दिल्ली में क्यों बढ़ रहा हैं कोरोना से मौत का आंकड़ा, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताई वजह

Satyendar Jain दिल्ली

दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain) ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से रोजाना नए मामले आने के बावजूद भी अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या उतनी ही हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि कोरोना का यह पीक जल्द से जल्द आकर खत्म हो, ताकि दिल्ली और देश में कोरोना के मामले कम हों और लोगों को इसके प्रकोप से निजात मिल सके।

दिल्ली में 5 दिनों में कोरोना से मौत के मामलों ने 100 का आंकड़ा पार

दिल्ली में पिछले 5 दिनों में कोरोना से मौत के मामलों ने 100 का आंकड़ा पार कर लिया हैं। इस बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने ‘आजतक’ से खास बातचीत में मौत का आंकड़ा बढ़ने की वजह भी बताई हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली में अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना मरीजों की दर स्थिर हुई हैं। रोजाना आने वाले नए मामलों की तुलना में अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की दर फिलहाल नियंत्रण में हैं।

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स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से रोजाना नए मामले आने के बावजूद भी अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या उतनी ही हैं। यह एक संकेत हो सकता है कि कोरोना का पीक अब आ चुका हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि कोरोना का यह पीक जल्द से जल्द आकर खत्म हो, ताकि दिल्ली और देश में कोरोना के मामले कम हों और लोगों को इसके प्रकोप से निजात मिल सके।

कोरोना की वजह से होने वाली मौतों पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि डेथ कमेटी के ऑडिट के अनुसार, कोरोना से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा ज्यादा संख्या उन मरीजों की है जो किसी अन्य बीमारियों के चलते एडमिट थे। उन्होंने बताया कि दिल्ली में जिस हिसाब से मामले बढ़े हैं, उस हिसाब से मरीजों की भर्ती होने की दर फिलहाल बहुत कम हैं। मरीजों की अस्पताल में भर्ती होने की दर में कोई इजाफा नहीं हो रहा।

सत्येंद्र जैन ने बताया कि पिछले एक हफ्ते में जिन कोरोना मरीज़ो की मौत हुई हैं वो कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। सत्येंद्र जैन ने कहा कि अस्पतालों में आईसीयू बेड पर भर्ती मरीजों में बहुत कम ऐसे मामले हैं जो सिर्फ कोरोना के कारण आईसीयू में भर्ती हुए हैं। सत्येंद्र जैन ने कहा कि अस्पतालों में आईसीयू बेड पर भर्ती मरीजों में बहुत कम ऐसे मामले हैं जो सिर्फ कोरोना के कारण आईसीयू में भर्ती हुए हैं। ज्यादातर मरीज ऐसे हैं जो किसी अन्य बीमारी का इलाज करवा रहे हैं और जांच कराये जाने पर कोरोना पॉजिटिव भी आ गए हैं।

जैन ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित हैं और अस्पताल में अपना इलाज करने के लिए आता हैं, तो ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के अनुसार उसका कोविड टेस्ट किया जाता हैं और पॉजिटिव पाये जाने पर उसका आगे का इलाज कोरोना वार्ड में ही चलता हैं। इसका मतलब यह हैं कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीज कोरोना से कम लेकिन अन्य बीमारियों के कारण ज़्यादा भर्ती हो रहे हैं। कि उन्हें कोरोना भी है, तो उन्हे भी हम कोरोना के आईसीयू बेड में भर्ती मरीजों की गिनती में शामिल किया जाता हैं।

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इसके अलावा, उन्होने अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या और सरकार की तैयारियों के बारे में बताते हुए कहा कि अस्पताल में फिलहाल बेड की तुलना में बेहद कम मरीज भर्ती हैं। जीटीबी अस्पताल में 30 कोरोना के मरीज भर्ती हैं, वहाँ कुल 750 बेड उपलब्ध हैं। इसी तरह से एलएनजेपी अस्पताल में फिलहाल कुल 750 बेड उपलब्ध हैं लेकिन 136 मरीज ही भर्ती हैं। दि जरूरत पड़ी तो हम इस दोनों अस्पतालों में 1000 बेड और बढ़ा सकते हैं। ठीक इसी तरह से दिल्ली के अन्य अस्पताल जैसे दीनदयाल हॉस्पिटल, लोक नायक हॉस्पिटल और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भी तैयारियां की गई हैं।

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बेड्स की तैयारियों के सवाल पर सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से अस्पतालों में कुल 37 हज़ार बेड का इंतज़ाम किया हैं। अभी फिलहाल 15 हज़ार बेड को चालू किया गया है. ज़रूरत पड़ने पर हम रातों-रात बिस्तरों की संख्या को दोगुना करने की क्षमता रखते हैं, लेकिन चूंकि अभी अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या इतनी कम है कि बिस्तरों को बढ़ाये जाने की ज़रूरत महसूस नहीं हो रही हैं। हालांकि सरकार आने वाली गंभीर से गंभीर परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

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