PK इफेक्ट: UP में कांग्रेस की नई रणनीति, अध्यक्ष के लिए 8 नाम, 2 पर पार्टी गंभीर

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नई दिल्ली: पॉलिटिकल स्ट्रेटजिस्ट प्रशांत किशोर PK Congress में शामिल होते-होते रह गए। कई दौर की बातचीत के बाद पार्टी और कांग्रेस के बीच बात नहीं बनी। इसे यूं भी कह सकते हैं, दोनों के बीच लिंकअप होता, उससे पहले ही ब्रेकअप हो गया। लेकिन जाते-जाते पीके कांग्रेस को मुफ्त सलाह दे गए। उन्होंने कहा- मेरी विनम्र राय हैं कि कांग्रेस को मुझसे ज्यादा लीडरशिप और जड़ों में घर कर गई ढांचागत समस्याओं को दूर करने के लिए साझा दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत हैं।

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उनका मतलब साफ था कि कांग्रेस को लीडरशिप बदलने और अपने भीतर बड़े बदलाव करने की जरूरत हैं। उनके पार्टी से न जुड़ने की खबर और सलाह के दूसरे दिन ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी एक्शन मोड में नजर आईं। उन्होंने सभी पार्टी सचिवों और वरिष्ठ नेताओं से गंभीर डिस्कशन के बाद यूपी में अध्यक्ष पद की नियुक्ति के लिए ‘2 फॉर्मूले’ निकाले। इन फॉर्मूलों से साफ हैं कि कांग्रेस परंपरागत पार्टी ढांचे की ओवरहालिंग करने के मूड में हैं।

बैठक में गहन मंथन के बाद अध्यक्ष पद की रीस्ट्रक्चरिंग के लिए निकले फॉर्मूले इस बात का संकेत हैं कि कांग्रेस और पीके के जुड़ाव के आड़े भले ही कुछ शर्तें आ गई हों, लेकिन पीके की मुफ्त सलाह को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने गंभीरता से लिया। बैठक के अंत में पार्टी दो नामों को लेकर गंभीर दिखी, पहला नाम दलित तो दूसरा ब्राह्मण नेता का हैं।

‘जरा हटके’ अंदाज में होगी अध्यक्ष पद की नियुक्ति:

अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर मीटिंग में दो ऐसे फॉर्मूलों पर चर्चा हुई, जो बिल्कुल नॉन ट्रेडीशनल हैं।

फॉर्मूला नंबर 1– प्रदेश को चार जोन में बांटकर चारों के अलग-अलग अध्यक्ष बनाए जाएं ताकि पूरे प्रदेश पर कांग्रेस बेहतर पकड़ बना सके। इससे हर जोन में बूथ लेवल तक के कार्यकर्ताओं से मेल जोल बढ़ाने में आसानी होगी। पीके ने भी बूथ लेवल तक कांग्रेस को अपनी पकड़ बनाने की सलाह दी थी।

फॉर्मूला नंबर 2– पार्टी का एक प्रदेश अध्यक्ष हो, जिसके नीचे चारों जोन के 4 कार्यकारी अध्यक्ष हों। इससे एक हाइरारकी मेंटेन करने और निगरानी व्यवस्था के मैनेजमेंट को और बेहतर किया जा सकेगा। चारों कार्यकारी अध्यक्ष प्रदेश अध्यक्ष को और प्रदेश अध्यक्ष टॉप लीडरशिप को रिपोर्ट करेगा।

इसके अलावा एक धड़ा, जो पुरानी व्यवस्था यानी एक ही प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के पक्ष में था, लेकिन सूत्रों की मानें तो फॉर्मूला नंबर-2 के पक्ष में पार्टी महासचिव और वरिष्ठ नेता करीब-करीब सहमत हैं।

फॉर्मूला नंबर-2 इसलिए बेहतर

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के सामने अभी सबसे बड़ी चुनौती बूथ लेवल तक पहुंच बनाने और सभी वर्गों को साधने की हैं। प्रदेश के आकार को देखते हुए अगर प्रदेश अध्यक्ष 4 और कार्यकारी अध्यक्षों के साथ मिलकर काम करेगा तो जनता के बीच पहुंच बनाने और हर जोन से फीडबैक लेने में आसानी होगी। दूसरा पार्टी इस तरह से सभी वर्गों के लोगों को साध पाएगी। प्रदेश अध्यक्ष के तहत 4 अध्यक्ष अगर होंगे तो इसमें 5 वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया जा सकेगा।

