नई दिल्ली: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव Lalu Yadav रांची से जब इलाज के लिए दिल्ली AIIMS पहुंचे थे तो उनकी शर्त थी कि उन्हें कार्डियोलॉजी विभाग के एक यादव डॉक्टर के पास ही भर्ती किया जाए। सभी शुरुआती जांच के बाद AIIMS प्रशासन ने उनकी इस मांग से इनकार कर दिया था और उन्हें AIIMS से लौटा दिया गया था। हालांकि, बाद में 10 घंटे बाद लालू यादव को दोबारा से एम्स में भर्ती कर लिया गया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लालू प्रसाद यादव AIIMS कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर राकेश यादव के नेतृत्व में अपना इलाज कराना चाहते थे, लेकिन AIIMS प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं हुआ। सूत्रों का कहना हैं कि राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद लालू यादव को भर्ती तो करा गया, जबकि AIIMS का कहना हैं कि बाद में लालू यादव की तबियत बिगड़ गई थी, इसलिए दुबारा से भर्ती किया गया।
लालू यादव के इलाज के लिए जिन डॉक्टर्स की टीम बनाई उसमें डॉ. राकेश यादव को नहीं रखा गया हैं, लेकिन उन्हें मरीज को देखने की इजाजत हैं। सूत्रों का कहना हैं कि पहले भी लालू यादव को डॉ. राकेश यादव ही देखते रहे हैं। लिहाजा, लालू इन्हीं से अपना इलाज कराना चाह रहे थे। इससे पहले रिम्स में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद 22 मार्च की शाम 8 बजे लालू यादव रिम्स रांची से चार्टर्ड प्लेन से एम्स दिल्ली लाया गया था। वहां रातभर ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद सुबह 4 बजे उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था।
चारा घोटाले के सबसे बड़े डोरंडा ट्रेजरी मामले में फिर गए जेल:
950 करोड़ रुपए के देश के बहुचर्चित चारा घोटाले के सबसे बड़े (डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए के गबन) केस में पिछले महीने फैसला आया था। CBI की विशेष अदालत ने RJD सुप्रीमो लालू यादव समेत 75 आरोपियों को दोषी करार दिया था। इससे पहले चारा घोटाले के 4 मामले (देवघर के एक, दुमका ट्रेजरी के दो अलग-अलग और चाईबासा ट्रेजरी से संबंधित दो मामलों में) लालू दोषी करार दिए जा चुके हैं। अभी पहले के सभी मामलों में जमानत पर बाहर थे, लेकिन इस केस में फैसला आने के बाद उन्हें फिर जेल जाना पड़ा।
जानिए, डोरंडा ट्रेजरी घोटाला आखिर हैं क्या?
डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के इस मामले में पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर पर ढोने की कहानी हैं। यह उस वक्त का देश का पहला मामला माना गया जब बाइक और स्कूटर पर पशुओं को ढोया गया हो। यह पूरा मामला 1990-92 के बीच का हैं।
CBI ने जांच में पाया कि अफसरों और नेताओं ने मिलकर फर्जीवाड़े का अनोखा फॉमूर्ला तैयार किया। 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से कथित तौर पर स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया, ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसें पैदा की जा सकें। पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान 2,35, 250 रुपए में 50 सांड़, 14, 04,825 रुपए में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदीं।
इतना ही नहीं, विभाग ने इस दौरान क्रॉस ब्रीड बछिया और भैंस की खरीद पर 84,93,900 रुपए का भुगतान मुर्रा लाइव स्टॉक दिल्ली के दिवंगत प्रोपराइटर विजय मलिक को की थी। इसके अलावा भेड़ और बकरी की खरीद पर भी 27,48,000 रुपए खर्च किए थे।