चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस में CM के चेहरे के लिए जारी घमासान के बीच पार्टी सेफ गेम खेल सकती हैं। इसमें चरणजीत चन्नी और पंजाब कांग्रेस के चीफ नवजोत सिंह सिद्धू Channi and Sidhuको ढाई-ढाई साल के लिए CM का चेहरा बनाया जा सकता हैं। हालांकि, सरकार बनने के बाद पहले CM कौन बनेगा, इसका फैसला चुनकर आए पार्टी MLA करेंगे। दरअसल, पंजाब चुनाव में वोट बैंक का गणित ऐसा हैं कि कांग्रेस किसी एक का नाम लेकर रिस्क नहीं ले सकती।
पंजाब में कांग्रेस कल (रविवार) को CM के चेहरे की घोषणा करेगी। इसके लिए राहुल गांधी लुधियाना आएंगे। वे लुधियाना से वर्चुअल रैली के जरिए दोपहर 2 बजे CM फेस का ऐलान करेंगे। राहुल की वर्चुअल रैली को पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा।
पढ़ें… कांग्रेस के लिए सेफ गेम क्यों जरूरी?
पहले चरणजीत चन्नी के लिहाज से समझिए:
चरणजीत चन्नी को CM चेहरा नहीं बनाने पर कांग्रेस को सीधे 32% दलित वोट बैंक का नुकसान होगा। अगर कांग्रेस ने चन्नी का साथ छोड़ा तो दलितों के बीच गलत संदेश जाएगा। इससे लगेगा कि कांग्रेस ने चन्नी को सिर्फ वोट बटोरने के लिए ही कामचलाऊ CM बना रखा था।
कांग्रेस अभी चन्नी के 111 दिन के कामकाज पर ही वोट मांग रही हैं। इससे पहले साढ़े 4 साल की सरकार वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के साथ गठजोड़ कर चुके हैं। अगर चन्नी ही चेहरा नहीं होंगे तो कांग्रेस किस आधार पर वोट मांगेगी।
अब पढ़ें… नवजोत सिद्धू क्यों जरूरी:
पंजाब में नवजोत सिद्धू कांग्रेस के लिए बड़ा चेहरा हैं। सिद्धू पर दांव खेलकर ही कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से CM की कुर्सी छीन ली। सिद्धू के कहने पर ही कई सीटों पर टिकटें दी गईं।
नवजोत सिद्धू को नजरअंदाज कर पंजाब में सीधे 19% जट्टसिख वोट बैंक का नुकसान होगा। कांग्रेस यह संदेश नहीं देना चाहती कि वह पंजाब में सिर्फ दलितों पर ही दांव खेल रही हैं। इससे 69 सीटों वाले सबसे बड़े मालवा क्षेत्र में कांग्रेस का बड़ा नुकसान होगा।
कांग्रेस को डर हैं कि अगर सिद्धू CM चेहरा न बने तो वह अचानक कोई ऐसा कदम उठा सकते हैं जिससे बीच चुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किल हो जाएगी। सिद्धू पहले भी DGP और एडवोकेट जनरल न बदलने के मुद्दे पर इस्तीफा देकर सबको चौंका चुके हैं। ऐसे में पार्टी को चुनाव में नुकसान होगा और विरोधी भी इस मुद्दे को खूब भुनाएंगे।
कांग्रेस के लिए दलित और जट्टसिख वोट बैंक जरूरी:
कांग्रेस के लिए पंजाब में दलित और जट्टसिख वोट बैंक जरूरी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हिंदू वोट बैंक में कांग्रेस को बड़ी मुश्किल हो रही हैं। उनके बड़े हिंदू चेहरे सुनील जाखड़ प्रचार से दूर हैं। वहीं, कुछ दिन पहले उन्होंने उनके हक में 42 विधायक होने के बावजूद CM न बनाने की बात कह दी, जिसे विरोधियों ने मुद्दा बना दिया कि हिंदू होने की वजह से कांग्रेस ने जाखड़ को CM नहीं बनाया। वहीं शहरों में कैप्टन और भाजपा गठजोड़ भी कांग्रेस को हिंदू वोट बैंक का नुकसान पहुंचा सकता हैं। ऐसे में कांग्रेस का चन्नी-सिद्धू की जोड़ी पर दांव खेलना मजबूरी बन चुका हैं।
अब समझिए… इससे कांग्रेस को फायदा क्या?
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की विदाई के बाद कांग्रेस में खींचतान मची हुई हैं। ऐसे में किसी एक चेहरे को आगे करना कांग्रेस के लिए पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा हैं। अब ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले के बाद नवजोत सिद्धू और चरणजीत चन्नी अपने समर्थक उम्मीदवारों को जिताने के लिए पूरा जोर लगाएंगे, ताकि वह पहले CM की कुर्सी तक पहुंच सकें। इससे कांग्रेस पूरा जोर लगाएगी कि सत्ता में वापसी की जा सके। पहले किसे CM बनाना हैं, इसकी चाबी कांग्रेस हाईकमान के पास ही रह जाएगी। कांग्रेस में यही परंपरा रही हैं।
क्या इसीलिए कांग्रेस सर्वे का तरीका नहीं बता रही?
कांग्रेस के पंजाब इंचार्ज हरीश चौधरी ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में यह तो कहा कि कल राहुल गांधी CM चेहरे की घोषणा करेंगे, लेकिन यह चेहरा कैसे तय किया गया, इस पर चौधरी खामोश रहे। साफ हैं कि सर्वे क्या हुआ, उसका परिणाम क्या रहा, इसका पता सिर्फ कांग्रेस हाईकमान को ही रहेगा। ऐसे में राहुल गांधी जो कहेंगे, वह चन्नी और सिद्धू को मानना ही होगा। दोनों पहले भी इसका भरोसा दे चुके हैं।