लखनऊ: पोस्टल बैलट postal ballots (डाक मतपत्र) यूपी चुनाव की दिशा बदल सकते हैं। दरअसल, प्रदेश के कुल 10.84 करोड़ वोटरों में 4.56 लाख ने पोस्टल बैलट से वोट किया हैं। यह कुल वोटर्स का 0.42 फीसदी हैं। इसीलिए हार-जीत के काफी कम अंतर वाली सीटों के प्रत्याशियों के लिए पोस्टल बैलट मुसीबत का सबब बना हैं। यही वजह हैं कि अब पांच चरणों के मतदान voting के बाद पोस्टल बैलट को लेकर शिकायतों का दौर शुरू हो गया हैं।
पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार पोस्टल बैलट से चुनाव की दिशा बदलने की तैयारी में हैं। फिर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने इनका दुरुपयोग करने के लिए प्रदेश के पुलिसकर्मियों से वोटर आईडी पहले लेकर अपने पास रखने का आरोप लगाया। पुलिसकर्मियों ने भी इस बात को स्वीकार किया कि मतदान से पहले उनसे वोटर आईडी और तमाम जानकारियां ले ली गई थीं, लेकिन उन्हें पोस्टल बैलट नहीं दिया गया।
यूपी चुनाव में इस बार सरकारी कर्मचारियों के साथ ही दिव्यांगों और बुजुर्गों के पोस्टल बैलट को अहम फैक्टर माना जा रहा हैं। पहली बार चुनाव आयोग ने पोस्टल बैलट की श्रेणी में 80 साल से ज्यादा के बुजुर्गों और 40 प्रतिशत या उससे ज्यादा दिव्यांगता वाले मतदाताओं को भी घर बैठे वोट डालने की सुविधा दी हैं। इन पोस्टल बैलट को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि यूपी में 2019 के लोकसभा चुनाव में डाक मतपत्रों ने मामूली अंतर वाली कई सीटों पर आखिरी वक्त में नतीजे ही बदल दिए थे। लिहाजा इस बार भी सबकी निगाह इन्हीं पर हैं।
यह चर्चाओं में इसलिए भी हैं, क्योंकि आयोग ने डाक मतपत्रों के लिए इस बार कुछ नई श्रेणियां भी जोड़ दी हैं। पिछले चुनाव तक निर्वाचन आयोग की ओर से खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले, भारतीय खाद्य निगम, आल इंडिया रेडियो, सेना दूरदर्शन, पोस्ट एंड टेलीग्राम, रेलवे, बीएसएनएल, बिजली, स्वास्थ्य, अग्निशमन और यातायात विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों को पोस्टल बैलट की सुविधा मुहैया कराई जाती थी। इसके अलावा चुनाव ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को भी पोस्टल बैलट डालने का अधिकार दिया जाता रहा हैं।
आयोग ने इसमें पहली बार 80 साल से ज्यादा के बुजुर्गों और 40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांगता वाले लोगों को भी पोस्टल बैलट की श्रेणी में शामिल कर लिया हैं। साथ ही पत्रकारों और अनिवार्य सेवाओं में तैनात कर्मचारियों को भी यह सुविधा दी जा रही हैं। इस श्रेणी में मीडियाकर्मियों को भी जोड़ा गया हैं। हालांकि, उन्हें खुद ही अपना वोट डाक से भेजने की जानकारी आयोग को पहले से देनी होगी।
पुलिसकर्मी बोले- वोटर आईडी लिए, मगर पोस्टल बैलट मिले ही नहीं:
पोस्टल बैलट के दुरुपयोग की सच्चाई जानने के लिए दैनिक भास्कर ने यूपी पुलिस और पीएसी के कुछ कर्मचारियों से बात की। मायावती और अखिलेश यादव की सिक्योरिटी में लगे पीएसी के 4 जवान सीतापुर के रहने वाले हैं। वे बताते हैं कि उनके यहां चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान था। वे ड्यूटी पर थे, लिहाजा उन्हें पोस्टल बैलट की सुविधा के लिए टैग किया गया था।
वे कहते हैं कि दूसरे शहरों से आए कई साथियों को पोस्टल बैलट मिला, लेकिन उन्हें पोस्टल बैलट मिला ही नहीं। जबकि अधिकारियों ने उनसे एक महीने पहले ही वोटर आईडी की कॉपी लेकर विधानसभा क्षेत्र और नजदीकी पोलिंग बूथ की जानकारी ले ली थी। इसी तरह गाजियाबाद से एक सब-इंस्पेक्टर बताते हैं कि उन्होंने बाकी साथियों के साथ अपना वोटर आईडी और तमाम जानकारियां एक महीने पहले ही अधिकारियों के पास जमा करा दी थीं। मगर, उन्हें पोस्टल बैलट नहीं दिया गया।
ऐसे दी जा रही हैं पोस्टल बैलट की सुविधा:
