नई दिल्ली: कोरोना की चौथी लहर की आशंका के बीच राहत की खबर यह हैं कि जब तक कोरोना का नया वैरिएंट new variant नहीं आता, तब तक हम इसके खतरे से सेफ हैं। ओमिक्रॉन की वजह से 98% भारतीयों में एंटीबॉडी बन चुकी हैं। ऐसे में अब हमारे लिए कोरोना का खतरा बेमानी हैं। हालांकि, पिछले दिनों आए मौत के आंकड़े अब भी डरा रहे हैं।
भारत में कोरोना से बीते दिन 50 मौतें हुई हैं, जबकि इससे पहले 28 अप्रैल को 60 और 27 अप्रैल को 39 लोगों की जान गई थी। महामारी की शुरुआत से अब तक देश में कुल 5.23 लाख लोगों की मौत हो चुकी हैं। देश में बीते दिन कोरोना के 3,688 नए मामले दर्ज किए गए, जबकि 2,496 लोग ठीक हुए। एक्टिव केस यानी इलाज करा रहे लोगों की संख्या भी बढ़कर 18,684 हो गई हैं।
एक्सपर्ट्स बोले- नई लहर की आशंका नहीं:
अब सवाल फिर से जोर पकड़ रहा हैं कि क्या चौथी लहर आ रही हैं? संक्रमण की मौजूदा स्थिति की तुलना तीसरी लहर के शुरुआती 3 हफ्तों से करें तो ऐसा बिलकुल भी नहीं लगता। फिर चाहे रोज बढ़ने वाले नए मरीजों की संख्या हो या संक्रमण दर। देश में संक्रमण की दर अभी 1% भी नहीं हैं, जबकि तीसरी लहर शुरू होने के तीन हफ्ते पहले ही ये आंकड़ा 13% के पार हो चुका था।
दूसरी ओर, एक्सपर्ट्स का मानना हैं कि अभी नई लहर की आशंका नहीं हैं। क्योंकि, नई लहर नए वैरिएंट से आती हैं। देश में अभी ओमिक्रॉन या उसके सब-वैरिएंट हैं। इसलिए नई लहर की आशंका नहीं हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शनिवार को बताया कि देश में 12 से 14 साल ऐज ग्रुप के 60% बच्चों को वैक्सीन का पहला डोज लगाया जा चुका हैं।
क्या संक्रमण बढ़ सकता हैं?
जिन लोगों को ओमिक्रॉन से संक्रमण नहीं हुआ था, उन्हें संक्रमण हो सकता हैं। देश में ऐसे सिर्फ 2% लोग हैं। क्योंकि, सीरो सर्वे बताते हैं कि 98% आबादी को ओमिक्रॉन या उसके सब वैरिएंट से संक्रमण हो चुका हैं। उनमें एंटीबॉडी हैं। इसलिए, उन्हें खतरा नहीं हैं। हां, अगर कोई नया वैरिएंट आया तो जरूर खतरा हो सकता हैं।
New वैरिएंट का पता कैसे चलेगा?
मामूली सर्दी-खांसी वाले मरीजों के टेस्ट कराने की जरूरत नहीं हैं। लेकिन, अगर कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ता हैं तो अस्पताल में भर्ती होते ही उसका सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेज देना चाहिए। इसी से नया वैरिएंट पकड़ में आएगा।
नया वैरिएंट आने की कितनी आशंका हैं?
बहुत कम, क्योंकि देश में करीब-करीब पूरी आबादी को संक्रमण हो चुका हैं। उनमें एंडीबॉडी हैं। ऐसी स्थिति में किसी खतरनाक वैरिएंट के पैदा होने की आशंका बहुत कम होती हैं।
कोरोना से अब भी मौतें हो रही हैं, ये कब रुकेंगी?
कोरोना होने के बाद मौत हो, इसका कारण सिर्फ कोरोना नहीं हैं। इसका सही तरीके से चिकित्सीय मूल्यांकन होना चाहिए। क्योंकि, अब जितनी भी मौतें हो रही हैं, उनमें पहले से कोई न कोई गंभीर बीमारी थी। अकसर हम देखते हैं कि कई बार बुखार से भी मौत हो जाती हैं। इसलिए, हर मौत को कोरोना से जोड़ना ठीक नहीं हैं।
मौजूदा स्थिति को देखते हुए आगे क्या हो सकता हैं?
एक बात तो साफ हैं कि अस्पतालों में भीड़ नहीं लगेगी। न ही मौतें बढ़ने की आशंका हैं। पहले भी जब ओमिक्रॉन की वजह से नई लहर आई थी तो भर्ती होने वालों की संख्या बेहद कम थी। जो भर्ती हुए भी, उनमें से बहुत कम को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ी। आगे भी ऐसा ही होगा।