Nag Panchami 2022: केवल नाग पंचमी पर ही इस मंदिर के खुलते हैं कपाट

Nag Panchami 2022: The doors of this temple open only on Nag Panchami

नई दिल्ली: नाग पंचमी (Nag Panchami) के पावन मौके पर महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य शिखर के तीसरे खंड में स्थित भगवान श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट रात 12 बजे खुल गए हैं। ये मंदिर साल में केवल एक बार नाग पंचमी पर ही खुलता हैं। इसी दिन नाग देवता के दर्शन आम भक्तों को होते हैं। मंदिर के कपाट 24 घंटे के लिए खुले रहेंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट खुलने की परंपरा सदियो पुरानी हैं।

नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा

नागचंद्रेश्वर मंदिर की प्रतिमा में फन फैलाए हुए नाग के आसन पर शिवजी के साथ माता पार्वती विराजमान हैं। माना जाता हैं कि दुनिया की ये एक मात्र ऐसी प्रतिमा हैं, जिसमें शिवजी नाग शैय्या पर विराजमान हैं। इस मंदिर में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश के साथ ही सप्तमुखी नागदेव हैं। दनों के वाहन नंदी और सिंह भी विराजित हैं। भगवान शंकर के गले और भुजाओं में नाग लिपटे हुए हैं।

तक्षक नाग से जुड़ा मंदिर का रहस्य

Nag Panchami

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाकाल वन में तक्षक नाग ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। भगवान शिव ने उसे प्रसन्न होकर अमरत्व का वरदान दिया था। तभी से तक्षक नाग यहां वास कर रहा हैं। महाकाल वन में वास करने के पीछे तक्षक की मंशा थी कि उनकी तपस्या में कोई विघ्न ना डाल सके। इसलिए नाग पंचमी के दिन ही इस मंदिर के कपाट खुलने की परपंरा हैं।

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तीसरे खंड में हैं भगवान नागचंद्रेश्वर

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विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख भगवान महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में विभक्त हैं। सबसे नीचे भगवान महाकालेश्वर, दूसरे खंड में ओमकारेश्वर तथा तीसरे खंड में भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर स्थित हैं। मान्यता हैं कि मंदिर में नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन करने से भगवान शंकर व माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। नाग पंचमी पर नाग देवता को दूध अर्पित करने की परंपरा हैं, इसलिए पूजन अर्चन के दौरान महंत द्वारा नाग की प्रतिमा पर दूध चढ़ाया जाता हैं। उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मन्दिर में स्थित मूर्ति 11वीं शताब्दी के परमार काल की हैं।

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