नई दिल्ली: कोरोना से मौत पर मुआवजा Corona compensation देने में ढिलाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने शुक्रवार को राज्यों को कड़ी फटकार लगाई हैं। अदालत ने राज्यों से कहा कि आप तकनीकी आधार पर क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकते हैं। क्लेम एप्लीकेशन आने के 10 दिन के भीतर मुआवजा दिया जाए। महाराष्ट्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख शब्दों में कहा कि आप कोई चैरिटी नहीं कर रहे हैं। यह आपका फर्ज हैं और आपको इसे दिल से करना चाहिए। दरअसल, राज्य महज इस आधार पर मुआवजा देने से इनकार कर दे रहे हैं कि एप्लीकेशन ऑनलाइन सबमिट करने के बजाए फिजिकली ऑफलाइन जमा कराई गई हैं। ऐसे मामले सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में सामने आए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को मुआवजा देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया हैं। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने ‘ऑफलाइन’ एप्लीकेशन को रिजेक्ट किए जाने के मामलों को बेहद गंभीरता बताया हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वाले लोगों की फैमली को 50,000 रुपए का मुआवजा देने का आदेश राज्य सरकारों को दिया था। यह मुआवजा स्टेट डिजास्टर फंड से दिया जाना था।
एक सप्ताह में एप्लीकेशन का रिव्यू कर मुआवजा दें राज्य:
![compensation Supreme Court](https://newzcities.in/wp-content/uploads/2022/02/covid-deaths_1643997713.jpg)
मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस शाह और जस्टिस नागरत्ना की बेंच ने राज्य सरकारों को ऐसे परिवारों को मुआवजा देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया हैं, जिनके क्लेम ऑफलाइन फाइल किए जाने के कारण रिजेक्ट किए गए हैं। बेंच ने कहा, सभी राज्य सरकारों को हर एप्लीकेशन को रिसीव करना हैं, चाहे वह ऑनलाइन जमा की गई हो या ऑफलाइन। रिजेक्ट की गई सभी एप्लीकेशन का अगले एक सप्ताह में रिव्यू किया जाए और पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए।
‘तकनीकी खामी’ के आधार पर रिजेक्ट नहीं हो सकती एप्लीकेशन:
सुप्रीम कोर्ट बेंच ने साफतौर पर राज्यों से कहा हैं कि किसी भी मुआवजा एप्लीकेशन को रिजेक्ट करने का आधार उसमें ‘तकनीकी खामी’ नहीं हो सकता। बेंच ने राज्यों को मुआवजा एप्लीकेशंस का रिव्यू करने के लिए एक डैडीकेटेड ऑफिसर को नोडल ऑफिसर के तौर पर अपॉइंट करने को कहा हैं, जो कम से कम चीफ मिनिस्टर सचिवालय के डिप्टी सेक्रेटरी रैंक का होगा। यही अधिकारी मुआवजा देने का निर्णय करेगा।
राज्य महामारी में अनाथ बच्चों को दे कानूनी सेवा:
![compensation Supreme Court](https://newzcities.in/wp-content/uploads/2022/02/orphaned-child_1643997760.webp)
बेंच ने राज्यों को यह भी आदेश दिया हैं कि वे अपनी लीगल सर्विस अथॉरिटीज को मैदान में उतारें और कोरोना वायरस के कारण अपने परिवार का सदस्य खोने वाले सभी परिवारों का पूरा ब्योरा उन्हें उपलब्ध कराएं। खासतौर पर जो बच्चे महामारी के कारण अनाथ हुए हैं, उन्हें कानूनी सेवा मुहैया कराई जाए।
मुआवजे के चेक बाउंस होने से भी कोर्ट हैरान:
सुप्रीम कोर्ट बेंच एडवोकेट गौरव बंसल की याचिका पर सुनवाई कर रही हैं। एडवोकेट बंसल ने कोर्ट के सामने वे मीडिया रिपोर्ट पेश कीं, जिनमें कर्नाटक में मुआवजे के तौर पर मिले चेक भी बाउंस हो जाने का जिक्र किया गया हैं। बेंच ने इस पर हैरानी जताई और इसे बेहद सीरियस मैटर बताया। बेंच ने कर्नाटक के स्टेट काउंसल को इस आरोप की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया हैं।
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5 लाख से ज्यादा मौत हो चुकी हैं भारत में:
भारत में कोरोना वायरस से मरने वाले मरीजों की संख्या 5 लाख के पार पहुंच गई हैं। देश में अब तक 4.20 करोड़ लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं, जिनमें 5,01,110 लोगों की जान इस महामारी के कारण गई हैं।