सुचित्रा सेन की 91वीं बर्थ एनिवर्सरी: फिल्म पिटी तो खुद को 36 साल तक कमरे में कैद रखा

बांग्ला फिल्मों की वो एक्ट्रेस जिसके नाम का डंका बॉलीवुड तक बजता था। सुचित्रा सेन  Suchitra Sen का फिल्म इंडस्ट्री में वो रुतबा रहा कि जिन सत्यजीत रे और राज कपूर की फिल्मों में आने के लिए एक्ट्रेसेस तरसती थीं। उनकी फिल्में भी वो छोटी सी बात पर ठुकरा देतीं। कुल 61 फिल्मों में से हिंदी में कुल 6 फिल्में कीं, बाकी बांग्ला फिल्में ही थीं। सुचित्रा के स्टार पावर का अंदाजा इससे भी लगाया सकता हैं कि उन्हें अपने हीरो से ज्यादा फीस मिलती थी।

पति और ससुर की मदद से वो फिल्मों में आईं लेकिन इन्हीं फिल्मों ने उन्हें पति से दूर कर दिया। वो सफलता के घोड़े पर इस कदर सवार थी कि पति उन्हें छोड़कर अमेरिका चले गए, शराब के नशे में डूब गए। 1978 में सुचित्रा की फिल्म प्रनोय पाशा फ्लॉप हो गई, एक फ्लॉप ने उन्हें तोड़ दिया और फिल्मी दुनिया छोड़ दी। खुद को एक छोटे से कमरे में कैद कर लिया। 1978 से 2014 के बीच वो सिर्फ एक बार पब्लिकली दिखाई दीं, 36 साल उन्होंने खुद को कैद रखा।

Suchitra Sen

अपने घर में भी कमरे से बाहर निकलती तो चेहरा कपड़े से ढंका होता। 2005 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भी सिर्फ इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि वो घर से निकलकर फंक्शन में नहीं जाना चाहती थीं। 1978 से 2012 के दरमियान वे सिर्फ बेलूर के रामकृष्ण मिशन आश्रम जाती थीं लेकिन चेहरे को काले या सफेद कपड़े से ढंककर। 2014 में उनकी मौत के बाद भी किसी को उनका चेहरा नहीं दिखाया गया।

15 साल की उम्र में कर ली शादी:

6 अप्रैल 1931 में ब्राह्मण परिवार में जन्मीं सुचित्रा के पिता हेड मास्टर और मां गृहिणी थीं। आजादी की लड़ाई के समय सुचित्रा का परिवार बांग्लादेश के सिराजगंज से पश्चिम बंगाल पहुंचा। यहां सुचित्रा की महज 15 साल की उम्र में 1947 में दीबानाथ सेन से शादी करवा दी गई जो एक कामयाब बिजनेसमैन थे। 16 साल की उम्र में सुचित्रा ने बेटी मुनमुन सेन को जन्म दिया जो एक कामयाब एक्ट्रेस रही हैं।

कैसे फिल्मों में आईं Suchitra:

सुचित्रा हमेशा से एक्टिंग करना चाहती थीं। पति और ससुर की मदद से सुचित्रा फिल्मों में आईं लेकिन जब कामयाब हुईं तो उनका करियर शादी के बीच आ गया। शादी के 4 साल बाद सुचित्रा ने शेष कोथाए में काम किया लेकिन ये फिल्म रिलीज नहीं हुई। अगले साल सुचित्रा ने उत्तम कुमार के साथ शारे चौत्तोर से डेब्यू किया। ये फिल्म और दोनों की ऑनस्क्रीन जोड़ी काफी हिट हुई। ये एक आइकॉनिक जोड़ी बनी जिसे 20 सालों तक खूब पसंद किया।

कई बड़े फिल्म मेकर्स की फिल्में ठुकराईं:

कहा जाता था कि सुचित्रा सेन बेहद स्वाभिमानी थीं और मामूली से कारणों से बड़े ऑफर्स ठुकरा दिया करती थीं। 70 के दशक में जहां हर एक्ट्रेस राज कपूर के साथ काम करना चाहती थी, उस समय सुचित्रा ने उनकी फिल्म ठुकराई। अपनी एक फिल्म के लिए राज कपूर फूल लेकर सुचित्रा के पास पहुंचे। सुचित्रा को राज कपूर के फूल देने वाला अंदाज पसंद नहीं आया और उन्होंने फिल्म के लिए मना कर दिया। सत्यजीत रे भी सुचित्रा को लेकर देवी चौधरानी बनाना चाहते थे, लेकिन जब एक्ट्रेस ने फिल्म ठुकराई तो सत्यजीत रे ने फिल्म बनाई ही नहीं।

कामयाबी सिर चढ़ी तो शादी में आई दरार:

सुचित्रा सेन फिल्मों में इतनी व्यस्त हो गईं कि इससे उनकी शादीशुदा जिंदगी में दिक्कतें आने लगीं। वो पति और घर को समय नहीं दे पाती थीं। उनके पति दीबानाथ शराब पीने लगे, दोनों के बीच अनबन बढ़ती चली गई। आखिरकार दीबानाथ उन्हें छोड़कर अमेरिका चले गए, जहां 1970 में उनका निधन हो गया। जब 1978 में सुचित्रा की फिल्म प्रनोय पाशा फिल्म फ्लॉप हो गई तो सुचित्रा ने अचानक फिल्मी दुनिया छोड़ दी। इस समय सुचित्रा राजेश खन्ना के साथ नाती बिनोदिनी में काम कर रही थीं, लेकिन उनके अचानक चले जाने से ये फिल्म बीच में ही रुक गई।

दुनिया की नजरों से दूर हुईं सुचित्रा

फिल्में छोड़ते ही सुचित्रा गायब हो गईं। उन्होंने खुद को एक छोटे से कमरे में बंद कर लिया जहां वो छोटे से बिस्तर पर सोती थीं। सुचित्रा के परिवार को भी उनसे मिलने की इजाजत नहीं थी। हद तो तब हुई जब उन्होंने कमरे से निकलना छोड़ दिया। सुचित्रा ने रामकृष्ण आश्रम के भरत महाराज से संपर्क कर अध्यात्म की राह पकड़ ली थी।

दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड लेने से किया इनकार

Suchitra Sen

साल 2005 में सुचित्रा को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा जाना था, लेकिन सुचित्रा ने घर से बाहर निकलना छोड़ दिया था। सुचित्रा ने कहा कि अगर उन्हें अवॉर्ड देना चाहते हैं तो घर आकर देना होगा। आखिरकार वो सेरेमनी में नहीं पहुंची और उन्हें अवॉर्ड नहीं मिला। सुचित्रा को फिल्म सात पाके बधा के लिए मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड दिया। ये इंटरनेशनल अवॉर्ड जीतने वाली पहली एक्ट्रेस थीं।

मरने के बाद भी नहीं दिखा सुचित्रा का चेहरा

लंग इन्फेक्शन के चलते 24 जनवरी 2013 को सुचित्रा को अस्पताल में भर्ती किया गया। उन्हें अस्पताल में भी छिपाकर रखा जाता था। एक महीने तक चले ट्रीटमेंट के बाद 17 जनवरी 2014 में सुबह 8:25 पर हार्टअटैक से सुचित्रा का निधन हो गया। उनका प्राइवेसी की कद्र करते हुए अंतिम संस्कार में भी उनका चेहरा ढंक कर रखा गया। निधन के बाद इसी साल सुचित्रा को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

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