शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में
तथ्यों को जबरन ठूंसे,
बल्कि वह है जो उसे आनेवाले कल की
चुनौतियों के लिए तैयार करे।
जब भी हम अपने जीवन में सफल हो जाते हैं तो पीछे मुड़कर उन सभी लोगों को धन्यवाद जरूर करते हैं जिन्होंने हमारे भविष्य के लिए कई कार्य किए और हमेशा हमें शिक्षा दी। उन सभी लोगों में शिक्षकों का स्थान सबसे पहले आता हैं। यही कारण हैं कि हम हर साल 5 सितंबर को टीचर्स डे (Teachers Day) पर अपने सभी शिक्षकों को उनके मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद देते हैं। आइए इस शिक्षक दिवस पर इतिहास के पन्नों को पलटते हैं और उन महान शिक्षकों के विषय में जान लेते हैं जिनके विचार हमें हर समय प्रेरित करते हैं।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

शिक्षकों की बात हो और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम न आए ऐसा कैसे हो सकता हैं। उनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को हुआ था और उनके जन्मदिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। उन्होंने स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के रूप में अपनी सेवाएं दीं। राष्ट्रपति बनने से पहले वे एक शिक्षक थे।
ईश्वर चंद्र विद्यासागर

ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर, 1820 को हुआ था। वह एक भारतीय शिक्षक और 19वीं सदी के समाज सुधारक थे। विशेष रूप से बंगाली गद्य को सरल और आधुनिक बनाने के उनके प्रयास महत्वपूर्ण थे। ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने भी बंगाली वर्णमाला और प्रकार को युक्तिसंगत और सरल बनाया। उन्हें ‘बंगाली गद्य का जनक’ भी माना जाता हैं।
स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को नरेंद्र नाथ दत्त के रूप में हुआ था। वह एक भारतीय हिंदू भिक्षु थे और उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। देश में गुरुकुल प्रणाली का प्रचार करने का क्रेडिट भी स्वामी विवेकानंद को ही जाता हैं। गुरुकुल एक स्थान हैं जहां शिक्षक और छात्र एक साथ रहते थे।
डाक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने केवल एक बेहतरीन राष्ट्रपति थे बल्कि उन्होंने एक शिक्षक के रूप में भी एक अहम भूमिका निभाई थी। उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। डॉ. कलाम एक भारतीय एयरोस्पेस साइंटिस्ट थे। उन्होंने IIT, IIM, BHU, आदि जैसे विभिन्न कॉलेजों में पढ़ाया हैं।