निर्वाचन आयोग की इस व्यवस्था के तहत पोस्टल बैलट से मतदान करने की इच्छा रखने वाले मतदाताओं के पास उनके इलाके के बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) खुद पहुंचते हैं। इस सुविधा का लाभ लेने के लिए मतदाता से 12-डी फॉर्म भरवाया जाता हैं। यह फार्म मतदाता के क्षेत्र में चुनाव का नोटिफिकेशन जारी होने के पांच दिन के भीतर जमा कराना होता हैं। फिर उन्हें पोस्टल बैलट दिया जाता हैं। इस पर अपने पसंद के प्रत्याशी को वोट करने के बाद मतदान से एक दिन पहले चुनाव आयोग के कर्मचारियों के पास जमा कराना होता हैं। कर्मचारी यह पोस्टल बैलट एकत्रित करने की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग करता हैं। फिर इसे मतगणना वाले दिन खोलने के लिए संबंधित मतगणना स्थल तक पहुंचाने की व्यवस्था कराता हैं।
ETPBS में पहली बार क्यूआर कोड:
पोस्टल बैलट की व्यवस्था ईटीपीबीएस (इलेक्ट्रानिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम) होती हैं। संबंधित रिटर्निंग ऑफिसर आवश्यक सेवाओं में कार्यरत व्यक्तियों की श्रेणी में अनुपस्थित मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलट की सुविधा की तारीख और समय निर्धारित करते हुए सभी नोडल और संबंधित कार्यरत व्यक्तियों को सूचित करता हैं।
फिर संबंधित कर्मचारी के विभाग प्रमुख को ईटीपीबीएस से बैलट भेजा जाता हैं। वह इसे डाउनलोड कर प्रिंट लेता हैं। फिर संबंधित कर्मचारी से मतदान कराने के बाद निर्वाचन आयोग को डाक से भेज देता हैं। इस व्यवस्था में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए आयोग ने पहली बार क्यूआर कोड सिस्टम लागू किया हैं। यानी सेवा मतदाताओं का जो बैलट मिलेगा, उसे क्यूआर कोड से स्कैन किया जाएगा। सब कुछ ठीक रहा, तो ही उसे मतगणना में शामिल किया जाएगा।
voting प्रतिशत में शामिल नहीं:
निर्वाचन आयोग हर चरण का मतदान होने के बाद मतदान का प्रतिशत जारी करता हैं। इन आंकड़ों में पोस्टल बैलट शामिल नहीं किया जा रहा हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त अजय कुमार शुक्ला के मुताबिक पोस्टल बैलट आने का सिलसिला लगातार चलता रहता हैं। इसीलिए मतदान वाले दिन इसे मतदान प्रतिशत में शामिल नहीं किया जा सकता। पोस्टल बैलट को गणना वाले दिन कुल वोटिंग प्रतिशत में ही शामिल किया जाएगा।
ईवीएम के साथ होगी गिनती:
अपर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ब्रह्मदेव राम तिवारी के मुताबिक इस बार डाक मतपत्रों की गणना ईवीएम के साथ ही होगी। हर टेबल पर 500 पोस्टल बैलट गणना के लिए दिए जाएंगे। पोस्टल बैलट की संख्या जैसे-जैसे बढ़ती जाएगी, वैसे वैसे हर टेबल पर गणना के लिए उनका बंटवारा भी किया जाएगा। ब्रह्मदेव राम तिवारी बताते हैं कि मतगणना वाले दिन यह भी पहली बार होगा जब ईवीएम की गणना का अंतिम चरण शुरू करने से पहले पोस्टल बैलट की गिनती पूरी कर ली जाएगी। ताकि ईवीएम की गणना के तुरंत बाद अंतिम नतीजे एक साथ ही जारी किए जा सकें।
किस चरण में क्या स्थिति:
पहला चरण 10 फरवरी
कुल सीटें 58
मतदाता 2.28 करोड़
टैग्ड पोस्टल बैलट 58,924
कास्ट पोस्टल बैलट 43,420
सेवा मतदाताओं ने इस्तेमाल किए 79,922
दूसरा चरण 14 फरवरी
कुल सीटें 55
मतदाता 2.02 करोड़
टैग्ड पोस्टल बैलट 56,319
कास्ट पोस्टल बैलट 47,615
सेवा मतदाताओं ने इस्तेमाल किए 23,349
तीसरा चरण 20 फरवरी
कुल सीटें 59
मतदाता 2.16 करोड़
टैग्ड पोस्टल बैलट 62,062
कास्ट पोस्टल बैलट 52,043
सेवा मतदाताओं ने इस्तेमाल किए 53951
चौथा चरण 23 फरवरी
कुल सीटें 59
मतदाता 2.13 करोड़
टैग्ड पोस्टल बैलट 60,585
कास्ट पोस्टल बैलट 52,512
सेवा मतदाताओं ने इस्तेमाल किए 23,484
पांचवां चरण 27 फरवरी
कुल सीटें 61
मतदाता 2.25 करोड़
टैग्ड पोस्टल बैलट 59,572
कास्ट पोस्टल बैलट 52,757
सेवा मतदाताओं ने इस्तेमाल किए 27,331