LaC के पास न्योमा एयरबेस को अपग्रेड करेगा भारत, वायुसेना के लिहाज से काफी अहम

India to upgrade Nyoma airbase near LaC

नई दिल्ली: सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचों के विकास को लेकर तेजी से काम किया जा रहा है। इसके लिए सड़क, पूल सहित सामरिक रूप से अहम सभी तरह के विकास को तेज गति से आगे बढ़ाया जा रहा है। इस प्रक्रिया में और तेजी लाते हुए लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC ) के पास 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित न्योमा एयरबेस को तेजस, मिराज-2000 जैसे फाइटर जेट्स के लिए अपग्रेड करने जा रहा है। लड़ाकू विमानों के लिए सक्षम LAC से महज 50 किमी. दूर न्योमा एयरफील्ड के लिए भारत ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। वायु सेना यहां से लड़ाकू विमानों का संचालन कर सकेगी, जिससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में किसी भी तरह की समस्या से निपटने की क्षमता और मजबूत होगी।

दोनों दिशाओं में लैंड कर सकेंगे फाइटर जेट

न्योमा एयरबेस के अपग्रेडेशन के लिए सीमा सड़क संगठन ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दिया है। एयरबेस का अपग्रेडेड एडवांस लैंडिंग ग्राउंड दो साल में लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए तैयार हो जाएगा। टेंडर प्रक्रिया के अनुसार परियोजना पर लगभग 214 करोड़ रुपए खर्च होंगे। नए एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के लिए साइट 1,235 एकड़ में फैली होगी, जहां एयरबेस से जुड़े सैन्य बुनियादी ढांचे के साथ 2.7 किलोमीटर का रनवे बनेगा। रनवे का एलाइनमेंट ऐसा होगा कि विमान दोनों दिशाओं में लैंड कर सके और इसकी चौड़ाई 45 मीटर से अधिक होगी। नए रनवे का स्थान लेह-लोमा रोड के पास होगा, जिससे इस संवेदनशील क्षेत्र में सैनिकों और सैन्य सामग्री की त्वरित आवाजाही होगी।

LAC पर सेना को मिलेगी सहूलियत

India to upgrade Nyoma airbase near LaC

वायु सेना का यह एयरबेस LAC के सबसे नजदीक होने के कारण रणनीतिक रूप से सबसे ज्यादा संवेदनशील होने के साथ ही महत्वपूर्ण भी है। पूर्वी लद्दाख सीमा के पास न्योमा एयरफील्ड को अपग्रेड करने का फैसला बुनियादी ढांचे की विकास गतिविधियों के रूप में देखा जा रहा है। LAC से मात्र 50 किमी. से कम दूरी पर स्थित न्योमा एयरबेस अपग्रेड होने के बाद क्षेत्र में लड़ाकू और प्रमुख परिवहन विमानों के संचालन करने में आसानी होगी। इस हवाई क्षेत्र से तुरंत प्रतिक्रिया देने में भी सहूलियत होगी।

सैनिकों और सैन्य सामानों की आसान होगी को पहुंच

वर्तमान में न्योमा एयरबेस के न्योमा उन्नत लैंडिंग ग्राउंड से अपाचे हेलीकॉप्टर, चिनूक हैवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर, एमआई-17 हेलीकॉप्टर और सी-130जे स्पेशल ऑपरेशंस एयरक्राफ्ट का संचालन होता है। न्योमा हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल सैनिकों और सैन्य सामग्री की आपूर्ति के लिए किया गया है। चिनूक और अपाचे हेलीकॉप्टरों ने चीन सीमा पर तैनात सैनिकों को रसद पहुंचाने के लिए नॉन-स्टॉप काम किया है। अपग्रेड होने के बाद यहां से तेजस, मिराज-2000 जैसे फाइटर जेट्स उड़ान भर सकेंगे, जिससे न्योमा में हवाई संचालन क्षमता बढ़ेगी। साथ ही न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड और लेह के बीच 180 किलोमीटर की दूरी घटने से पूर्वी लद्दाख में सैनिकों और सैन्य सामानों को पहुंचाने में आसानी होगी।

BRO करेगा अपग्रेडेशन

एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड को जल्द ही लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए अपग्रेड किया जा रहा है। इससे संबंधित मंजूरी और अनुमोदन पहले ही आ चुके हैं। इस नए हवाई क्षेत्र और सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण सीमा सड़क संगठन करेगा। इसके अलावा भारत एलएसी से कुछ ही मिनटों की दूरी पर पूर्वी लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और फुकचे में भी हवाई क्षेत्र विकसित करने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहा है।

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दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी

दौलत बेग ओल्डी एक अहम आर्मी फॉरवर्ड एरिया पोस्ट है। यह बेस साल 1962 में भारत-चीन संघर्ष के दौरान बनाया गया था और 1962 और 1965 के बीच डीबीओ से भारतीय वायुसेना के पैकेट विमानों के संचालन के दौरान प्रमुखता में आया था। भारतीय सेना के साथ और तब चालू हुआ, जब चंडीगढ़ से एक जुड़वां इंजन एएन 32 विमान 43 साल के अंतराल के बाद वहां उतरा। सामरिक रूप से अहम दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी पर भारतीय वायुसेना ने महत्वपूर्ण क्षमता प्रदर्शन करते हुए सुपर हरक्यूलिस विमान की ऐतिहासिक लैंडिंग की थी।

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