श्रद्धा वॉकर मर्डर केस: दोस्त लक्ष्मण ने किये खुलासे

Shraddha murder case 5 days police remand to Aftab

नई दिल्ली: दिल्ली के छतरपुर में हुए श्रद्धा वॉकर मर्डर केस (Shraddha walker Murder Case) में उसके बचपन के दोस्त लक्ष्मण नाडर की चिंता ने ही श्रद्धा हत्याकांड का पर्दाफाश कराया। परिवार से तो श्रद्धा ने बातचीत करना बंद कर दिया था। लेकिन वह अपने बचपन के दोस्त लक्ष्मण से संपर्क में थी। फिर श्रद्धा के भाई और पिता को बताया कि श्रद्धा संपर्क नहीं हो पा रहा हैं और उसका फोन भी बंद आ रहा हैं। इसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा और श्रद्धा की बेहरमी से हत्या किए जाने के मामले का खुलासा हुआ।

लक्ष्मण के मैसेज का कोई जवाब नहीं मिल रहा था 

लक्ष्मण ने बताया कि श्रद्धा को लेकर अगस्त से चिंता बढ़ने लगी थी। 02 महीने से हम संपर्क में नहीं थे। श्रद्धा किसी भी मैसेज का रिप्लाई नहीं कर रही थी। इसके बाद से ही मेरी चिंता और ज्यादा बढ़ने लगी। फिर मेरे और श्रद्धा के कॉमन दोस्तों से श्रद्धा के बारे में पूछा। मगर, उन लोगों ने भी संपर्क नहीं होने की बात कही। फिर मैंने श्रद्धा के भाई को पूरी बात बताई और उनसे कहा कि वे पुलिस की मदद लें।

‘पहले भी आफताब को समझाया था

लक्ष्मण ने बताया कि श्रद्धा और आफताब का बहुत झगड़ा होता था। एक बार श्रद्धा ने मुझे वाट्सएप पर मैसेज किया। उसने मुझसे कहा कि मुझे यहां से बचा लो। अगर में यहां में रात भर रही, तो आफताब मुझे मार डालेगा। इसके बाद हम सभी दोस्त मिलकर उनके फ्लैट पर पहुंचे और श्रद्धा को बचाया।

फिर हम दोस्तों ने आफताब को चेतावनी भी दी थी। उससे कहा था अगर उसने फिर से श्रद्धा को परेशान किया, तो पुलिस से शिकायत कर देंगे। मगर, श्रद्धा ने ही पुलिस के पास जाने से मना कर दिया और आफताब के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने से हमें रोक दिया था।

इतने टुकड़ों में काटी श्रद्धा की लाश 

आफताब ने श्रद्धा की दिल्ली वाले फ्लैट में हत्या की। फिर आरी से उसके शरीर के 20 टुकड़े कर दिए। हाथ के तीन टुकड़े किए, पैर के भी तीन टुकड़े किए। फिर बाजार से बड़ा से फ्रिज खरीदकर लाया और बॉडी को उसमें भर दिया। किसी को बदबू नहीं आए। इसलिए फ्लैट में दिन भर अगरबत्ती जलाता था।

आफताब ने श्रद्धा के किए 35 टुकड़े, हर रात जंगल में फेंकता था 2 अंग

अलग-अलग इलाकों में फेंक देता था लाश के टुकड़े

लाश को ठिकाने लगाने के लिए आफताब रात में पिट्ठू बैग में शव के कुछ टुकड़ों को लेकर शहर और जंगल के अलग-अलग इलाकों में फेंक देता था। उसे लगा था कि कोई भी इस तरह उसे पकड़ नहीं पाएगा। वह अपने घर के आस-पास के लोगों से भी ज्यादा बात नहीं करता था।

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