3 बार प्रधानमंत्रियों ने पेश किया बजट: बजट के पहले वित्त मंत्रियों के इस्तीफा देने और पार्टी से निकाले जाने की कहानी

budget Prime Ministers

हमारे देश में एक सरकार हैं। प्रधानमंत्री (Prime Ministers) हैं। वित्त मंत्री और गृह मंत्री हैं। वित्त मंत्री के काम में बजट (budget) पेश करना भी शामिल हैं, लेकिन 75 साल के इतिहास में तीन मौके ऐसे आए हैं जब वित्त मंत्री ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री ने बजट पेश किया। ऐसा क्यों और कब हुआ? आइए बताते हैं।

बजट पेश करने वाले पहले प्रधानमंत्री नेहरू:

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वित्त वर्ष 1958-59 का बजट उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लोकसभा में रखा था। उस वक्त टीटी कृष्णामाचारी वित्त मंत्री थे। मुंद्रा घोटाले में नाम आया तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो नेहरू ने अपने पास ले लिया और आम बजट खुद पेश किया।

नेहरू के बजट की खास बातें…

10 हजार रुपये से ज्यादा की संपत्ति के ट्रांसफर पर गिफ्ट टैक्‍स का प्रावधान किया गया। इसमें एक छूट यह भी थी कि पत्‍नी को 1 लाख रुपये तक के गिफ्ट देने पर टैक्‍स नहीं लगेगा। इसे ‘गिफ्ट टैक्‍स’ कहा गया।

देश के कई हिस्सों में सूखे के बावजूद कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी देखी गई।

पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में विदेशी मुद्रा में भी कमी आई।

सरकार ने देश के बंदरगाहों, ट्रॉम्बे थर्मल स्टेशन, डीवीसी, द हाइड्रोइलैक्ट्रिक प्रोजेक्ट की मदद के लिए वर्ल्ड बैंक से रिपोर्ट मांगी।

कई क्षेत्रों में मदद के लिए US, USSR, UK, फ्रांस, वेस्ट जर्मनी, कनाडा और जापान ने सॉफ्ट लोन ऑफर किया।

बजट पेश करने वालीं पहली महिला इंदिरा गांधी:

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साल 1970 में इंदिरा गांधी की सरकार थी। मोरारजी देसाई उप प्रधानमंत्री के साथ वित्त मंत्रालय भी संभाल रहे थे। इंदिरा के प्रधानमंत्री बनने के कारण वह पार्टी के भीतर बगावत पर उतर आए। कांग्रेस ने उन्हें 12 नवंबर 1969 को पार्टी से ही बाहर कर दिया। इसके बाद इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्रालय संभाला और 28 फरवरी 1970 को पहली और आखिरी बार बजट पेश किया।

उस बजट की ख़ास बातें:

इस बजट में इंदिरा गांधी ने इनडायरेक्‍ट टैक्‍स में एक बड़ा फैसला किया, जिसके तहत सिगरेट पर टैक्स 3% से बढ़ाकर सीधे 22% कर दिया।

डायरेक्‍ट टैक्‍स में इंदिरा गांधी ने गिफ्ट टैक्‍स के लिए संपत्ति की कीमत की अधिकतम सीमा 10,000 रुपए को घटाकर 5,000 रुपए कर दी थी। यानी, 5,000 रुपए से ज्यादा का गिफ्ट होने पर उसे टैक्‍स के दायरे में लाया गया था।

बजट के जरिए ऐलान हुआ कि अब EPF में कर्मचारी के 8% और संस्था की भागीदारी के अलावा सरकार भी अपना हिस्सा देगी। EPF में पे कांट्रिब्यूशन को सरकारी मदद दी जाएगी। कर्मचारी की मौत के बाद फैमिली पेंशन के रूप में यह राशि एकमुश्त परिवार को दी जाएगी।

बजट पेश कर राजीव गांधी ने परंपरा को आगे बढ़ाया:

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1987-88 का बजट उस वक्त के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पेश किया था। राजीव से विवाद होने पर वित्त मंत्री वीपी सिंह ने इस्तीफा दे दिया। राजीव ने वित्त मंत्रालय अपने पास रखा और आम बजट पेश किया।

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उस बजट की ख़ास बातें:

राजीव ने इस बजट में पहली बार कॉरपोरेट टैक्‍स का प्रस्‍ताव पेश किया। इसे मिनिमम ऑल्‍टरनेट टैक्‍स के रूप में जाना जाता हैं।

राजीव गांधी ने विदेशी यात्रा के लिए भारत में जारी वाले फॉरेन एक्‍सचेंज पर 15% की दर से टैक्‍स लगाने का प्रावधान किया था। इससे सरकार ने 60 करोड़ रुपए की अतिरिक्‍त रेवेन्‍यू का अनुमान जताया था।

राजीव गांधी ने 24,622 करोड़ रुपए का केंद्रीय आउटले (खर्च) प्‍लान पेश किया। इसमें से 14,923 करोड़ रुपए का प्‍लान बजटीय सपोर्ट के जरिए रखा गया।

इस बजट में डिफेंस के लिए 1987-88 में 12,512 करोड़ रुपए और नॉन प्‍लान खर्च के लिए 39,233 करोड़ रुपए के आकलन पेश किया था।

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