हम में से अधिकतर लोग गुल्ली-डंडा, पिट्ठू, कंचे आदि खेल Games खेलते हुए बड़े हुए हैं। मोबाइल गेम्स ने इन पारम्परिक खेलों को लील लिया हैं। लेकिन यह निर्विवाद सत्य है जो गुण व लाभ इन खेलों से मिलते हैं, वो मोबाइल से अप्राप्त ही रहेंगे। इनके फ़ायदों को जानिए हर पृष्ठ पर…
ध्यान बढ़ाते हैं:
कंचे, गुल्ली-डंडा या लट्टू जैसे खेल ध्यान बढ़ाने में मदद करते हैं। साथियों का विपक्षी टीम के खिलाड़ियों को पराजित करने के लिए योजना बनाना बेहतर रणनीति बनाना सिखाता हैं। सटीक निशाना लगाने के साथ-साथ विपक्षी टीम को छकाते हुए पुन: पत्थर कैसे जमाए जाएं, ख़ूब दौड़-भाग, उठक-बैठक सब शामिल हैं पिट्ठू में। प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ सहयोग करना भी खेल से सीखा जा सकता हैं। बच्चों में संज्ञानात्मक व्यवहार (कॉग्निटिव बिहेवियर) भी बेहतर होता हैं।
पक्ष रखना सिखाते हैं:
गिप्पा या लंगड़ी टांग (स्टापू, टिक्कर बिल्ला), कंचे, गुट्टे आदि जैसे खेल अंकों पर आधारित होते हैं जिन्हें खेलने से गणित बेहतर होता हैं। इन्हें खेलने का दूसरा फायदा ये भी हैं कि खेल के दौरान तर्क-वितर्क और झगड़ों में समझौता करना सीखते हैं। वहीं गिप्पा शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हैं। एक टांग पर खड़े होकर कूदते हुए चलना शारीरिक संतुलन बनाना सिखाता हैं और शरीर का तालमेल भी विकसित होता हैं।
यह धैर्य भी बढ़ाता हैं:
कुछ खेल ध्यान और चेतना के साथ खेले जाते हैं। रुमाल झपट, लट्टू और घोड़े पर दाम जैसे खेलों में पूरा ध्यान रुमाल और लट्टू पर लगाना होता हैं। वहीं आंख मिचौनी में आंखें बंद करके साथी को ढूंढना भी आसान नहीं हैं। खेल में जीत पाने के लिए कई कठिनाइयों से गुज़रना पड़ता हैं। योजनाबद्ध ढंग से रुमाल या साथी को झपटने के लिए धैर्य की आवश्यकता होती हैं। और नपे-तुले क़दमों व फुर्ती की भी। कसरत का ये बेहतरीन ज़रिया हैं।
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सहयोग से खेलते हैं:
कुछ खेल मिलकर खेले जाते हैं, जैसे कि पिड्डू, चेन, विष-अमृत (बर्फ-पानी) नदी-पहाड़ आदि। दो विपक्षी टीम होती हैं, जो अपनी-अपनी टीम को जिताने के लिए हर मुमकिन कोशिश करती हैं। एक-दूसरे को बचाना, हाथ पकड़कर दौड़ लगाना, इस तालमेल के साथ खेले जाते हैं ये खेल। दौड़-भाग वाले ये खेल बच्चों में टीमवर्क या एकजुट होकर काम को पूरा करने का जज़्बा भी बढ़ाते हैं।