गाजियाबाद: भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यसभा सांसद नरेंद्र कश्यप Narendra Kashyap को योगी सरकार 2.0 में जगह मिल गई हैं। नरेंद्र कश्यप पिछले कई दिन से लखनऊ में ही डेरा डाले हुए थे। शुक्रवार दोपहर करीब एक बजे उन्हें सीएम आवास से बुलावा आया। वह सीएम आवास पहुंचे तो मंत्रिमंडल में शामिल होने की बधाई मिली। नरेंद्र कश्यप को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया हैं।
पेशे से एडवोकेट नरेंद्र कश्यप मूल रूप से गाजियाबाद जिले में ग्राम सरवानी के रहने वाले हैं। वह बसपा से दो बार एमएलसी और एक बार राज्यसभा सांसद रहे। उनकी गिनती मायावती के करीबियों में होती थी। उन्होंने बसपा में राष्ट्रीय महासचिव तक का सफर तय किया। पुत्रवधु की दहेज हत्या में कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद बसपा ने उन्हें 2016 में पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए थे।
Narendra कश्यप का राजनीतिक सफर:
1992 से 2016 तक बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी रहे।
1998 में उन्हें बसपा का प्रदेश महासचिव और एमएलसी बनाया गया।
2003 में बसपा ने राष्ट्रीय महासचिव पद पर मनोनीत किया।
2004 में कार्यकाल खत्म होते ही दोबारा एमएलसी बनाया।
2010 में बसपा ने उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया।
2016 में बसपा ने निष्कासित कर दिया।
11 जनवरी 2017 को वह नरेंद्र कश्यप ने बीजेपी ज्वाइन की।
जून-2021 में बीजेपी ने ओबीसी मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया।
पुत्रवधु की हत्या में कोर्ट ने सुनाई थी सजा, हाईकोर्ट ने लगाई रोक:
बदायूं निवासी पूर्व मंत्री हीरालाल कश्यप ने अपनी बेटी हिमांशी की शादी 27 नवंबर 2013 को गाजियाबाद निवासी पूर्व एमएलसी नरेंद्र कश्यप के बेटे सागर से की थी। 6 अप्रैल 2016 को गाजियाबाद के संजयनगर स्थित आवास पर हिमांशी को संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लग गई और यशोदा हॉस्पिटल में उनकी मौत हो गई। हीरालाल कश्यप ने नरेंद्र कश्यप, सागर, देवेंद्री, सिद्धार्थ, सरिता और शोभा के खिलाफ दहेज हत्या का मुकदमा थाना कविनगर में दर्ज कराया।
30 जून 2016 को पुलिस ने इस केस में चार्जशीट लगा दी। 25 जनवरी 2018 को गाजियाबाद की कोर्ट ने नरेंद्र कश्यप, उनकी पत्नी देवेंद्री और बेटे सागर कश्यप को दोषी करार दिया। कोर्ट ने नरेंद्र कश्यप को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ वह हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट इलाहाबाद ने 23 अक्तूबर 2019 को इस सजा पर रोक लगा दी। तब से वह जमानत पर चल रहे हैं।
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अतुल गर्ग मंत्रिमंडल से बाहर, सुनील शर्मा को भी जगह नहीं:
गाजियाबाद शहर सीट से दूसरी बार विधायक बने अतुल गर्ग इस बार योगी कैबिनेट में जगह नहीं ले पाए। योगी के पहले कार्यकाल में उन्हें स्वास्थ्य विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया था। कुछ लोग इस बार कयास लगा रहे थे कि अतुल गर्ग को प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अतुल गर्ग मंत्री बनने की रेस से ही बाहर हो गए। इसी तरह साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा के भी मंत्रिमंडल में शामिल होने की चर्चाएं थी, जो सिर्फ चर्चाएं बनकर रह गईं। सुनील शर्मा ने देश में सबसे ज्यादा वोटों 2 लाख 14 हजार वोटों से जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया था।