लालू को सजा का ऐलान: थोड़ी देर में सुनाई जाएगी सजा, दोषियों की हाजिरी शुरू, लालू यादव का ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल बढ़ा

lalu yadav

पटना/ रांची: चारा घोटाला के सबसे बड़े मामले डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी में बिहार के पूर्व CM और RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद Lalu Yadav को आज सजा सुनाई जाएगी। रांची में CBI के विशेष जज एसके शशि सजा का ऐलान करेंगे। वहीं, केस से जुड़े लोगों को ही कोर्ट में रहने की अनुमति दी गई हैं।

पटना में राबड़ी आवास के बाहर सन्नाटा:

lalu yadav

इधर, सजा के ऐलान के पहले लालू की तबीयत और बिगड़ गई हैं। उनका ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल बढ़ गया हैं। लालू प्रसाद यादव पर पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट में भारी सुरक्षा इंतजाम किए गए थे लेकिन आज केवल उनके समर्थक पार्टी के बड़े नेता, अधिवक्ता और मीडिया का जमावड़ा हैं। सुरक्षा के कोई अतिरिक्त प्रबंध कोर्ट में नहीं किए गए हैं।

सजा के दिन Lalu के गांव में पूजा-अर्चना:

लालू यादव को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सजा सुनाई जाएगी। लालू यादव RIMS के पेइंग वार्ड से इसमें जुड़ेंगे। वहीं इस मामले में जेल में बंद दूसरे आरोपियों के लिए होटवार जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था की गई हैं। यहां एक बड़ी LED स्क्रीन पर सभी दोषी अपना फैसला सुनेंगे।

6 साल से ज्यादा सजा हुई तो 6 महीने जेल में रहना होगा:

चारा घोटाले के कुल मामले में लालू यादव 36 महीने 19 दिन जेल में बिता चुके हैं। हाई कोर्ट के वकील के मुताबिक अगर लालू यादव को 6 साल से अधिक की सजा सुनाई जाती हैं तो कम से कम 6 महीने तक जेल में बिताना होगा। इसके बाद ही वे हाईकोर्ट में जमानत के लिए अपील दायर कर सकते हैं।

जानिए, डोरंडा ट्रेजरी घोटाला आखिर हैं क्या?

डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के इस मामले में पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर पर ढोने की कहानी हैं। यह उस वक्त का देश का पहला मामला माना गया जब बाइक और स्कूटर पर पशुओं को ढोया गया हो। यह पूरा मामला 1990-92 के बीच का हैं। CBI ने जांच में पाया कि अफसरों और नेताओं ने मिलकर फर्जीवाड़े का अनोखा फॉमूर्ला तैयार किया।

इसे भी पढ़े: चारा घोटाले के 5वें केस में भी लालू यादव दोषी: डोरंडा ट्रेजरी घोटाले में हिरासत में लिए गए RJD सुप्रीमो, सजा का ऐलान 21 फरवरी को

400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से कथित तौर पर स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया, ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसें पैदा की जा सकें। पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान 2,35, 250 रुपए में 50 सांड़, 14, 04,825 रुपए में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *