नई दिल्ली: देशभर में बिजली Electricity की बढ़ती डिमांड demand को देखते हुए सरकार ने शुक्रवार को एक इमरजेंसी कानून लागू किया हैं। केंद्र ने विदेशी कोयले पर चलने वाले कुछ निष्क्रिय पावर प्लांट्स में फिर से प्रोडक्शन शुरू करने के लिए कहा हैं। इस फैसले के बाद कोयले की ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों की वजह से प्रोडक्शन न कर पा रहे पावर प्लांट्स भी बिजली का उत्पादन कर पाएंगे।
इससे पहले गुरुवार को उर्जा मंत्रालय ने सभी राज्यों और बिजली कंपनियों को लेटर लिखा था। इसमें विदेशी कोयले से चलने वाले पावर प्लांट्स को फुल कैपिसिटी के साथ चलाने को कहा गया। केंद्र सरकार के मुताबिक, देश में बिजली की डिमांड में 20% का इजाफा हुआ हैं। सभी राज्यों और घरेलू कोयले से ऑपरेट होने वाली कंपनियों को जरूरत का कम से कम 10% कोयला इम्पोर्ट करने का निर्देश भी दिया गया हैं।
राज्यों को विदेशी कोयले की खरीद के निर्देश:
देश इस वक्त 6 साल के सबसे खराब बिजली संकट का सामना कर रहा हैं। ऐसे में अधिकारी पावर प्लांट्स के लिए कोयले की सप्लाई के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। बिजली की मांग देश में काफी तेजी से बढ़ी हैं। देश में विदेशी कोयले से चलने वाले 43% से ज्यादा प्लांट निष्क्रिय पड़े हैं। इनकी कुल क्षमता 17.6 गीगावाट (GW) हैं। ये कुल कोयला बिजली क्षमता का 8.6% हैं।
देश में कोयले की कमी और भारी डिमांड को देखते हुए केंद्र ने राज्य सरकारों को विदेशी कोयले की खरीद के लिए ऑर्डर देने की बात कही हैं। केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह ने बताया कि इसके लिए गुरुवार को हुई रिव्यू मीटिंग में राज्यों को निर्देश दिए गए हैं।
घरेलू कोयले पर दबाव बढ़ा:
देश में घरेलू कोयले की सप्लाई बढ़ने के बावजूद बिजली प्रोडक्शन जरूरत के हिसाब से नहीं बढ़ पाया हैं। इस वजह से कई राज्यों में बिजली की भारी कमी हैं। बिजली प्रोडक्शन के लिए कोयले की रोजाना खपत और सप्लाई के अंतर की वजह से पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक भी तेजी से कम हुआ हैं।
कोयले की कीमत बढ़ने से पावर प्लांट को भारी नुकसान:
इंटरनेशनल मार्केट में कोयले की कीमत काफी तेजी से बढ़ी हैं। फिलहाल इसकी कीमत 140 डॉलर प्रति टन हैं। इंपोर्टेड कोल बेस्ड कैपिसिटी 17,600 MW हैं। इंपोर्टेड कोयले पर चलने वाले इन प्लांट्स के लिए पावर पर्चेज एग्रीमेंट (PPAS) में अंतरराष्ट्रीय कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी को पास-थ्रू करने के प्रावधान नहीं हैं। यानी वो कोयले की कीमतों के हिसाब से बिजली की कीमतों को नहीं बढ़ा सकते।
इंपोर्टेड कोयले की मौजूदा कीमत पर अगर ये प्लांट ऑपरेट होंगे तो उन्हें इससे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। इसी वजह से पावर जनरेटर इन प्लांट्स को ऑपरेट नहीं करना चाहते।