नए CDS ने बालाकोट एयर स्ट्राइक की योजना में निभाई थी अहम भूमिका

CDS Lt Gen Anil Chauhan Play Balakot air strike

नई दिल्ली: भारत सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल (रि) अनिल चौहान को अगले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के रूप में नियुक्त किया हैं। रक्षा मंत्रालय ने इसकी घोषणा की हैं। वह भारत सरकार के सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हवाई दुर्घटना में निधन के बाद नए सीडीएस की नियुक्ति पर मंथन हो रहा था। आज केंद्र ने इस पर मुहर लगा दी।

11वीं गोरखा राइफल्स में मिला था कमीशन

CDS Lt Gen Anil Chauhan Play Balakot air strike

देश के नए सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल (रि) अनिल चौहान का जन्म साल 18 मई 1961 को उत्तराखंड के पौढ़ी में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम अनुपमा चौहान हैं। उनकी एक बेटी भी हैं, जिसका नाम प्रज्ञा चौहान हैं। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र रहे लेफ्टिनेंट जनरल चौहान को साल 1981 में 11वीं गोरखा राइफल्स में कमीशन दिया गया था।

लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) के रूप में कार्य किया हैं। वह पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडर-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) के पद से सेवानिवृत्त हुए। सेना की बात करें तो वह पूर्वी सेना के कमांडर थे। पूर्वी सेना को उत्तरी सेना के साथ सेना की दो सबसे संवेदनशील कमानों में से एक के रूप में स्थान दिया गया हैं।

अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन में भी काम किया

उन्होंने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन में भी काम किया था। साल 31 मई 2021 को भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी वे राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में अपना योगदान दे रहे थे। वे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद कार्यालय में कार्यरत थे। इतना ही नहीं कहा जाता हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी उनका घनिष्ठ संबंध हैं। नए सीडीएस चौहान जनरल बिपिन रावत की तरह 11वीं गोरखा राइफल्स से हैं। इसके साथ ही ये भी उत्तराखंड के रहने वाले हैं।

बालाकोट एयर स्ट्राइक की योजना बनाने में थी अहम भूमिका

भारत-पाकिस्तान पर सीमा तनाव बढ़ने के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक की योजना बनाने में भी वे शामिल थे। लेफ्टिनेंट जनरल (रि) अनिल चौहान पिछले साल 31 मई को 40 साल की सेवा के बाद जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पूर्वी कमान के पद से रिटायर हुए थे। पूर्वी सेना को संभालने से पहले, जनरल ऑफिसर नई दिल्ली में सैन्य अभियान के महानिदेशक थे।

ऑपरेशन सनराइज के मुख्य शिल्पी

लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ रहने के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद में बड़ी कमी आई थी। बतौर डीजीएमओ वह ऑपरेशन सनराइज के मुख्य शिल्पी थे जिसके तहत भारतीय और म्यांमार सेना ने दोनों देशों की सीमाओं के पास उग्रवादियों के विरूद्ध समन्वित अभियान चलाया था।

मिले हैं कई मेडल

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सेना में उनकी विशिष्ट और शानदार सेवा के लिए लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल जैसे अवॉर्ड मिल चुके हैं। वो भारतीय सेना के डीजीएमओ भी रह चुके हैं।

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