ईटानगर: ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह को मनमाने तरीके से मोड़ने का काम तो चीन 11 साल से कर ही रहा हैं, लेकिन इस बार उसने बड़ी चाल चली हैं। अरुणाचल में LaC से सिर्फ 30 KM दूर चीन सबसे बड़ा बांध बना रहा हैं। यह चीन के मौजूदा सबसे बड़े थ्री-जॉर्ज डैम से भी थोड़ा बड़ा होगा। यह 181 मीटर ऊंचा और ढाई किमी चौड़ा होगा। लंबाई की जानकारी अभी स्पष्ट नहीं की गई हैं। 60,000 मेगावॉट बिजली पैदा करने की क्षमता का यह बांध मेडोग बॉर्डर पॉइंट के पास बनेगा। यहीं से ब्रह्मपुत्र भारत में प्रवेश करती हैं।
चीन की चाल का काट तैयार
चीन की चाल को देखते हुए केंद्र सरकार ने ब्रह्मपुत्र पर प्रस्तावित 03 परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने की दिशा में काम शुरू कर दिया हैं। इन परियोजनाओं के तहत 04 बड़े बांध बनेंगे। एक प्रोजेक्ट को अभी केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों से मंजूरी मिलनी बाकी हैं।
सूत्रों के मुताबिक अगले कुछ दिनों में पर्यावरण संबंधी सभी जरूरी मंजूरियां भी मिल जाएंगी क्योंकि, चीन वाटर बैटल से नुकसान पहुंचा सकता हैं। इन परियोजनाओं को 03 साल में पूरा करने लक्ष्य तय किया जा रहा हैं। जिन दो परियोजनाओं पर काम चल रहा हैं, सुरक्षा कारणों की वजह से उनकी स्टेटस रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा रही हैं।
तवांग झड़प के बाद मोर्चे पर हमारे लड़ाकू विमान
तवांग में भारत और चीन के सैनिकों की झड़प के बाद इंडियन एयरफोर्स (IAF) ने अरुणाचल सीमा पर कॉम्बैट एयर पेट्रोलिंग, यानी जंगी उड़ानें शुरू कर दी हैं। 09 दिसंबर को तवांग में हुई झड़प से पहले भी चीन ने अरुणाचल सीमा में अपने ड्रोन भेजने की कोशिश की थी। इसके बाद IAF ने तुरंत अपने लड़ाकू विमान अरुणाचल सीमा पर तैनात किए थे।