आज के समय में कई लोगों की जीवनशैली अस्त व्यस्त हैं। देर से सोते हैं और देर से उठते हैं। कुछ लोग देर से सोते (sleeping) हैं, लेकिन सुबह जल्दी उठ भी जाते हैं। ऐसे में नींद भी सात घंटे से कम हो पाती हैं। अगर आप अच्छा खाते हैं और नियमित रूप से व्यायाम करते हैं लेकिन रोज़ कम से कम सात घंटे की नींद नहीं लेते हैं, तो आपको स्वास्थ्य से सम्बंधित गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ज़रूरी हैं कि आप अपनी ऊर्जा को रिचार्ज करने के लिए रोज़ाना कम से कम 7- 8 घंटे (8 hours) की नींद अवश्य लें। यदि नहीं लेंगे, तो इसका सीधा असर याददाश्त पर पड़ सकता हैं, ग़ुस्सा और मूड स्विंग जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
मन को खल जाती है नींद की कमी:
नींद और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। नींद की कमी से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। इसलिए कहा जाता हैं कि जितनी अच्छी नींद होगी उतना ही अच्छा मानसिक स्वास्थ्य भी होगा। इसके अलावा जिन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, उनमें अनिद्रा या अन्य नींद संबंधी समस्याओं से पीड़ित होने की संभावना ज़्यादा होती हैं।
बेताबी (एंग्जाइटी), अवसाद, बाइपोलर डिसऑर्डर और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से पीड़ित मरीज़ों में नींद की समस्या (एडीएचडी) होने की संभावना अधिक होती हैं। नींद की कमी मानसिक क्षमता को कम कर देती हैं। पर्याप्त नींद न लेने से शारीरिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता हैं। ऐसे में स्वस्थ मानसिक स्वास्थ्य के लिए आठ घंटे की नींद लेना बहुत ज़रूरी हैं। जिन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य समास्याएं हैं उन्हें डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी बीमारियों से बचने के लिए सोने की आदतों में सुधार करना चाहिए और पर्याप्त आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए।
मासिक धर्म प्रभावित होगा:
कम नींद लेने से मासिक धर्म की समस्याएं जैसे अनियमित पीरियड्स, स्पॉटिंग और हैवी फ्लो, ये सभी हो सकते हैं। ख़ासतौर पर पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कम से कम 8 घंटे की नींद ज़रूर लेनी चाहिए। इससे मासिक धर्म के दौरान दर्द और मूड स्विंग जैसी समस्याएं भी कम होती हैं। स्लीप एपनिया यानी नींद की कमी का रोग शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को नुक़सान पहुंचता हैं। नींद के दौरान शरीर की लगभग हर कोशिका की मरम्मत होती रहती हैं। लेकिन नींद की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती हैं और किसी भी तरह के संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता हैं।
वज़न बढ़ने का कारण हैं:
नींद पूरी न होने से दिन भर थकान और सुस्ती बनी रहती हैं। इस वजह से लोगों में अस्वस्थ भोजन खाने की आदत बढ़ जाती हैं जिससे वज़न बढ़ता हैं। दूसरा कारण यह हैं कि जो लोग कम सोते हैं, उनकी शारीरिक क्रिया या व्यायाम छूटने से वज़न बढ़ जाता हैं।
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हृदय के लिए भी हानिकारक:
यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार नींद की कमी के कारण व्यक्ति के लिए दिल के रोगों का ख़तरा बढ़ जाता हैं। पाया गया कि जिन लोगों को हृदय की बीमारी थी वे लोग 6 घंटे से भी कम सोते थे। इस वजह से उनका हृदय का कार्य प्रभावित हो रहा था। कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ (हृदय रोग), कंजेस्टिव हार्ट फेलियर, स्ट्रोक और हृदयाघाट का कारण नींद की कमी हो सकता हैं।
मधुमेह का जोखिम:
पर्याप्त नींद ना लेने से मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती हैं। कम नींद लेने से शरीर ब्लड शुगर (रक्त शर्करा) को नियंत्रित करने वाले हॉर्मोन इंसुलिन को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाता। नींद की कमी इंसुलिन उत्पादन और ग्लूटेन टोलरेंस (सहनशीलता) को कम करती हैं। इस वजह से कोशिकाएं इंसुलिन का उपयोग करने में कम प्रभावी हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप मधुमेह हो सकता हैं।