अमरनाथ यात्रा: 2 साल बाद फिर होगी अमरनाथ यात्रा, जानिए सबसे पवित्र गुफा का रहस्य और महत्व

Amarnath Yatra

अमरनाथ यात्रा  Amarnath Yatra दो साल बाद फिर से शुरू हो रही हैं। श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड ने इसकी घोषणा करते हुए बताया कि इस साल यात्रा 30 जून से शुरू होगी और 43 दिनों बाद 11 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन संपन्न होगी। ये फैसला उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में हुई श्राइन बोर्ड की बैठक में लिया गया।

2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने से ठीक पहले अमरनाथ यात्रा बीच में ही रद्द कर दी गई थी। तब जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य होने का दर्जा खत्म करके उसे दो केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर दिया गया था। इसके बाद कोरोना महामारी की वजह से दो साल से यात्रा स्थगित रही हैं। 2021 में 56 दिनों की यात्रा की घोषणा हुई थी, लेकिन कोरोना की वजह से बाद में उसे स्थगित कर दिया गया था।

2022 की अमरनाथ यात्रा से जुड़ी जरूरी बातें:

2022 की अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन 11 अप्रैल से शुरू होंगे और ये यात्रा 30 जून से 11 अगस्त तक चलेगी।

कोरोना महामारी के बाद ये पहली अमरनाथ यात्रा होगी। ऐसे में सभी श्रद्धालुओं को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।

13 साल से कम और 75 वर्ष से अधिक और 6 हफ्ते से ज्यादा की प्रेग्नेंट महिला को यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी।

इस बार फ्री बैट्री व्हीकल सुविधा का विस्तार बालटाल से डोमेल के 2 किलोमीटर लंबे यात्रा मार्ग पर करने का फैसला किया गया हैं।

अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए सुरक्षाबलों की 250 कंपनियों के करीब 1 लाख जवानों को तैनात करने की योजना हैं। इसमें CRPF के जवान प्रमुख होंगे।

Amarnath Yatra

क्या हैं अमरनाथ धाम और उसका महत्व?

माना जाता हैं कि अमरनाथ स्थित एक पवित्र गुफा में भगवान शिव एक बर्फ-लिंगम यानी बर्फ के शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। बर्फ से शिवलिंग बनने की वजह से इसे ‘बाबा बर्फानी’ भी कहते हैं।

पवित्र गुफा ग्लेशियरों, बर्फीले पहाड़ों से घिरी हुई हैं। गर्मियों के कुछ दिनों को छोड़कर यह गुफा साल के अधिकांश समय बर्फ से ढंकी रहती हैं। गर्मियों के उन्हीं दिनों में यह तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए खुली रहती हैं।

यह दुनिया का एकमात्र शिवलिंग हैं, जो चंद्रमा की रोशनी के आधार पर बढ़ता और घटता हैं। यह शिवलिंग श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पूरा होता हैं और उसके बाद आने वाली अमावस्या तक आकार में काफी घट जाता हैं। ऐसा हर साल होता हैं।

बर्फ के शिवलिंग के बाईं ओर दो छोटे बर्फ के शिवलिंग बनते हैं, उन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता हैं।

पवित्र गुफा की लंबाई 19 मीटर, चौड़ाई 16 मीटर और ऊंचाई 11 मीटर हैं।

कहां स्थित हैं अमरनाथ की पवित्र गुफा?

अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में 17 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले अमरनाथ पर्वत पर स्थित हैं। अमरनाथ गुफा श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर दक्षिण कश्मीर में हैं। यह गुफा लिद्दर घाटी के सुदूर छोर पर एक संकरी घाटी में स्थित हैं। ये पहलगाम से 46-48 किमोमीटर और बालटाल से 14-16 किलोमीटर दूर हैं। गुफा समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। यहां केवल पैदल या टट्टू द्वारा ही पहुंचा जा सकता हैं। तीर्थयात्री पहलगाम से 46-48 किलोमीटर या बालटाल से 14-16 किलोमीटर की दूरी की खड़ी, घुमावदार पहाड़ी रास्ते से गुजरने हुए यहां पहुंचते हैं।

कब बना श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड:

लंबे समय तक बूटा मलिक के परिजन, दशनामी अखाड़ा के पंडित और पुरोहित सभा मट्टन इस तीर्थस्थल के पारंपरिक सरंक्षक रहे। 2000 में जम्मू कश्मीर की फारूख अब्दुल्ला सरकार ने यात्रा की सुविधा को बढ़ाने के लिए श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड का गठन किया, जिसका मुखिया राज्यपाल को बनाया गया। श्राइन बोर्ड से मलिक के परिवार और हिंदू संगठनों को हटा दिया गया।

क्या हैं अमरनाथ यात्रा का पुराना और नया रास्ता?

अमरनाथ यात्रा का मार्ग समय के साथ बदलता रहा हैं। इस इलाके में सड़कों के निर्माण के साथ ही यात्रा मार्ग में भी बदलाव हुआ हैं। अब अमरनाथ की यात्रा के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता पहलगाम से शुरू होता हैं, जो करीब 46-48 किलोमीटर लंबा हैं। इस रास्ते से यात्रा करने में 5 दिन का समय लगता हैं। वहीं दूसरा रास्ता बालटाल से शुरू होता हैं, जहां से गुफा की दूरी 14-16 किलोमीटर हैं, लेकिन खड़ी चढ़ाई की वजह से इससे जा पाना सबके लिए संभव नहीं होता, इस रास्ते से यात्रा में 1-2 दिन का समय लगता हैं।

Amarnath यात्रा पर हुए हैं 36 आतंकी हमले:

अमरनाथ तीर्थयात्रियों को पहली धमकी 1993 में पाकिस्तान स्थित हरकत-उल-अंसार आतंकी संगठन की ओर से दी गई थी। अमरनाथ यात्रा पर पहला आतंकी हमला 2000 में हुआ था। इनमें 32 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 21 तीर्थयात्री थे। 2001 में तीर्थयात्रियों के कैंप पर आतंकियों के ग्रेनेड हमले में 13 लोगों की मौत हो गई थी। 2002 में दो आतंकी हमलों में 11 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। 2017 में आतंकियों की गोलीबारी में 8 तीर्थयात्री मारे गए थे। 2017 में सरकार ने लोकसभा में बताया था कि 1990 से 2017 तक यानी 27 वर्षों में अमरनाथ यात्रा पर 36 आतंकी हमले हुए, जिनमें 53 तीर्थ यात्रियों की मौत हुई, जबकि 167 घायल हुए।

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