108 पूर्व नौकरशाहों का PM मोदी को लेटर: हेट पॉलिटिक्स रोकने की अपील की,चुप्पी पर सवाल उठाया

PM Modi

पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने PM Modi को लेटर Letter लिखा हैं। लेटर में उम्मीद जताई हैं कि पीएम मोदी भाजपा के कंट्रोल वाली सरकारों की तरफ से कथित तौर पर पूरी ‘लगन’ के साथ चलाई जा रही ‘हेट पॉलिटिक्स’ को खत्म करेंगे।

लेटर लिखने वाले समूह में 100 से ज्यादा नौकरशाह शामिल हैं। समूह ने जहां हेट पॉलिटिक्स पर पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया हैं, वहीं उन्हें उनकी तरफ से दिया गया ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ वाला मंत्र भी याद दिलाया।

एक खुले पत्र में समूह ने कहा हैं कि हम देश में नफरत से भरा विनाश का उन्माद देख रहे हैं, जहां बलि की वेदी पर न केवल मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य हैं, बल्कि स्वयं संविधान भी हैं।

Letter लिखने वालों में कई नामी हस्ती शामिल:

लेटर पर 108 पूर्व नौकरशाहों के हस्ताक्षर हैं, जिसमें कई नामी हस्ती शामिल हैं। इनमें दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, देश के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लै और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव टीकेएस नायर जैसे नाम हैं।

pm modi letter

इन सभी ने लेटर में लिखा हैं कि पूर्व सिविल सर्वेंट होने के नाते यह सामान्य नहीं हैं कि हमें अपनी भावनाओं को इस तरह पेश करना पड़ रहा हैं, लेकिन जिस तेज गति से हमारे संस्थापकों की बनाई संवैधानिक संरचना को नष्ट किया जा रहा हैं, वह हमें बोलने और अपना गुस्सा व पीड़ा जाहिर करने के लिए मजबूर कर रही हैं।

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भाजपा शासित राज्यों में मुस्लिमों के खिलाफ भयावह हिंसा:

लेटर में कहा गया हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय, खासतौर पर मुस्लिमों के खिलाफ पिछले कुछ सालों और महीनों में हिंसा बढ़ी हैं। यह हिंसा असम, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक और उत्तराखंड समेत उन सभी राज्यों में जहां भाजपा पॉवर में हैं एक नया भयावह रूप ले चुकी हैं। इनमें दिल्ली ऐसा राज्य हैं, जहां पुलिस का कंट्रोल केंद्र सरकार के पास हैं।

संवैधानिक नैतिकता और आचार के लिए खतरा:

पूर्व नौकरशाहों ने लिखा हैं कि हमारा मानना हैं कि यह खतरा अभूतपूर्व हैं और न केवल संवैधानिक नैतिकता व आचार खतरे में हैं, बल्कि इससे हमारी सामाजिक ताने-बाने के भी नष्ट होने की संभावना हैं, जिसे संरक्षित रखने के लिए हमारे संविधान को इतनी सावधानी से तैयार किया गया हैं।

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