4 साल का मासूम बोला-मेरे पापा जंग के हीरो: बम कब बरस जाएं, बच्चे-बंकर से निकलने में डरते हैं, अबतक 324 अस्पताल तबाह

Russia war

नई दिल्ली: रूस Russia के यूक्रेन पर हमले में कई शहर तहस-नहस हो चुके हैं। जंग War में लाखों लोग बेघर हुए हैं तो हजारों लोग जान गंवा चुके हैं। हर रोज दिल-दिमाग को झकझोरने वाली कहानी और तस्वीरों के आने का सिलसिला जारी हैं। ऐसे में यूक्रेन के एक अस्पताल की मां और उसके बच्चे की कहानी सामने आयी हैं। जिनके पति जंग में अपने देश के लिए लड़ने गए हैं। जिनका 4 साल का बेटा कहता हैं कि मेरे पापा एक हीरो हैं। बंकर में रह रहे बच्चे अब बाहर निकलने से भी डरते हैं। उनको डर हैं कि कहीं बम न बरसने लगे।

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अस्पताल के बाहर निकलना खतरनाक:

दक्षिणी यूक्रेन में एक अस्थायी, गुप्त अस्पताल में एक महिला सुसलेंको अपने परिवार के लिए जिंदगी को सहनीय बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। वह अस्पताल में बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रही हैं, जहां हर वक्त बम बरस रहे हैं, यहां घर से बाहर निकलना भी खतरनाक हैं।

अस्पताल में स्टिकर लगाकर बच्चों को कर रही खुश:

Mykolaiv शहर में जंग के बीच एक बंकर तैयार किया गया था, जो अब बच्चों का वार्ड हैं। बेसमेंट में किसी तरह कुछ खाने का और दवा का इंतेजाम किया जा रहा हैं। यहां दो बच्चों की मां, ओक्साना सुसलेंको ने दीवारों पर स्टिकर और पर्दे लगाकर अपने दो बेटे चार साल का निकिता और 11 साल का आर्टेम को किसी तरह से खुश रखने की कोशिश कर रही हैं।

बेसमेंट में खाना-पानी का इंतजाम मुश्किल:

महिला ने बताया कि मेरे दोनों बच्चे यहां खिलौना टैंक और मिसाइल लांचर के साथ खेल रहे हैं। सुसलेंको ने चार दिन पहले अपने पति से आखिरी बार बात की थी। वह मारियुपोल के शहर में पकड़े गए कुछ अंतिम सैनिकों में से एक हैं। उसने बताया कि जंग के बीच सब कुछ वास्तव में बहुत बर्बाद हो गया हैं। पीने को पानी तक नहीं हैं और न ही कोई खाने का एंतजाम। वे सभी भूखे और गंदे हैं क्योंकि जंग के बीच नहाने और खाने का कोई इंतजाम नहीं हैं। यही हाल आम लोगों का भी हैं।

लोग अपने घर के यार्ड में दफना रहे शव:

महिला ने बताया कि सड़क पर हर जगह शव दिख रहे हैं। लोग उन्हें अपने सामने के यार्ड में दफना रहे हैं। देश और अपने आसपास ऐली हालत देख कर अब मैं हार चुकी हूं। मैं बस इतना ही कर सकती हूं कि मेरे पास जो कुछ भी हैं, उससे मैं अपने बच्चे की देखभाल कर रही हूं। मेरे बच्चे अब आसानी से समझ रहे हैं कि हमारे आसपास क्या चल रहा हैं। इसी बीच वह अपने बेटे से पूछती हैं कि बेटा बताओ तुम्हारे पिता कौन हैं और वह क्या करते हैं।

अस्पतालों में भी हो रही गोलीबारी:

महिला ने बताया कि मेरे बच्चे जमीन से उपर जाने से डरते हैं। वह अंत तक वहीं रहेंगे। बंकर में अन्य बच्चों की तरह, दोनों बच्चे जमीन से ऊपर जाने से डरते हैं। डॉक्टर भी यही चाहते हैं कि इस जगह के बारे में लोगों को पता न लगे, नहीं तो यहां भी सैनिक हमला कर सकते हैं। यहीं पास के अस्पताल में तीन अगल-अलग तरफ से गोलीबारी की गई।

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जंग के हमले में 324 अस्पताल बर्बाद:

जिनेवा कन्वेंशन के आर्टिकल 18 में कहा गया हैं कि कोई भी अस्पताल हमले का उद्देश्य नहीं हो सकता। युद्ध के आसपास के क्षेत्रों में भी नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण का प्रावधान किया गया हैं ताकि किसी भी नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन ना किया जा सके। यह एक उल्लंघन हैं जिसकी अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा जांच की जा सकती हैं, फिर भी, एक यूक्रेनी मानवाधिकार आयुक्त ल्यूडमिला डीन्सोवा के अनुसार, जंग शुरू होने के बाद से 324 अस्पताल बर्बाद हो गए हैं।

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लोगों को डराने के लिए भी हो रही गोलीबारी:

अस्पताल के प्रमुख डॉ ओलेक्जेंडर प्लायटकिन ने कहा कि अस्पताल को बर्बाद करने के लिए और यहां के लोगों को डराने के लिए गोलीबारी की गई। हाल के दिनों में बहुत सारे सारे अस्पताल में सैनिकों ने हमला किया उनका लक्ष्य लोगों को डराना हैं ताकि लोग दहशत में रहें। डॉ प्लायटकिन का कहना हैं कि इस जंग में कई बच्चे घायल हो रहे हैं। हमारे हॉस्पिटल में 24 से अधिक बच्चे भर्ती हैं, जो बुरी तरह से घायल हैं। वह बच्चे अपने माता पिता के साथ कब्जे वाले क्षेत्रों में रह रहें थे, जहां उन पर गोलियों से बौछार की गई ।

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रूसी हमले में अब तक 1982 यूक्रेनी नागरिकों ने जान गंवाई:

UN की मानवाधिकार एजेंसी ने कहा कि जंग की शुरुआत के बाद से यूक्रेन में 1982 नागरिक मारे गए हैं। इनमें 511 पुरुष, 323 महिलाएं, 34 लड़कियां और 56 लड़के शामिल हैं। वहीं, 72 बच्चे की भी मौत हुई हैं और 2,651 लोग घायल हो चुके हैं।

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