नई दिल्ली: पर्यटन (Tourism) विश्व का सबसे बड़ा क्षेत्र है। यही वजह है कि पर्यटन क्षेत्र किसी भी देश की आर्थिक संवृद्धि और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही भारत में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तीन दिवसीय टूरिज्म कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है। यह रविवार 18 सितंबर से शुरू हो चुका है। इस सम्मेलन में खास बात यह रहेगी कि इस दौरान टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर प्रमुख रूप से चर्चा की जाएगी जिसमें टूरिज्म क्षेत्र के इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ नेशनल टूरिज्म पॉलिसी पर बात की जाएगी। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस महामंथन के माध्यम से देश में एक बार फिर पर्यटन के क्षेत्र में तेजी आएगी।
इस सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, अनुराग सिंह ठाकुर, अश्विनी वैष्णव और ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्य मंत्रियों के सम्मेलन में पर्यटन विकास से संबंधित अपने विचार रखेंगे। साथ ही देश की प्रसिद्ध हस्तियां भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव, विश्व प्रसिद्ध सद्गुरु जग्गी वासुदेव और मशहूर उद्योगपति महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा देश में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अपने महत्वपूर्ण मौलिक सुझाव देंगे।
हिमालय की गोद में बसे धर्मशाला में हो रहा राष्ट्रीय सम्मेलन
उल्लेखनीय हो हिमालय की गोद में बसे धर्मशाला में 18 से 20 सितंबर तक राज्यों के पर्यटन मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। इस सम्मेलन में केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि नेशनल टूरिज्म पॉलिसी के अलावा ईको टूरिज्म, ग्रीन टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म को देश में कैसे बढ़ाया जाए, भारत सरकार इस दिशा में काम कर रही है। इसके साथ ही हिमालयी क्षेत्र और स्पिरिचुअल टूरिज्म के विकास पर भी फोकस किया गया है।
कई राज्यों के पर्यटन मंत्री कर रहे हैं शिरकत
बताना चाहेंगे पर्यटन को बढ़ाने के लिए हो रहे इस महामंथन में कई राज्यों के पर्यटन मंत्री भी शिरकत कर रहे हैं। इस सम्मेलन में अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, असम, त्रिपुरा, मिजोरम, गोवा, मेघालय, कर्नाटक, लद्दाख, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, जम्मू कश्मीर, झारखंड, केरल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के पर्यटन मंत्रियों सहित करीब 250 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।
पर्यटन पर यह महामंथन क्यों है बेहद खास ?
सम्मेलन के दौरान पर्यटन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा के साथ-साथ वन्य जीव पर्यटन, उत्तरदायी पर्यटन, जी 20 के पर्यटन संबंधी पहलुओं जैसे अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। यह सम्मेलन इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि इसके अंतर्गत पर्यटन मंत्रालय की विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जिसमें पर्यटन अवसंरचना का विकास सांस्कृतिक, आध्यात्मिक व धरोहर पर्यटन, हिमालयी राज्यों में पर्यटन, उत्तरदायी एवं सतत पर्यटन, पर्यटन स्थलों या गंतव्यों के विवरण एवं प्रचार प्रसार में डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका, भारतीय आतिथ्य क्षेत्र में होम स्टे का उभरता हुआ महत्व, आयुर्वेद वेलनेस व मेडिकल वैल्यू ट्रेवल और घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देना शामिल है।
GDP के लिहाज से पर्यटन का अहम योगदान
गौरतलब है कि GDP के लिहाज से पर्यटन का अहम योगदान होता है, लेकिन हम जानते हैं कि कोरोना के बाद पूरी दुनिया में बहुत से बदलाव देखने को मिले। कोरोना का सबसे ज्यादा प्रभाव पर्यटन क्षेत्र पर पड़ा। इस चलते पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश में हो रहे महामंथन में पर्यटन के साथ-साथ होम स्टे और वेलनेस पर बहुत जोर दिया जा रहा है। उस लिहाज से आने वाला समय पर्यटन के लिए काफी अच्छा होगा।
टूरिज्म आधारित Hospitality Entrepreneurship को मिलेगा बढ़ावा
पर्यटन उद्योग को बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार हर स्तर पर कार्य कर रही है। केंद्र सरकार पर्यटक आधारित उद्योग को भी बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकार ने अतिरिक्त 50 हजार करोड़ का इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम का आवंटन किया है। इससे टूरिज्म आधारित हॉस्पिटैलिटी आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा मिलेगा।
टूरिज्म इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खास फोकस
ज्ञात हो देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश में टूरिज्म इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खास फोकस किया जा रहा है क्योंकि जो टूरिस्ट बाहर से घूमने आते हैं तो उनको पैसा खर्च करने के बदले सुविधाओं की जरूरत होती है। सरकार इन सुविधाओं को उपलब्ध करवाने का कार्य करती है। ऐसे में लोगों को बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर और लोकल इंफ्रास्ट्रक्चर किस प्रकार दिया जाए कि लोग आएं और सुविधा लें व दूसरी बार आने के बारे में सोचें। वहीं सरकार द्वारा कई धार्मिक सर्किट भी विकसित किए जा रहे हैं। पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति को इनके माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। जब कभी पर्यटन के क्षेत्र के विकास की बात होती है तो उससे रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसे में रोजगार के क्षेत्र में तेजी आने की संभावना है।
देश को मिल सकती है नेशनल टूरिज्म पॉलिसी
केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा है कि बजट सत्र से पहले देशभर में नेशनल टूरिज्म पॉलिसी लागू होगी। इस पॉलिसी के तहत ‘विकास भी और विरासत भी’ की तर्ज पर देश में टूरिज्म सेक्टर का विकास किया जाएगा। फिलहाल, टूरिज्म क्षेत्र में इस पॉलिसी को लेकर बात चल रही है। ऐसे में ये पॉलिसी देश में पर्यटन के विकास के लिए बेहद अहम साबित होने वाली है। क्योंकि नई टूरिज्म पॉलिसी में तमाम क्षेत्रों के विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खास फोकस किया गया है।
पर्यटन का देश की GDP में कितना योगदान ?
