गुरु नानक जयंती: अपने ज्ञान का घमंड न करें और दूसरों के ज्ञान का सम्मान जरूर करें

Guru Nanak Jayanti boast of knowledge & respect knowledge 

नई दिल्ली: आज (08 नवंबर) गुरु नानक जी (Guru Nanak Jayanti) की जयंती हैं। गुरु नानक के विचार और उनसे जुड़े किस्सों के सूत्र अपने जीवन में उतार लेने से हमारी कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं। नानक जी की जयंती पर जानिए उनसे जुड़ा एक ऐसा किस्सा, जिसमें उन्होंने संदेश दिया हैं कि हमें दूसरों के ज्ञान का सम्मान करना चाहिए।

जब विद्वानों के गांव पहुंचे गुरु नानक

गुरु नानक देव अपने शिष्यों के साथ एक ऐसे गांव पहुंचे, जहां के लोग बहुत विद्वान थे। वह गांव ज्ञानी लोगों की वजह से बहुत प्रसिद्ध था। गुरु नानक ने गांव में प्रवेश नहीं किया और गांव के बाहर ही डेरा डाल दिया। ये देखकर सभी शिष्य हैरान थे कि नानक जी गांव के बाहर ही क्यों रुके हैं।

जब गांव के लोगों को गुरु नानक के बारे में मालूम हुआ तो कुछ लोग उनके डेरे में पहुंचे। गांव के लोग एक गिलास में दूध लेकर आए थे। गिलास में दूध लबालब भरा हुआ था। नानक जी ने गिलास देखा और उसमें गुलाब की कुछ पंखुड़ियां डाल दीं। गांव के लोग वह गिलास लेकर वापस चले गए। सभी शिष्य ये दृश्य देख रहे थे।

कुछ देर बाद उस विद्वान गांव के लोग गुरु नानक के पास पहुंचे और अपने गांव में आने के लिए उन्हें निमंत्रण दिया। ये देखकर शिष्यों की हैरानी और बढ़ गई थी।

गांव के लोगों के जाने के बाद शिष्यों ने गुरु नानक से इस बारे में पूछा। नानक जी ने कहा कि मुझे इस गांव के बारे में पहले से मालूम है, ये विद्वानों का गांव हैं। इनकी ये एक सांकेतिक भाषा थी। पहले ये लोग दूध का गिलास लबालब भरकर लाए थे, इसका मतलब ये था कि गांव के सभी लोग ज्ञानी हैं, आप हमें क्या देने आए हैं?

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मैंने उस दूध के गिलास पर गुलाब की पंखुड़ियां रखकर ये संदेश दिया कि हम आपके ज्ञान के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेंगे। हम बस हमारी अब तक जो भी समझ हैं, वह आपके साथ साझा करके लौट जाएंगे।

गांव के लोगों को ये बात अच्छी लगी और हमें गांव में आने के लिए आमंत्रित किया।

गुरु नानक का संदेश

इस किस्से में गुरु नानक ने संदेश दिया हैं कि हमें कभी भी अपने ज्ञान का घमंड नहीं करना चाहिए और दूसरों के ज्ञान का सम्मान करना चाहिए। तभी हमें समाज में सम्मान मिलता हैं। जब भी किसी विद्वान से मिलना हो तो विनम्र होकर ही मिलना चाहिए। ज्ञानी व्यक्ति विनम्रता से ही प्रसन्न होते हैं।

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