मंथन के बाद 8 नाम आए बाहर:

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मंथन के बाद 1 दलित, दो ब्राह्मण, 3 मुस्लिम और दो जनरल समुदाय के नेताओं के नाम सामने आए। हालांकि, आखिर में एक दलित और दूसरे ब्राह्मण नेता पर गंभीर मंथन किया जा रहा हैं।

पीएल पुनिया– ये दलित समुदाय से आते हैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद भी रहे हैं। 2009 से 2014 के बीच ये लोकसभा सांसद भी रहे।

नसीमुद्दीन सिद्दीकी– मायावती सरकार में कभी मिनी मुख्यमंत्री कहलाने वाले नसीमुद्दीन पर टिकट के बदले पैसे लेने का आरोप लगा तो बसपा से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। मूल रूप से बांदा के निवासी और वहीं से अपनी राजनीति करने वाले सिद्दीकी बसपा सरकार में मुस्लिमों का बड़ा चेहरा रहे। अब कांग्रेस में वे बड़े मुस्लिम नेता के रूप में शामिल हुए हैं।

करीब ढाई दशक के राजनीतिक सफर में वे पहली बार बसपा से 1995 में कैबिनेट मंत्री बने। इसके बाद 21 मार्च 1997 से 21 सितंबर 1997 तक मायावती की शॉर्ट टर्म गवर्नमेंट और फिर 3 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक एक साल के लिए बनी सरकार में भी वे कैबिनेट का हिस्सा रहे। 2007 से 2012 तक यूपी में रही बसपा सरकार में भी वे मंत्री रहे।

प्रमोद तिवारी– ब्राह्मण नेता हैं। प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट से 9 बार विधायक रहे। 2013 बाई-इलेक्शन में राज्यसभा सदस्य भी चुने गए।

आचार्य प्रमोद कृष्णम- वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विवादित बयान देने के लिए जाने जाते हैं। ब्राह्मण वर्ग से आने वाले प्रमोद कृष्णम ने यूपी चुनाव के नतीजों से पहले राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तालिबानी सोच का बताया था। 2014 में संभल सीट से चुनाव लड़े और हारे।

वीरेंद्र चौधरी– यूपी में इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल दो सीटें मिलीं। इसमें से महाराजगंज की फरेंदा सीट से वीरेंद्र चौधरी ने जीत हासिल की। लिहाजा इनकी दावेदारी को अहम माना जा रहा हैं।

नदीम जावेद– 46 वर्षीय नदीम जावेद राहुल गांधी के बेहद करीबी हैं। 2012 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर नदीम जावेद चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। नदीम अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।

सलमान खुर्शीद-कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। कांग्रेस शासन काल में पूर्व विदेश मंत्री रहे सलमान भी इस पद के लिए दावेदार हैं।

निर्मल खत्री-मूल रूप से फैजाबाद के हैं। 15वीं लोकसभा और 8वीं लोकसभा में इलेक्टेड मेंबर रहे। इंडियन नेशनल कांग्रेस युथ विंग में 1970 में शामिल हुए और तब से ये कांग्रेस में ही हैं।

2 नामों पर चल रहा गंभीर मंथन, एक दलित दूसरा ब्राह्मण:

सूत्रों की माने तो पन्ना लाल पुनिया (पीएल पुनिया) और प्रमोद तिवारी के नाम को लेकर गंभीर मंथन चल रहा हैं। तीसरा नाम राहुल गांधी के करीबी नदीम जावेद का भी हैं। लेकिन पार्टी मुस्लिम अपीजमेंट करते हुए नहीं दिखना चाहती। लिहाजा किसी हिंदू चेहरे को ही वह लाना चाहती हैं।

सूत्रों की मानें तो पद के लिए दलित चेहरे पर आखिरी मुहर लग सकती हैं। लेकिन इन्हीं 8 नामों से 4 जोनों की आबादी के आधार पर 4 कार्यकारी अध्यक्ष भी चुने जा सकते हैं। एक जोन के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नदीम को जगह मिलने की पूरी उम्मीद हैं।

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