जीडीपी वृद्धि, विदेशी मुद्रा आय और रोजगार में पर्यटन क्षेत्र का प्रमुख योगदान रहता है। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में वैश्विक यात्रा तथा पर्यटन को कमजोर करने वाला प्रभाव पड़ा। इसके चलते पर्यटन से कमजोर राजस्व के बावजूद प्राप्तियों और भुगतान के महामारी से पहले के स्तरों पर पहुंचने के साथ सकल सेवाओं में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गई। भारत लगातार पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्य कर रहा है। यही कारण है कि इस बार बजट में पर्यटन मंत्रालय के लिए 2,400 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि निर्धारित की गई। यह बजट राशि 2021-22 की तुलना में 18.42 % अधिक है और इसका उपयोग मंत्रालय द्वारा पर्यटन बुनियादी ढांचे, विपणन एवं प्रचार और क्षमता निर्माण के विकास के लिए किया जाएगा।
पर्यटन के विकास के लिए 76 प्रोजेक्ट को मंजूरी
2,400 करोड़ रुपए में से 1,644 करोड़ रुपए पर्यटन बुनियादी ढांचे के विकास हेतु निर्धारित किए गए हैं, जिसमें स्वदेश दर्शन योजना के लिए 1181.30 करोड़ रुपए का परिव्यय शामिल है। स्वदेश दर्शन योजना पर्यटन मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसके तहत मंत्रालय द्वारा 13 विषय-क्षेत्र-संबंधी सर्किट में 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
इस बजट आवंटन से मंत्रालय को व्यवस्था के तहत चल रही परियोजनाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी और निर्मित बुनियादी ढांचा, छोटे तथा कम ज्ञात स्थलों पर पर्यटकों को बेहतर पर्यटन अनुभव प्रदान करेगा। स्वदेश दर्शन योजना के तहत 55 नए स्थलों को विकसित करने की योजना बनाई जा रही है और मंत्रालय पूर्वोत्तर, हिमालयी क्षेत्र, जनजातीय क्षेत्र आदि पर अपना ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगा।
मंत्रालय के एक अन्य प्रमुख कार्यक्रम अर्थात ‘प्रसाद योजना’ का उद्देश्य देश में चयनित तीर्थ स्थलों का समग्र विकास करना है। ‘प्रसाद योजना’ के लिए 235 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है। योजना के तहत विकास के लिए उठाए गए घटकों में क्लॉक रूम सुविधाएं, प्रतीक्षा कक्ष, निर्देशक या चेतावनी संकेतक, यात्री टर्मिनल, स्मारकों/तीर्थयात्रा स्थलों पर रोशनी, पार्किंग सुविधाएं, अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी, कचरे के डिब्बे, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, शिल्प हाट आदि का निर्माण कार्य शामिल हैं।
प्रसाद योजना के तहत कुल 37 परियोजनाओं को मंजूरी
प्रसाद योजना के तहत कुल 37 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 17 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। शेष आवंटन राशि का उपयोग अन्य योजनाओं जैसे सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण, चैंपियन सेवा क्षेत्र योजना, सूचना प्रौद्योगिकी आदि के साथ-साथ मंत्रालय एवं उसके अधीनस्थ कार्यालयों तथा देश व विदेश में भारत के पर्यटन कार्यालयों के स्थापना कार्य को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
पर्यटन मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के तहत 278 पार्किंग स्थल, 278 शौचालय, 181 कैफेटेरिया और 34 साउंड एंड लाइट शो विकसित किए हैं। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र पर्यटन के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। बजट में इस क्षेत्र के लिए एक प्रमुख सहयोग मिला है। पूर्वोत्तर के लिए पीएम विकास पहल, पीएम-डिवाइन, जिसे उत्तर-पूर्वी परिषद के माध्यम से लागू किया जा रहा है, पीएम गति शक्ति और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की स्वास्थ्य जरूरतों के आधार पर सामाजिक विकास की भावना में बुनियादी ढांचे को वित्त पोषित करेगा। इससे खासतौर पर उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के युवाओं एवं महिलाओं को फायदा होगा। इसके लिए शुरुआती तौर पर 1,500 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए हैं। पर्यटन मंत्रालय ने वर्ष 2022-23 के लिए उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों को 227 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं जिसमें जनजातीय क्षेत्रों में पर्यटन के बुनियादी ढांचे के निर्माण हेतु जनजातीय उप योजना के तहत 98 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं।
घरेलू पर्यटन में बड़ी वृद्धि
भारत ने घरेलू पर्यटन में बड़ी वृद्धि देखी है और रेलवे इस क्षेत्र में नए विकास का प्रमुख योगदानकर्ता हैं। इसलिए 400 नई पीढ़ी की वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें विकसित की जा रही हैं। इनका निर्माण अगले 3 वर्षों में किया जाएगा और इससे दक्षता तथा यात्री अनुभव में सुधार होगा। दुर्गम इलाकों में कनेक्टिविटी में सुधार तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम पीपीपी मॉडल के तहत सड़क संपर्क सुविधा के स्थाई विकल्प के रूप में रोपवे का विकास किया जाएगा।