नई दिल्ली: आज पूरा भारत उत्साह और हर्षोल्लास के साथ बाल दिवस (Children Day) मना रहा हैं। 14 नवंबर यानी पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू बच्चों को बच्चों को बहुत प्यार करते थे और बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू हमेशा बच्चों को भारत का भविष्य कहते थे। इस दिन स्कूलों में खेल-कूद, अन्त्याक्षरी, डांस, निबंध, भाषण, पेंटिंग की कई तरह की प्रतियोगिताएं होती हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार इलाहाबाद में हुआ था। आज हम आपको उनके बारे में कुछ रोचक किस्से और कहानियां बताते हैं।
चाचा नेहरू ने दिए बहन विजय लक्ष्मी पंडित के बिल के पैसे
पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित बहुत ज्यादा खर्चा करती थी। एक बार विजय लक्ष्मी पंडित शिमला के सर्किट हाउस में रुकी और वहां रहने का बिल 2500 रुपये आया, लेकिन वह बिना बिल दिए ही वहां से चली गई। उस समय तक हिमाचल प्रदेश का गठन नहीं हुआ था और शिमला पंजाब का हिस्सा था और भीमसेन सच्चर पंजाब के मुख्यमंत्री थे।
बिल न दिए जाने पर चाचा नेहरू को राज्यपाल चंदूलाल त्रिवेदी का पत्र मिला कि 2500 रुपये की राशि को राज्य सरकार के विभिन्न खर्चों के तहत दिखाया जाए। ये बात पंडित जवाहरलाल नेहरू को समझ नहीं आई। वहीं, राज्यपाल चंदूलाल त्रिवेदी ने नेहरू को झिझकते हुए पत्र लिखकर पूछा कि इस पैसे का हिसाब किस मद में रखा जाए। इस पर नेहरू ने कहा कि वे खुद ये पैसे देंगे. नेहरू ने पत्र में लिखा कि इस बिल का भुगतान एक बार में वे नहीं कर सकते हैं इसलिए वे पंजाब सरकार को 05 किश्तों में इसका भुगतान करेंगे। बाद में उन्होंने अपने निजी बैंक खाते से 05 महीने के लिए पंजाब सरकार को 500 रुपये के 05 चेक काटकर पैसे दिए।
नहीं करते थे लिफ्ट का इस्तेमाल
पंडित जवाहरलाल नेहरू के सुरक्षा अधिकारी केएम रुस्तमजी ने अपनी किताब ‘आई वाज नेहरूज शैडो’ में लिखा कि जब वे उनके सुरक्षा स्टाफ में शामिल हुए तो उनकी उम्र 63 वर्ष थी। उस समय नेहरू जी 33 साल के लगते थे। उस समय भी जवाहरलाल नेहरू काफी फुर्तीले थे और वे कभी भी लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं करते थे।
टैक्सी वाला अनोखा किस्सा
सूत्रों के अनुसार, एक बार की बात हैं कि जब चाचा नेहरू ऑफिस जा रहे थे तो उनके कार साउथ एवेन्यू के पास पंचर हो गई थी। वहीं, एक सरदार टैक्सी ड्राइवर ने दूर से नेहरू को देखा तो वह अपनी टैक्सी लेकर पहुंचा, बोला कि आप मेरी टैक्सी में बैठेगें तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
चाचा नेहरू टैक्सी में बैठ गए और ऑफिस जाकर जेब मे पैसे ढूढ़ने लगे, तो देखा कि जेब में पैसे नहीं हैं। ये देख टैक्सी वाले ने कहा कि आप मुझे पैसे देखकर शर्मिंदा कर रहे हैं, मैं आपसे पैसे कैसे ले सकता हूं। इसके बाद उसने कहा कि अब तो मैं पांच दिन तक इस सीट पर किसी को बिठाउंगा ही नहीं।
फटे जुराब सिलाई करके पहने
दूसरा किस्सा बताते हुए केएम रुस्तमजी ने लिखा कि एक बार डिब्रूगढ़ यात्रा के दौरान जब वे नेहरू जी के कमरे में गए तो उन्होंने देखा कि प्रधानमंत्री का सहायक उनके फटे हुए जुराब की सिलाई कर रहा था। चाचा नेहरू को चीजें बर्बाद करना पसंद नहीं था।