हराने की तैयारी कर रहें हैं। ममता ने जिस तरह बंगाल में खेला होईबे का नारा दिया था, अखिलेश ने भी राजभर के साथ मिलकर ‘यूपी में खदेड़ा होगा’ का नारा दिया हैं।
बंगाल में ‘खेला होइबे’ के बाद यूपी में ‘खदेड़ा होगा’ ?
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को अपना समर्थन दिया था। हालांकि वह प्रचार के लिए बंगाल नहीं गए थे, लेकिन ममता यूपी आ रही हैं। कहा जा रहा हैं कि ममता अपना समर्थन अखिलेश यादव को देंगी। साथ ही अखिलेश के साथ साझा वर्जुअल रैली को संबोधित करेंगी। यूपी में ममता का कोई जनाधार नही हैं, लेकिन जिस तरीके से भाजपा के तमाम बड़े चेहरे यूपी में लागातार रैली, चौपाल और डोर-टू-डोर कैंपेन कर महौल बना रहें हैं। अखिलेश यादव भी विपक्ष के बड़े चेहरों के साथ मिलकर जवाब देना चाहते हैं।
ममता की रणनीति को यूपी में अपनाएंगे अखिलेश:
पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव ने एक इतिहास बनाया। भाजपा ने बंगाल में ममता को हटाने के लिए पूरी ताकत लगा दी। भाजपा के पूरे देश के नेताओं की फौज खड़ी कर दी। पीएम मोदी और अमित शाह ने लागातार रैलियां की। पूरे चुनाव कैंपेन को बेहद अग्रेसिव बना दिया। लेकिन ममता ने अकेले दम पर मात दे दी। अब वही स्ट्रेटजी यूपी में अखिलेश अपनाने की कोशिश कर रहें हैं।
खदेड़ा होगा का नारा:
पश्चिम बंगाल में ममता ने खेला होईबे का नारा देकर पूरा चुनावी माहौल बदल दिया था। यूपी में अखिलेश ने 27 अक्टूबर को ओमप्रकाश राजभर के साथ मंच पर खड़ा होकर यूपी मे खदेड़ा होगा का नारा देकर महौल बदलने की कोशिश की।
छोटे दलों को साध कर जातीय समीकरण सेट किया:
भाजपा के सामने पश्चिम बंगाल में ममता एक चट्टान की तरह खड़ा रही। पूरा चुनाव भाजपा बनाम टीएमसी हो गया। बाकी दल चुनाव प्रचार के दौरान ही चुनावी महौल से बाहर हो गए। यूपी में अखिलेश ने भी चुनाव को भाजपा बनास सपा कर दिया हैं।
बंगाली अस्मिता VS बाहरी की लड़ाई:
बंगाल में ममता ने बंगली अस्मिता का सवाल उठाया। बंगाल की बेट बनाम बाहीर का नारा बनाया। यूपी में भी समाजवादी पार्टी पीएम मोदी- अमितशाह और योगी को बाहरी कहती हैं। अपने चुनाव प्रचार के दौरान अखिलश भी यूपी को बचाने की बात कहते हैं।
अपने गढ़ को मजबूत करना:
ममता बनर्जी ने अपने गढ़ को बचाने की कोशिश की। नंदीग्राम से चुनावी मैदान में उतरी। अखिलेश ने भी अपना यादव लैंड मजबूत करने के लिए चाचा शिवपाल को सथा ले लिया हैं। साथ ही पुर्वांचल और पश्चिमी यूपी के किले को मजबूत करने के लिए दुसरे दलों से समझौता भी किया हैं।
एक अकेला सब पर भारी:
पश्चिम बंगाल के चुनाव मे ममता के तमाम वजीर भाजपा में शामिल हो गए थे। ममता अकेले चुनाव को संभाला, बड़े फैसले खुद लिए। अखिलेश भी अब पार्टी की पूरी बागड़ोर अपने हाथ में रखे हैं। चुनावी टिकट से प्रचार तक की कमान खुद संभाल रहें हैं।
यूपी में ममता कितनी असरदार ?
यूपी में टीएमसी का कोई खास जनाधार नही हैं। सूबे के 75 जिलों में संगठन तक नही हैं। ऐसे में ममता बनर्जी अखिलेश यादव को कैसे फायदा पहुंचा पाएंगी? ममता बनर्जी पहले ही साफ कर चुकी हैं कि TMC यूपी में चुनाव नहीं लड़ेगी। टीएमसी का यूपी में जनाधार भी नहीं हैं लेकिन ममता का समर्थन अखिलेश की ताकत और बढ़ाएगा।
जिस तरह यूपी में बीजेपी और समाजवादी पार्टी में सीधे सीधे मुख्य मुकाबला देखा जा रहा हैं। जहां एक तरफ बीजेपी की ओर से पीएम मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, जेपी नड्डा, स्मृति इरानी जैसे तमाम बड़े नेता हर जिले में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, वहीं अखिलेश यादव का गठबंधन इस मामले में कमजोर नजर आ रहा हैं। ऐसे में ममता बनर्जी जैसे नेताओं का साथ अखिलेश की ताकत को बढ़ाएगा।