अमरनाथ यात्रा मार्ग में 3 यात्री निवास: अब टेंट में नहीं छतदार बिल्डिंग में रुकेंगे बाबा बर्फानी के भक्त, 8500 लोगों की व्यवस्था

Amarnath Yatra

कोविड के कारण दो साल से बंद बाबा अमरनाथ Amarnath की यात्रा Yatra इस साल फिर से शुरू होगी। 11 अप्रैल से इसके लिए रजिस्ट्रेशन शुरू होंगे। 43 दिवसीय यात्रा 30 जून से शुरू होगी। इस बार यात्रा की खासियत यह होगी कि बाबा के भक्तों को टेंटों में नहीं, बल्कि छतदार भवनों में ठहराया जाएगा।

तीर्थ यात्रियों के स्वागत के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कमर कस ली हैं। ऊंचाई वाली जगहों से बर्फ हटाने का काम शुरू कर दिया गया हैं। इसके बाद ट्रैक की मरम्मत का काम शुरू होगा। पवित्र गुफा के रास्ते में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए बन रहे यात्री निवास का कार्य पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा हैं।

रामबन जिले में चंद्रकोट यात्री निवास का काम अंतिम चरण में हैं। इसमें एक बार में 3,200 लोग ठहर सकेंगे। श्रीनगर में पंथा चौक के पास नए यात्री निवास पर काम चल रहा हैं। इसमें करीब 2,250 यात्री को ठहराया जा सकेगा। इसके अलावा जम्मू में 3,000 क्षमता वाले यात्री निवास परिसर का भी मेकओवर किया जा रहा हैं। साथ ही, अचानक मौसम खराब होने की स्थिति में पूरी यात्रा स्थगित नहीं होगी।

Amarnath Yatra

मार्ग पर सख्त पहरा, श्रद्धालुओं की ट्रैकिंग के लिए RFID सिस्टम:

सरकार श्रद्धालुओं के लिए एक RFID प्रणाली शुरू करने की भी योजना बना रही हैं, जिससे हर श्रद्धालु की आवाजाही पर नजर रखी जा सके।

जम्मू से लेकर घाटी में पूरे यात्रा रूट पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे। अर्धसैनिक बलों की 60 कंपनियां तैनात की जाएगी।

यात्रा मार्ग पर स्नाइपर डॉग तैनात होंगे। महिलाओं की दो कंपनियां भी रहेगी।

पर्वतीय बचाव दल को तैनात करने के अलावा, प्रशासन यात्रियों के लिए स्वास्थ्य देखभाल के लिए शिविर भी लगाएगा।

अमरनाथ यात्रा शुरू करने के बाद इन 10 बातों का रखें ध्यान:

महिलाओं के लिए साड़ी पहनना सुविधाजनक नहीं होगा, वे सलवार-कमीज, पैंट-शर्ट या फिर ट्रैक सूट पहनकर यात्रा करें।

चप्पल पहनकर अमरनाथ ट्रैकिंग बिल्कुल न करें। रास्ते फिसलन भरे होते हैं, इसलिए फीते वाले ट्रैकिंग शूज का इस्तेमाल करें।

पानी की बोतल, कुछ स्नैक्स जैसे- भुने चने, ड्राय फ्रूटस, टॉफी, चॉकलेट आदि जरूर लेकर चलें।

सनबर्न से बचने के लिए अपने पास कोई भी मॉइश्चराइजर क्रीम और वैसलीन लेकर चलें।

किसी शॉर्टकट रास्ते से यात्रा पूरी करने की कोशिश न करें। ऐसा करना खतरनाक हो सकता हैं।

2022 की अमरनाथ यात्रा से जुड़ी जरूरी बातें:

2022 की अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन 11 अप्रैल से शुरू होंगे और ये यात्रा 30 जून से 11 अगस्त तक चलेगी।

कोरोना महामारी के बाद ये पहली अमरनाथ यात्रा होगी। ऐसे में सभी श्रद्धालुओं को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।

13 साल से कम और 75 वर्ष से अधिक और 6 हफ्ते से ज्यादा की प्रेग्नेंट महिला को यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी।

अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए सुरक्षाबलों की 250 कंपनियों के करीब 1 लाख जवानों को तैनात करने की योजना हैं। इसमें CRPF के जवान प्रमुख होंगे।

एक अनुमान के मुताबिक, इस बार की अमरनाथ यात्रा में 10 लाख से अधिक श्रद्धालु शामिल हो सकते हैं।

Amarnath Yatra

क्या हैं अमरनाथ धाम और उसका महत्व?

अमरनाथ धाम जम्मू-कश्मीर में हिमालय की गोद में स्थित एक पवित्र गुफा हैं, जो हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थलों में से एक हैं।

माना जाता हैं कि अमरनाथ स्थित एक पवित्र गुफा में भगवान शिव एक बर्फ-लिंगम यानी बर्फ के शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। बर्फ से शिवलिंग बनने की वजह से इसे ‘बाबा बर्फानी’ भी कहते हैं।

इसी बर्फ के शिवलिंग के दर्शन के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु अमरनाथ की पवित्र गुफा की यात्रा करते हैं।

बर्फ के शिवलिंग के बाईं ओर दो छोटे बर्फ के शिवलिंग बनते हैं, उन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता हैं।

पवित्र गुफा की लंबाई 19 मीटर, चौड़ाई 16 मीटर और ऊंचाई 11 मीटर हैं।

कब बना श्री Amarnath श्राइन बोर्ड:

लंबे समय तक बूटा मलिक के परिजन, दशनामी अखाड़ा के पंडित और पुरोहित सभा मट्टन इस तीर्थस्थल के पारंपरिक सरंक्षक रहे।

2000 में जम्मू कश्मीर की फारूख अब्दुल्ला सरकार ने यात्रा की सुविधा को बढ़ाने के लिए श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड का गठन किया, जिसका मुखिया राज्यपाल को बनाया गया। श्राइन बोर्ड से मलिक के परिवार और हिंदू संगठनों को हटा दिया गया।

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अमरनाथ यात्रा पर हुए हैं 36 आतंकी हमले:

अमरनाथ तीर्थयात्रियों को पहली धमकी 1993 में पाकिस्तान स्थित हरकत-उल-अंसार आतंकी संगठन की ओर से दी गई थी।

अमरनाथ यात्रा पर पहला आतंकी हमला 2000 में हुआ था। इनमें 32 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 21 तीर्थयात्री थे।

2001 में तीर्थयात्रियों के कैंप पर आतंकियों के ग्रेनेड हमले में 13 लोगों की मौत हो गई थी।

2002 में दो आतंकी हमलों में 11 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। 2017 में आतंकियों की गोलीबारी में 8 तीर्थयात्री मारे गए थे।

2017 में सरकार ने लोकसभा में बताया था कि 1990 से 2017 तक यानी 27 वर्षों में अमरनाथ यात्रा पर 36 आतंकी हमले हुए, जिनमें 53 तीर्थ यात्रियों की मौत हुई, जबकि 167 घायल हुए।

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