नई दिल्ली: अंडर-19 वर्ल्ड कप WC में टीम इंडिया ने अपना दबदबा कायम रखा और 5वीं बार वर्ल्ड कप जीतने में कामयाब रही। हालांकि भारतीय टीम को ये जीत इतनी आसानी से नहीं मिली। मैदान हो या उससे बाहर, टीम को कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। एक समय तो ऐसा भी लगा कि भारतीय टीम ये टूर्नामेंट पूरा नहीं खेल पाएगी। टीम के कई खिलाड़ी कोरोना Covid संक्रमित पाए गए थे। टीम में सिर्फ 10 खिलाड़ी फिट बचे थे। युवा खिलाड़ियों ने इन परेशानियों का डट कर सामना किया और टीम को विश्व विजेता बनाया।
हंगरगेकर ने कोविड के कारण पिता को खोया:
टीम में शामिल राजवर्धन हंगरगेकर ने अपनी तेज गेंदबाजी और शानदार छक्कों से सबका ध्यान खींचा। उन्होंने जून 2020 में अपने पिता को कोरोना के कारण खो दिया था। हंगरगेकर से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि केवल एक चीज जो अब उनके लिए मायने रखती हैं, वो हैं- उनकी तेज गेंदबाजी और छक्के मारना।
दिल्ली में जन्मे अंगक्रिश रघुवंशी टीम में सबसे कम उम्र के प्लेयर थे। उन्होंने 11 साल की उम्र में गुड़गांव छोड़ दिया था और मुंबई चले गए थे। उनके भाई कृष्ण को बचपन में कैंसर का पता चला था। उनकी मां ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘अंगक्रिश हमारे साथ अस्पतालों में सोता था। वे 5 साल सबसे भयानक थे, कृष्ण के इलाज की प्रक्रिया ने उसे मानसिक रूप से कठिन बना दिया।’
रवि कुमार ने कहा, ‘वर्ल्ड कप के दौरान जिस तरह से लोगों ने पर्दे के पीछे काम किया, वह जबरदस्त था। हमने से किसी ने भी कोई शिकायत नहीं की। हमारे मैनेजर तक को कोरोना हो गया था और वह दूसरे शहर में थे, लेकिन वह फोन पर काम करवा रहे थे। हमारे फिजियो को डॉक्टर बनाया गया था। वहीं, हमारे वीडियो एनालिस्ट मैनेजर बने।’ बाएं हाथ के तेज गेंदबाज रवि कुमार ने नॉकआउट मैचो में नौ विकेट अपने नाम किए थे।
रवि ने आगे बताया कि एक समय हम में से दस खिलाड़ी ही आयरलैंड के खिलाफ खेलने के लिए फिट थे। परेशानी इतनी बढ़ गई कि चोटिल हुए 11वें खिलाड़ी को मैच में खेलना पड़ा। जिस तरह से अभ्यास सत्र का आयोजन किया गया था। वह काफी कठिन था। BCCI ने इस दौरान जो कदम उठाए वो उल्लेखनीय थे।
अचानक से कप्तान बने सिंधु:
आयरलैंड के खिलाफ मैच के लिए स्टेडियम रवाना होने से तीस मिनट पहले ऑलराउंडर निशांत सिंधु को बताया गया कि वह टीम के कप्तान होंगे।
कप्तान यश धुल 19 जनवरी को आयरलैंड के खिलाफ मैच में कोरोना के कारण नहीं खेल पाए थे। उनके साथ टीम के पांच और सदस्य भी कोरोना संक्रमित थे। उपकप्तान शेख रशीद, आराध्या यादव, मानव पारेख और सिद्धार्थ यादव आयरलैंड के साथ-साथ युगांडा के खिलाफ मैच से भी बाहर हो गए थे। दोनों मैच के दौरान सहायक कोच ड्रिंक लेकर आ रहे थे।
निशांत सिंधु ने इस बारे में इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मैं अपने हाथ पर टेप लगा रहा था तभी दिनेश बाना भागते हुए मेरे कमरे में आया। उसने कहा, ‘तू आज कप्तान हैं। मुझे लगा कि वह मेरी टांग खींच रहा हैं। मैं लॉबी में गया तो वीवीएस लक्ष्मण सर और (कोच) ऋषिकेश कानिटकर सर ने कहा कि धुल और रशीद दोनों कोविड पॉजिटिव हैं और मैं कप्तान बनूंगा।’
कोरोना के डर से टूट गए थे शेख रशीद:
टीम के उपकप्तान शेख रशीद अपने कोच जे कृष्णा राव से बात करते हुए टूट गए। उन्होंने कहा कि सर मुझे लगता है कि मेरा वर्ल्ड कप खत्म हो गया हैं। हो सकता हैं कि मैं अब कोरोना से उबर न सकूं। उनके डर को दूर करने के लिए राव ने उन्हें उनके माता-पिता द्वारा अपने बेटे के लिए किए गए बलिदान की याद दिलाई। राशिद ने इसके बाद खुद को तैयार किया और सेमीफाइनल में 94 रन और फाइनल में 50 रन बनाए।
विक्की रहे लीडिंग विकेट टेकर:
वर्ल्ड कप में 12 विकेट लेकर टीम के सबसे सफल गेंदबाज रहे विक्की ओस्तवाल सभी मैच खेलने वाले खिलाड़ियों में से एक थे, लेकिन बाएं हाथ के इस स्पिनर को यहां तक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
9 साल की उम्र में ओस्तवाल क्रिकेट खेलने के लिए हर दिन अपने पिता कन्हैया के साथ लोनावाला से मुंबई की यात्रा करते थे। उनके बचपन के कोच मोहन जाधव ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘मैंने उन्हें कभी देर से तो कभी बहुत जल्दी आते देखा हैं। एक दिन मैंने पूछा कि वे कहां रहते हैं तो विक्की ने कहा कि वह लोनावाला से आया हैं। मैं पूरी तरह से हैरान रह गया।’
बावा के पिता नहीं चाहते थे, वो गेंदबाजी करें:
फाइनल मुकाबले में शानदार गेंदबाजी करने वाले राज बावा के पिता और कोच सुखविंदर बावा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने उन्हें तेज गेंदबाजी करने से मना कर दिया था, लेकिन उन्होंने गेंदबाजी करना जारी रखा और अपने अंडर-16 टीम के साथियों से इसे कोच से नहीं बताने का अनुरोध किया।