बैठे-बैठे सोने की आदत बन सकती हैं आपकी मौत का कारण, जानें इस पोजिशन के दूसरे नुकसान

sleeping death

नई दिल्ली: क्या आप काम करते वक्त अपनी डेस्क पर ही सो जाते हैं? कुछ देर की ये झपकी (sleeping) भले ही आपको आरामदायक लगती हो, लेकिन ये छोटी सी भूल आपकी जान की दुश्मन बन सकती हैं। लंबे समय तक बैठे-बैठे सोने से आपको गंभीर बीमारियों से लेकर मौत (death) का खतरा हो सकता हैं। इसका कारण ज्यादा देर तक कोई शारीरिक गतिविधि न होना हैं।

बैठकर सोने से क्यों हैं मौत का खतरा?

सोने की पोजिशन आपके स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती हैं। लंबे समय तक बैठकर सोने से आपकी नसों में संकुचन यानी डीप वेन थ्रोंबोसिस की स्थिति बन जाती हैं। इसमें शरीर के निचले हिस्सों, खासकर पैरों की नसों में खून के थक्के जमने लगते हैं।

यदि सही समय पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह समस्या जानलेवा बन सकती हैं। डीप वेन थ्रोंबोसिस के लक्षणों में पैर या एंकल में अचानक दर्द होना, पैर की त्वचा का लाल होना, पैर में सूजन होना, ऐंठन होना, झुनझुनी महसूस होना और पल्मोनरी इम्बॉलिज्म का खतरा होना शामिल हैं।

पल्मोनरी इम्बॉलिज्म एक ऐसी बीमारी हैं जिसमें अचानक से रोगी की तबीयत बिगड़ती हैं और कुछ समय बाद ही उसकी मौत हो जाती हैं। सांस तेज हो जाना और रुक-रुक कर चलना, सीने में तेज दर्द और खांसी के साथ खून आना व अचानक से दिल की धड़कन बढ़ जाना पल्मोनरी इम्बॉलिज्म के लक्षण हैं।

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बैठकर सोने के अन्य नुकसान:

रक्त संचार में बाधा: एक ही पोजिशन में लगातार बैठने और सो जाने से रक्त संचार ठीक से नहीं हो पाता। बैठने की पोजिशन खून के बहाव में बाधा डाल सकती हैं।

मांसपेशियों में अकड़न: फिजिकल मूवमेंट न होने के कारण शरीर की मांसपेशियों में अकड़न आ सकती हैं। यह अकड़न खराब पॉस्चर, कमर दर्द, पीठ दर्द और जोड़ों के दर्द का कारण बन सकती हैं।

घुटनों पर दबाव: लंबे समय बैठे रहने से घुटनों पर दबाव पड़ता हैं। इससे उनके मुड़ने की क्षमता कम होती हैं और चलने-फिरने में दिक्कत आती हैं। आपको घुटनों के दर्द की शिकायत भी हो सकती हैं।

बैठे-बैठे कब सोया जा सकता है?

गर्भवती महिलाओं को बैठने और लेटने में मुश्किलें आती हैं। ऐसे में आप कुछ देर इस पोजिशन में सो सकती हैं।

कुछ लोगों को लेटने पर शरीर में ज्यादा मात्रा में एसिड बनता हैं। इस कंडिशन को एसिड रीफ्लक्स कहते हैं। इसमें लोगों को लेटने पर सीने में जलन होती है। अगर आप इस परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो बैठे-बैठे सोया जा सकता हैं।

स्लीप एपनिया एक ऐसा नींद संबंधी विकार हैं, जिसमें लेटकर सोने के दौरान लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती हैं। इसलिए बैठकर नींद लेने से मरीजों को आराम मिलता हैं।

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