नई दिल्ली: पर्यटक अब भारत मे भी रिवर क्रूज का आनंद ले सकते हैं। पीएम मोदी (PM Modi) 13 जनवरी को वाराणसी में ‘एमवी गंगा विलास’ रिवर क्रूज को हरी झंडी दिखा कर रवाना करेंगे। ये रिवर क्रूज भारत के लिए रिवर क्रूज पर्यटन के एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक होगा। इस लेख में हम गंगा विलास रिवर क्रूज और इससे पर्यटन के क्षेत्र में होने वाले फायदों पर एक नजर डालेंगे।
दुनिया का सबसे लंबा रिवर क्रूज
एमवी गंगा विलास रिवर क्रूज दुनिया का सबसे लंबा रिवर क्रूज है। यह रिवर क्रूज भारत को दुनिया के रिवर क्रूज मानचित्र में स्थान दिलाएगा। इसके लॉन्च होने के साथ रिवर क्रूज की विशाल अप्रयुक्त क्षमता के इस्तेमाल की शुरुआत होगी। गंगा विलास क्रूज अपनी तरह का पहली क्रूज सेवा है। इसकी सफलता से उद्यमियों को देश के अन्य हिस्सों में रिवर क्रूज का लाभ उठाने के लिए उत्साहित होने की संभावना है।
क्रूज का रूट
यह लग्जरी क्रूज भारत और बांग्लादेश के 5 राज्यों में 27 नदी प्रणालियों में 3,200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेगा। विश्व विरासत स्थलों, राष्ट्रीय उद्यानों, नदी घाटों, और बिहार में पटना, झारखंड में साहिबगंज, पश्चिम बंगाल में कोलकाता, बांग्लादेश में ढाका और असम में गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों सहित 50 पर्यटन स्थलों की 51 दिनों की क्रूज यात्रा की योजना बनाई गई है।
सुकून की यात्रा
गंगा विलास क्रूज आत्मनिर्भर भारत का उदाहरण है। इसका इंटीरियर देश के कल्चर और हैरिटेज को देखकर डिजाइन किया है। यह क्रूज 62 मीटर लंबा, 12 मीटर चौड़ा है और आराम से 1.4 मीटर के ड्राफ्ट के साथ चलता है। इसमें तीन डेक हैं। 36 पर्यटकों की क्षमता वाले बोर्ड पर पर्यटकों के लिए एक यादगार और शानदार अनुभव प्रदान करने के लिए सभी सुविधाओं से युक्त 18 सुइट हैं। यह क्रूज प्रदूषण मुक्त प्रणाली और शोर नियंत्रण तकनीकों से लैस है।
समृद्ध विरासत का होगा प्रदर्शन
गंगा विलास के यात्रा कार्यक्रम को ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के स्थानों पर रुकने के साथ भारत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने के लिए तैयार किया गया है। वाराणसी में प्रसिद्ध “गंगा आरती” से, यह बौद्ध धर्म की महान श्रद्धा के स्थान सारनाथ में रुकेगा। यह मायोंग को भी कवर करेगा, जो अपनी तांत्रिक विद्या के लिए जाना जाता है। यात्री बिहार स्कूल ऑफ योग और विक्रमशिला विश्वविद्यालय भी जाएंगे, जिससे उन्हें आध्यात्मिकता व ज्ञान से समृद्ध भारतीय विरासत से रूबरू होने का मौका मिलेगा। यह क्रूज रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिए प्रसिद्ध बंगाल डेल्टा की खाड़ी में सुंदरबन के जैव विविधता से भरपूर विश्व धरोहर स्थलों के साथ-साथ एक सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से भी गुजरेगा।
रोजगार के अवसर पैदा होंगे
देश में रिवर क्रूज पर्यटन के विकास से इस क्षेत्र में भीतरी इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। सरकार देश में रिवर क्रूज पर्यटन की सफलता के लिए क्षमता निर्माण के लिए पूंजीगत व्यय कर रही है। देश में इस क्षेत्र के अधिकतम प्रदर्शन और तेजी से विकास के लिए नदी पर्यटन सर्किट को मौजूदा पर्यटन सर्किट के साथ विकसित और एकीकृत किया जाएगा।
रिवर क्रूज का वैश्विक बाजार
वैश्विक रिवर क्रूज बाजार पिछले कुछ वर्षों में 5 प्रतिशत की दर से बढ़ा है और 2027 तक क्रूज बाजार के 37 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। विश्व में यूरोप रिवर क्रूज जहाजों के मामले में लगभग 60 प्रतिशत भागीदारी के साथ विकास कर रहा है। भारत में, कोलकाता और वाराणसी के बीच 8 नदी क्रूज जहाजों का संचालन होता है। राष्ट्रीय जलमार्ग 2 (ब्रह्मपुत्र) पर क्रूज की आवाजाही भी संचालित होती है। राष्ट्रीय जलमार्ग 2 पर 10 यात्री टर्मिनलों का निर्माण किया जा रहा है जो रिवर क्रूज की संभावना को और बढ़ा देगा। वर्तमान में, राष्ट्रीय जलमार्ग 2 में चार नदी क्रूज जहाज काम कर रहे हैं।
अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से सतत विकास के इस मार्ग को जबरदस्त बढ़ावा मिला है, क्योंकि कार्गो ट्रैफिक के साथ-साथ यात्री पर्यटन को बढ़ाने के प्रयासों के उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। गंगा विलास क्रूज देश में नदी पर्यटन की विशाल क्षमता को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है। वैश्विक स्तर पर हमारी समृद्ध विरासत और आगे बढ़ेगी, क्योंकि पर्यटक भारत की आध्यात्मिक, शैक्षिक, कल्याण, सांस्कृतिक और साथ ही जैव विविधता की समृद्धि का अनुभव करने में सक्षम होंगे। काशी से सारनाथ तक, माजुली से मयोंग तक, सुंदरबन से काजीरंगा तक, यह क्रूज जीवन भर का अनुभव प्रदान करता है। यह पहल, भारत में नदी क्रूज पर्यटन में एक नए युग की शुरुआत है।