नई दिल्ली: परमाणु शक्ति से सम्पन्न भारत विश्व में सम्मान से खड़ा है। चाहे वह आर्थिक, सामाजिक या विश्व शांति से जुड़े पहलू हो, आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। साल 1960 के दशक में विकसित देश द्वारा विकासशील देशों को लगातार ये सलाह दी जा रही थी कि इन्हें परमाणु शक्ति संपन्न होने से पहले दूसरे पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। इसके बावजूद परमाणु ऊर्जा की संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए Dr Homi Bhabha ने अथक प्रयास किए, जिसके परिणामस्वरूप परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को कई सफलता मिली। भारत में परमाणु ऊर्जा के जनक कहे जाने वाले डॉ होमी जहांगीर भाभा को उनकी पुण्यतिथि पर देश याद कर रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं भारतीय परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में डॉ होमी भाभा का योगदान और भारतीय परमाणु ऊर्जा की वर्तमान स्थिति के बारे में…
भारत के पास 22 नाभिकीय ऊर्जा रिएक्टर
डॉ होमी भाभा के अथक प्रयासों का परिणाम ही है कि आज भारत इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज के समय भारत में 5 परमाणु शोध केंद्र हैं, जिनमें भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान, मुम्बई , उन्नत तकनीकी केंद्र, इंदौर, इंदिरा गांधी परमाणु ऊर्जा संस्थान, कलपक्कम, वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन केंद्र, कोलकाता और परमाणु पदार्थ अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय, हैदराबाद शामिल है। इसके अलावा भारत में सात संस्थाएं हैं जो परमाणु अनुसंधान में सहायता कर देश को परमाणु ऊर्जा उत्पादन में सक्षम बना रहे हैं- ये संस्थाएं टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई, भौतिकी संस्थान, भुवनेश्वर , टाटा स्मारक केंद्र, मुंबई, साहा भौतिकी संस्थान, कोलकाता , गणित विज्ञान संस्थान, चेन्नई , प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान, गांधीनगर मेहता गणित एवं गणितीय संस्थान, इलाहाबाद है। इसके साथ ही नाभिकीय ऊर्जा रिएक्टर की बात की जाए तो आज के समय में भारत के पास 22 नाभिकीय ऊर्जा रिएक्टर है जहां पर 24 हजार मेगावाट नाभिकीय विद्युत का उत्पादन होता है।
परमाणु ऊर्जा विभाग के पास अनुसंधान के लिए जिम्मेवारी
प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत कार्यरत परमाणु ऊर्जा विभाग परमाणु तकनीक और अनुसंधान की देखरेख करता है। बीते आठ साल में परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में कई बेहतरीन कार्य हुए हैं। इसमें अप्सरा और ध्रुव जैसे बहुत उच्च क्षमता वाले रिएक्टरों की शुरुआत भी शामिल है। साथ ही कैंसर के उपचार में भी भारत ने काफी तरक्की की है। आइए एक नजर डालते हैं परमाणु ऊर्जा से जुड़े प्रमुख विकास कार्यक्रमों पर…
साल 2014 से 2022 की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां
रिएक्टर अप्सरा- यू – भाभा परमाणु ऊर्जा केंद्र 2 मेगावाट का टाइप रिसर्च रिएक्टर है जो चिकित्सा, उद्योग और कृषि के क्षेत्र में अनुप्रयोगों के लिए समस्थानिकों के उन्नत उत्पादन के लिए उपयुक्त है। यह रिएक्टर 10 सितंबर 2018 को चालू हो गया है। इसके साथ ही रिएक्टर ध्रुव को राष्ट्रीय संस्थानों और विश्वविद्यालयों द्वारा परमाणु और संबद्ध विज्ञान में अध्ययन के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है। बहुत उच्च उपलब्धता कारकों पर संचालित होने वाले इन रिएक्टरों के माध्यम से पिछले आठ वर्षों में लगभग 4000 नमूनों का विकिरण किया गया है।
इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र का सफल प्रयास
फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर में स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित ईंधन यूरेनियम कार्बाइड और प्लूटोनियम कार्बाइड का उपयोग करके 40 मेगावाट की निर्धारित क्षमता को प्राप्त किया गया है और यह 10 एमडब्ल्यूई का ऊर्जा उत्पादन करते हुए ग्रिड से जुड़ा हुआ है। इसके संचालन का प्रभावी काल 128 दिनों का है और इस वर्ष (2022) उत्पादित विद्युत ऊर्जा का उत्पादन 2 करोड़ 35 लाख यूनिट हुआ है। इसके साथ ही 2014-2022 की अवधि में कुल 7 करोड़ 58 लाख यूनिट विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया गया है।
विद्युत उत्पादन में आई तेजी
न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) और तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन (TAPS) 1 और 2 के संचालन के 53 वर्ष पूरे हो रहे हैं, जो विश्व में सबसे पुराने रिएक्टर हैं। NPCIL ने अब तक लगभग 582 रिएक्टर का वर्षों से प्रचालन कर रहा है, जिसके लिए NPCIL का पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडीचर-कैपेक्स) वर्ष 2021-22 में 14235 करोड़ रुपये था। इसके परिणाम स्वरूप 2021-22 में NPCIL का लाभांश 1897 करोड़ रुपये रहा।
सैन्य परमाणु सहयोग
परमाणु ऊर्जा विभाग अपने देश के साथ-साथ अन्य देशों से भी जुड़कर काम कर रहा है। इसी क्रम में जापान, ग्रेट ब्रिटेन (यूके), वियतनाम, बांग्लादेश के साथ परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए नागरिक परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसके साथ ही बांग्लादेश में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए रूस, बांग्लादेश और भारत के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा कनाडा के साथ परमाणु अनुसंधान एवं विकास सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। डॉ होमी भाभा के बढ़ाए कदम पर भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है और देश के विकास में परमाणु ऊर्जा का सफल उपयोग कर रहा है।
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डॉ होमी भाभा के बारे में जानें अहम बातें-
- डॉ होमी भाभा ने प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी नील्स बोह्र के साथ काम किया था और क्वांटम थ्योरी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
- उन्हें मेसन पार्टिकल की पहचान करने का श्रेय दिया जाता है, जो उस समय महत्वपूर्ण रहस्य का विषय था
- 1955 में उन्हें परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर पहले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था
- उन्होंने कैस्कड थ्योरी विकसित करने के लिए जर्मनी स्थित भौतिक विज्ञानी वाल्टर हेटलर के साथ शोध किया था, जिससे उन्हें ब्रह्मांडीय विकिरण को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली
- परमाणु कार्यक्रम में उनकी खोजों के लिए एडम्स पुरस्कार, पद्म भूषण और रॉयल सोसाइटी के फेलो से सम्मानित किया गया था
- डॉ होमी भाभा ने भारत के परमाणु कार्यक्रम में अपने योगदान और समर्पण के लिए ‘फादर ऑफ इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम’ की उपाधि अर्जित की थी